रुझान प्रकार

आर्थिक भूगोल/परिचय
आर्थिक भूगोल, मानव भूगोल की एक प्रमुख शाखा हैं [१] जिसमें भूतल पर मानवीय आर्थिक क्रियाओं,जैसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर पायी जाने वाली विभिन्नता का अध्ययन किया जाता है। इसके अंतर्गत विभिन्न प्रकार की आर्थिक क्रियाओं के वितरण प्रतिरूपों तथा उन कारकों एवं प्रक्रमों का अध्ययन किया जाता है जो भूतल पर इन प्रतिरूपों के क्षेत्रीय विभेदशीलता को प्रभावित करते हैं। आर्थिक भूगोल में मृदा, जल, जैव तत्त्व, खनिज, ऊर्जा आदि प्राकृतिक संसाधनों, आखेट, मत्स्य पालन,पशुपालन, वनोद्योग, कृषि, विनिर्माण उद्योग, परिवहन,संचार, व्यापार, वाणिज्य,आदि आर्थिक क्रियाओं तथा अन्य आर्थिक पक्षों एवं संगठनों के अध्ययनों को सम्मिलित करते है। [२] प्रारंभ में आर्थिक भूगोल को पहले मानव भूगोल एवं बाद में सामाजिक भूगोल की मुख्य शाखा माना गया था, परंतु वर्तमान में आर्थिक भूगोल स्वयं भूगोल की एक महत्वपूर्ण शाखा बन गई है। आर्थिक भूगोल हमें ऐसे प्राकृतिक संसाधनों की स्थिति, प्राप्ति और वितरण आदि से परिचित कराता है जिनके द्वारा वर्तमान में किसी देश की आर्थिक उन्नति हो सकती है। इसके द्वारा ही हमें पता चलता है कि किसी देश में पाई जाने वाली प्राकृतिक संपत्ति का किस विधि द्वारा, कहां पर और किस कार्य के लिए उपयोग किया जा सकता है। भूगोल किसी राष्ट्र की संपूर्ण अर्थव्यवस्था को निर्धारित कर सकता है। यदि कोई व्यक्ति एक पर्वत श्रृंखला के साथ काम कर रहा है, तो परिवहन उसके लिए उतना कठिन हो सकता है जितना कि सोच नहीं सकता है। हालाँकि एक ही परिस्थिति में देश के धन को जोड़ने के लिए मूल्यवान खनिज उपलब्ध हो सकते हैं। नदियों को महंगे पुलों की आवश्यकता हो सकती है, लेकिन वे सस्ते परिवहन और बिजली उत्पादन कर सकते हैं। उत्तरी अमेरिका के मध्य को कभी ग्रेट अमेरिकन मरूस्थल कहा जाता था क्योंकि इसमें पेड़ों की कमी थी एवं इसमें खेती करना बहुत ही मुश्किल था। प्रेयरी घासें लगभग छह फीट ऊंची रुझान प्रकार थी, लेकिन भूमि में उपजापन थी । परन्तु लोहे के हल के आविष्कार के साथ, यह भूमि बंजर से लाभदायक हो गई थी। इस प्रकार, अंतिम विश्लेषण में किसी राष्ट्र का अधिकांश अर्थशास्त्र कम से कम कुछ हद तक उसके भूगोल पर निर्भर है। आर्थिक भूगोल के अन्तर्गत उसके कार्य-क्षेत्र, मानव के प्राथमिक एवं गौण व्यवसाय तथा क्रियाएं (शिकार करना, वस्तुएं एकत्रित करना, लकड़ी काटना, मछली पकड़ना, पशुपालन, कृषि करने एवं खनन करने, आदि), विश्व के औद्योगिक प्रदेश एवं उनके प्रमुख उद्योग (लोहा-इस्पात, वस्त्र, आदि), परिवहन के साधन, पत्तन एवं नगरों का विकास तथा व्यापार, आदि का विस्तृत विवेचन किया गया है।
आर्थिक भूगोल का अध्ययन इस बात की ओर संकेत करता है कि किस स्थान पर कौन सा विशेष उद्योग स्थापित किया जा सकता है। इसके अध्ययन से यह ज्ञात हो सकता है कि विशेष जलवायु के अनुसार किसी देश की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए कच्चा माल, भोज्य पदार्थ अथवा यंत्र आदि कहां से प्राप्त किए जा सकते हैं। आर्थिक भूगोल के अध्ययन से इन बातों का भी ज्ञान हो सकता है
- विश्व के विभिन्न भागों में मानव समुदाय किस प्रकार अपने भौतिक आवश्यकताएं पूरी करता है
- उसका रहन सहन खान पान वेशभूषा एवं अन्य सामाजिक परंपराएं आदि कैसी है।
- उसने जीवन स्तर ऊंचा उठाने के लिए प्राकृतिक संसाधनों का किस प्रकार उपयोग किया है।
- किसी विशेष देश ने किस प्रकार अधिक व्यवस्थित एवं निरंतर आर्थिक उन्नति प्राप्त की है।
- कोई अन्य देश इतना क्यों पिछड़ा है और किसी की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी क्यों है।
किसी भी देश की उन्नति वहां के वैज्ञानिक, राजनीतिक, अर्थशास्त्री, भूगोलवेत्ता एवं नीति निर्धारक के सहयोग से होती है और इनका सहयोग आर्थिक भूगोल से होता है आर्थिक भूगोल के अन्तर्गत आर्थिक वस्तुओं का उत्पादन, उपभोग का स्थानीयकरण का अध्ययन किया जाता है। आरम्भ में प्रत्येक वस्तु का विश्व वितरण एवं उत्पादन का अध्ययन किया जाता था। इनका भौगोलिक पर्यावरण से सम्बन्ध तथा आर्थिक क्षेत्रों का सीमांकन करना भी इसके अध्ययन में समिलित किया जाता है।
आर्थिक भूगोल की कई अन्य उपशाखाएं भी हैं-
अ) कृषि भूगोल
ब) वाणिज्य भूगोल
स) संसाधन भूगोल
द) परिवहन भूगोल
य) विनिर्माण उद्योग
कुछ विद्वानों ने रुझान प्रकार आर्थिक भूगोल की परिभाषा इस प्रकार बताई है-
"economic geography defined as the study of the influence exerted upon the economic activities of man by his physical environment."
(मनुष्य के आर्थिक क्रियाओं पर प्राकृतिक वातावरण का प्रभाव पड़ता है उसके अध्ययन को आर्थिक भूगोल का विषय माना गया है।) Nefarlane
"economic geography is that aspect of the subject which deals with the influence of the environment inorganic and organic on the economic activities of man."
(आर्थिक भूगोल वह विषय है जिसमें मनुष्य के आर्थिक क्रियाओं पर वातावरण द्वारा डाले हुए प्रभाव का अध्ययन होता है।) Rudmose Brown [३]
इन परिभाषाओं से स्पष्ट होता है कि अपने वातावरण से प्रभावित होकर मनुष्य जो कार्य करता है उसका अध्ययन ही आर्थिक भूगोल का विषय है इस प्रकार आर्थिक भूगोल के अध्धयन में दो बातों का वर्णन होता है-
- भौगोलिक वातावरण-इसके अंतर्गत विश्व की भू रचना जलवायु,प्राकृतिक वनस्पति,खनिज संपत्ती,पशुधन आदि का वर्णन होता है।
- मनुष्य की आर्थिक क्रियाएं- भौगोलिक वातावरण में रहता हुआ मनुष्य उससे प्रभावित होकर जीवन निर्वाह के लिए जो कार्य करता है वह इसके अंतर्गत आता है ऐसे कार्यों में खेती करना,कारखानों में काम करना,लकड़ी काटना,मछली पकड़ना आदि सम्मिलित है।
इसके अंतर्गत हम यह भी जान सकते हैं कि मनुष्य पृथ्वी पर अनेक प्रकार के क्रियाओं में संलग्न है। हम आगे के अध्याय में इस क्रियाओं के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी प्राप्त करेंगे लेकिन उसका छोटा सा रूप इस अध्याय में भी अध्ययन कर लेते हैं । पृथ्वी पर मानव की आर्थिक क्रियाओं का क्षेत्र बहुत ही व्यापक है वर्तमान में इस समय बहुस्तरीय आर्थिक क्रियाएं सम्मिलित की जाती है।आर्थिक क्रियाएं मुख्यतः चार प्रकार से होती है।
- प्राथमिक उत्पादन संबंधी क्रियाओं में प्रकृति से प्राप्त संसाधन का सीधा उपयोग होता है जैसे कृषि करना, खाने खोदना, मछली पकड़ना, आखेट करना, वस्तुओं का संचय करना, वन संबंधी उद्योग आदि
- द्वितीयक उत्पादन क्रियाओं में प्रकृति से प्राप्त संसाधनों का सीधा उपयोग नहीं होता वरन् उनको साफ परिष्कृत अथवा रूप परिवर्तित करके उपयोग होता है जैसे लोहे को गला कर वस्तु बनाना, गेहूं से आटा या मैदा बनाना, कपास और ऊन से कपड़ा बनाना, लकड़ी से फर्नीचर, कागज आदि बनाना।
- तृतीयक उत्पादन क्रिया में वस्तुओं का परिवहन, संचार और संवादवाहन, वितरण एवं संस्थाओं और व्यक्तियों की सेवाएं सम्मिलित की जाती है।
सामग्री
भूगोल विषय के कई अंग होते हैं। प्राकृतिक वातावरण का वर्णन प्राकृतिक भूगोल में किया जाता है। मानवीय क्रियाओं का वर्णन मानवीय भूगोल का विषय है इन दोनों का एक दूसरे पर क्या प्रभाव पड़ता है इसका अध्ययन आर्थिक भूगोल का विषय है। इनके अतिरिक्त भिन्न-भिन्न देशों का वर्णन राजनीतिक भूगोल का लाता है पृथ्वी का विस्तार उसकी ग्रहों एवं नक्षत्रों से दूरी आदि का अध्ययन गणित संबंधी भूगोल का विषय है भूगोल के इन दोनों अंगों का संबंध किसी न किसी प्रकार आर्थिक भूगोल से अवश्य है। [४] आर्थिक भूगोल का विषय इतना विस्तृत है कि इसका संबंध न केवल भूगोल के भिन्न-भिन्न अगों से है परंतु अन्य विषय भी इससे संबंधित है। उदाहरण के लिए लोहे के कारखाने का वर्णन करते समय यह बताया जाता है कि लोहा और कोयला कहां मिलता है यह भूगर्भ विद्या का विषय है। कृषि की उपज पढ़ते समय यह ज्ञात किया जाता है कि गेहूं और चावल भिन्न-भिन्न जलवायु में पैदा होते हैं अतः यह जलवायु विज्ञान का विषय है। विश्वत रेखा के निकट है घने वन क्यों है वहीं दूसरी ओर सहारा यूं वृक्ष क्यों नहीं है यह वनस्पति विज्ञान का विषय है।आर्थिक भूगोल में इन सभी विषयों की सहायता लेनी पड़ती है इसलिए आर्थिक भूगोल अनेक विषयों से संबंधित है।
- व्यक्ति किसी विशेष क्षेत्र की आर्थिक गतिविधियों के बारे में आसानी से अध्ययन कर सकता है।
- एक उपयुक्त क्षेत्र में आर्थिक गतिविधि स्थापित करने का सबसे अच्छा तरीका पता लगाना आसान है।
- एक आर्थिक गतिविधि के संदर्भ में भौगोलिक लाभों की पहचान को इसके माध्यम से आसान बनाया जा सकता है अर्थात् भारत को एशिया के किसी भी अन्य देशों की तुलना में सूर्य के प्रकाश का बड़ा लाभ प्राप्त होता है जो एक सौर ऊर्जा पैनल बनाने में मदद करता है ।
विनिर्माण उद्योग किस स्थान से अधिकतम लाभ मिले इसके लिए इसके माध्यम से सर्वेक्षण किया जा सकता है। भौगोलिक स्थिति ने उस क्षेत्र की आर्थिक गतिविधियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है जिसके माध्यम से योजना बनाई जा सकती है कि कौन सा व्यवसाय उपयुक्त है या नहीं।
यह कहा जा सकता है कि आर्थिक भूगोल अर्थशास्त्र के साथ उन्मुख है
3 में देखने के लिए 2023 व्यावसायिक रुझान
महामारी की शुरुआत के बाद से, खुदरा और ऑनलाइन खरीदारी में नाटकीय रूप से बदलाव आया है। COVID-19 ने कई व्यवसायों को अपने व्यवसाय के संचालन के लिए एक ऑनलाइन स्टोर स्थापित करके अनुकूलन करने के लिए मजबूर किया, जबकि कई बंद नहीं हुए। बताया गया है कि महामारी के चरम के दौरान 20% से 30% व्यवसाय ऑनलाइन चले गए . इसका मतलब यह भी है कि ई-कॉमर्स उद्योग में काफी उछाल आया है और यह केवल बढ़ता रहेगा।
स्मार्टफोन के उपयोग में वृद्धि और अधिक डिजिटल तकनीकों के सुलभ होने के साथ, 95 तक सभी खरीदारी का 2040% ऑनलाइन किया जाएगा . उद्योग में तेजी से बदलाव और उतार-चढ़ाव को ध्यान में रखते हुए, नवीनतम ई-कॉमर्स रुझानों को ध्यान में रखते हुए, COVID के बाद के युग में किसी भी व्यवसाय की सफलता के लिए महत्वपूर्ण है। यहां 3 प्रमुख रुझान हैं जिन्हें आप 2023 और उसके बाद देखना शुरू करेंगे - और ऐसे रुझान जो व्यवसाय संचालन और वेबसाइट रूपांतरणों में बहुत सुधार करेंगे।
स्थिरता नया सामान्य है
एक मौजूदा खुदरा प्रवृत्ति जो केवल दुनिया भर में लोकप्रियता में बढ़ेगी वह स्थिरता है। यह न केवल पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं को बढ़ावा देता है बल्कि इन प्रथाओं में भाग लेने वाले किसी भी व्यवसाय को भरोसेमंद और भरोसेमंद दिखने में मदद करता है। कुछ स्थिरता प्रथाओं में वैकल्पिक मांस विकल्पों (पौधे-आधारित उपज), पैकेजिंग और शिपिंग के लिए पुनर्नवीनीकरण सामग्री, और कपड़ों के लिए पुनर्नवीनीकरण सामग्री की एक बड़ी श्रृंखला शामिल है। दुनिया भर के उपभोक्ता अधिक जागरूक हो रहे हैं और पर्यावरण पर उनकी खरीदारी के प्रभाव के बारे में सोच रहे हैं।
अपने व्यवसाय को पर्यावरण के अनुकूल (या "ग्रीन") प्रथाओं पर केंद्रित करने से आपके व्यवसाय पर काफी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और अध्ययनों से पता चलता है कि उपभोक्ता यह जानकर खुश हैं कि वे जिस स्टोर से खरीदते हैं वह टिकाऊ उत्पादों के साथ टिकाऊ है। इसलिए, उपभोक्ता अधिक भुगतान करने को तैयार हैं और आप अपने उत्पाद की कीमत बढ़ाने में सक्षम होंगे।
सोशल मीडिया शॉपिंग
फेसबुक मार्केटप्लेस जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म हर महीने आसान खरीदारी के लिए लोकप्रियता में बढ़ रहे हैं। हालांकि इसने ई-कॉमर्स की दुनिया में कभी भी बड़ी सेंध नहीं लगाई है, लेकिन खरीदारी में लगातार वृद्धि दिखाई दे रही है। दूसरी ओर, पिछले कुछ वर्षों में इंस्टाग्राम शॉपिंग की लोकप्रियता बढ़ी है और कई स्टोर जो अपने इंस्टाग्राम सोशल मीडिया पेज पर इंस्टाग्राम शॉपिंग को लागू करते हैं, अक्सर बेहतर रूपांतरण दिखाते हैं।
जैसा कि व्यवसाय अपने उत्पादों को बड़ी सोशल मीडिया वेबसाइटों और ऐप्स पर बेच रहे होंगे, यह बिल्कुल स्पष्ट है कि उपभोक्ता सुविधा चाहते हैं। जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, उपभोक्ताओं के पास अब इंटरनेट तक पूरी पहुंच है, कभी भी और कहीं भी, सभी अपनी उंगलियों से (स्मार्टफोन के लिए धन्यवाद)।
ईकामर्स पर हावी होगी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
ऑनलाइन शॉपिंग में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग ई-कॉमर्स उद्योग में काफी बदलाव ला रहा है। सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण, कृत्रिम बुद्धिमत्ता अब उन उत्पादों और वेबसाइट के आधार पर उपभोक्ता खरीदारी पैटर्न का अनुमान लगा सकती है, जिनसे खरीदार खरीदते हैं, और जब वे ब्राउज़ करते हैं। उदाहरण के लिए, यदि कोई उपभोक्ता ऑनलाइन खरीदारी के साथ उसी किराने से खरीदारी करता है, तो AI खरीदारी का पता लगा सकता है और ऑनलाइन रिटेलर को आवश्यक आवश्यक डेटा भेज सकता है, जिसके परिणामस्वरूप अधिक उत्पादों के लिए एक व्यक्तिगत प्रस्ताव भेजा जा सकता है। इसका मतलब है अधिक से अधिक रूपांतरण।
एआई के कुछ सबसे कुशल रूप जो ई-कॉमर्स उद्योग में आम हो जाएंगे, उनमें शामिल हैं; चैटबॉट और अन्य आभासी सहायक, उत्पाद अनुशंसाएं, ई-कॉमर्स वैयक्तिकरण, और सूची प्रबंधन। ई-कॉमर्स में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अभिनव समाधान और व्यक्तिगत ग्राहक अनुभव चलाने में एक प्रमुख भूमिका निभा रहा है।
निष्कर्ष
एक ई-कॉमर्स व्यवसाय के रूप में, आपको इस बात पर विचार करना चाहिए कि उल्लेखित कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रणालियों में से कुछ (यदि सभी नहीं) को अपने संचालन में कैसे लागू किया जाए, क्योंकि यह बेहतर रूपांतरण और बार-बार लौटने वाले ग्राहकों के रूप में सिद्ध होता है - जबकि आपके व्यवसाय के संचालन को अधिक प्रबंधनीय बनाता है। . इसके शीर्ष पर, अपने ऑनलाइन स्टोर को सोशल मीडिया शॉपिंग प्लेटफॉर्म पर एकीकृत करना और स्थिरता का अभ्यास करना निश्चित रूप से आपके व्यवसाय को प्रतिस्पर्धी बना रहेगा और 2023 और उससे आगे के सफल होने की ओर अग्रसर होगा।
संयुक्त राष्ट्र का सहयोग करने पर द्वेषपूर्ण कार्रवाई, एक चिन्ताजनक रुझान
संयुक्त राष्ट्र की एक नई रिपोर्ट दर्शाती है कि विश्व के 42 देशों में लोगों को मानवाधिकारों के मुद्दे पर इस विश्व संगठन के साथ सहयोग करने के लिये, द्वेषपूर्ण कार्रवाई और डराए-धमकाए जाने का सामना करना पड़ा है. रिपोर्ट के अनुसार पिछले एक वर्ष में इस विषय में चिन्ताजनक रुझान दर्ज किये गए हैं.
गुरूवार को जारी इस रिपोर्ट में अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश, ब्राज़ील, क्यूबा, भारत, इण्डोनेशिया, ईरान, इसराइल, म्याँमार, रूसी महासंघ, सऊदी अरब, श्रीलंका, संयुक्त अरब अमीरात, मिस्र, निकारागुआ, थाईलैण्ड, वेनेज़ुएला समेत अन्य देशों में, 1 मई 2021 से 30 अप्रैल 2022 के दौरान घटित मामलों का विवरण दिया गया है.
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश की वार्षिक रिपोर्ट बताती है कि मानवाधिकार हनन के पीड़ितों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पत्रकारों को किस प्रकार से सरकार व ग़ैर-सरकारी तत्वों ने डराया धमकाया और उनके विरुद्ध बदले की भावना से कार्रवाई की गई.
New report shows people in 42 countries across the world faced reprisals and intimidation for cooperating with the UN on #HumanRights, highlighting disturbing trends over the past year, incl. surveillance, restrictive legislation and self-censorship: https://t.co/jU2V8kHxXh https://t.co/oTTHbPv9ny
इन मामलों में लोगों को हिरासत में लिया जाना, पाबन्दी लगाने वाले क़ानूनों के द्वारा निशाना बनाया जाना, और ऑनलाइन व ऑफ़लाइन उनकी निगरानी करना शामिल है.
ये उन व्यक्तियों और समूहों पर केन्द्रित है, जिन्होंने मानवाधिकार मुद्दों पर यूएन के साथ सहयोग किया; जानकारी व गवाही को साझा करने में यूएन प्रक्रियाओं का इस्तेमाल किया या फिर मानवाधिकार उल्लंघन व दुर्व्यवहार के मामलों में समस्याओं के निवारण का प्रयास किया.
बताया गया है जिन व्यक्तियों या समूहों ने यूएन के साथ सहयोग करने का प्रयास भी किया, या फिर ऐसा करते हुए नज़र आए, वे भी इससे प्रभावित हुए हैं.
रिपोर्ट में उल्लेखित देशों में से एक-तिहाई ऐसे हैं, जहाँ व्यक्तियों व समूहों ने या तो सहयोग से परहेज़ किया या फिर अज्ञान होकर भी अपने मामलों के सिलसिले में जानकारी दी, चूँकि उन्हें बदले की भावना से कार्रवाई का भय था.
मानवाधिकारों के लिये सहायक महासचिव इल्ज़े ब्रैण्ड्स केहरिस का कहना है कि द्वेषपूर्ण कार्रवाई के विरुद्ध सदस्य देशों द्वारा लिये गए साझा संकल्पों के बावजूद, रिपोर्ट एक बार फिर दर्शाती है कि यूएन के समक्ष मानवाधिकार चिन्ताओं को उठाने के लिये, लोगों का किस तरह उनकी निगरानी की जाती है और यातना दी है.
उन्होंने कहा कि यह संख्या स्तब्धकारी है, जबकि बदले की भावना से की गई कार्रवाई के अनेक मामलों में सही जानकारी भी नहीं मिल पाती है.
बताया गया है कि यूएन के साथ सहयोग करने वाले व्यक्तियों व समूहों की निगरानी किये जाने के मामले हर क्षेत्र में सामने आए हैं. रिपोर्ट के अनुसार ऑनलाइन निगरानी व साइबर हमलों के सम्बन्ध में तथ्य बढ़ रहे हैं.
कोविड-19 महामारी के कारण व्यापक स्तर पर डिजिटल माध्यमों के इस्तेमाल में तेज़ी आई, जिससे साइबर-सुरक्षा, निजता और ऑनलाइन स्थलों की सुलभता के प्रति चुनौती भी गहरी हुईं.
चिन्ताजनक वैश्विक रुझान
रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र के साथ सहयोग पर रोक लगाने और ऐसा करने पर दण्डित किये जाने के क़ानूनों के इस्तेमाल और असर को भी चिन्ताजनक वैश्विक रुझान बताया गया है.
इसके परिणामस्वरूप कुछ लोगों को लम्बी अवधि के लिये जेल की सज़ा दी गई या फिर घर में नज़रबन्द कर दिया गया.
अनेक देशों में डराए-धमकाए जाने के मामले बार-बार सामने आए, जोकि एक रुझान को प्रदर्शित करता है.
एक अन्य वैश्विक रुझान स्वत: सेंसरशिप का भी है, जिसमें व्यक्ति अपनी सलामती के लिये यूएन के साथ या तो सहयोग नहीं करते हैं, या फिर अपनी सुरक्षा के लिये गोपनीय ढंग से ऐसा करते हैं.
बढ़ती निगरानी और आपराधिक ज़िम्मेदारी तय किये जाने के भय की वजह से, सुन्न कर देने वाला प्रभाव पनपा है, जिसके कारण लोग चुप्पी धारण कर लेते हैं, और लोगों को यूएन के साथ सहयोग करने से रोकता है.
अतीत के वर्षों की तरह, रिपोर्ट दर्शाती है कि द्वेषपूर्ण कार्रवाई और डराए-धमकाए जाने के मामलों से कुछ समूह व आबादी अधिक प्रभावित हैं.
इनमें आदिवासी व्यक्ति, अल्पसंख्यक, या पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मुद्दों पर सक्रिय व्यक्तियों के अलावा वे लोग भी हैं, जोकि अपनी आयु, यौन रुझान और लिंग के आधार पर भेदभाव से गुज़रते हैं.
सहायक महासचिव ब्रैण्ड्स केहरिस ने जिनीवा में मानवाधिकार परिषद को बताया, “महिला पीड़ितों, और यूएन के साथ साक्ष्य साझा और सहयोग करने वाली महिला मानवाधिकार कार्यकर्ताओं व शान्ति निर्माताओं के लिये जोखिम बहुत बड़े हैं.”
“हम यह सुनिश्चित करने के लिये अपना काम जारी रखेंगे कि सभी यूएन के साथ सुरक्षित ढंग से सम्पर्क व बातचीत कर सकें.”
भारतीय अर्थव्यवस्था
भारत जीडीपी के संदर्भ में विश्व की नवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है । यह अपने भौगोलिक आकार के संदर्भ में विश्व में सातवां सबसे बड़ा देश है और जनसंख्या की दृष्टि से दूसरा सबसे बड़ा देश है । हाल के वर्षों में भारत गरीबी और बेरोजगारी से संबंधित मुद्दों के बावजूद विश्व में सबसे तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में से एक के रूप में उभरा है । महत्वपूर्ण समावेशी विकास प्राप्त करने की दृष्टि से भारत सरकार द्वारा कई गरीबी उन्मूलन और रोजगार उत्पन्न करने वाले कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं ।
इतिहास
ऐतिहासिक रूप से भारत एक बहुत विकसित आर्थिक व्यवस्था थी जिसके विश्व के अन्य भागों के साथ मजबूत व्यापारिक संबंध थे । औपनिवेशिक युग ( 1773-1947 ) के दौरान ब्रिटिश भारत से सस्ती दरों पर कच्ची सामग्री खरीदा करते थे और तैयार माल भारतीय बाजारों में सामान्य मूल्य से कहीं अधिक उच्चतर कीमत पर बेचा जाता था जिसके परिणामस्वरूप स्रोतों का द्धिमार्गी ह्रास होता था । इस अवधि के दौरान विश्व की आय में भारत का हिस्सा 1700 ए डी के 22.3 प्रतिशत से गिरकर 1952 में 3.8 प्रतिशत रह गया । 1947 में भारत के स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात अर्थव्यवस्था की पुननिर्माण प्रक्रिया प्रारंभ हुई । इस उद्देश्य से विभिन्न नीतियॉं और योजनाऍं बनाई गयीं और पंचवर्षीय योजनाओं के माध्यम से कार्यान्वित की गयी ।
1991 में भारत सरकार ने महत्वपूर्ण आर्थिक सुधार प्रस्तुत किए जो इस दृष्टि से वृहद प्रयास थे जिनमें विदेश व्यापार उदारीकरण, वित्तीय उदारीकरण, कर सुधार और विदेशी निवेश के प्रति आग्रह शामिल था । इन उपायों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को गति देने में मदद की तब से भारतीय अर्थव्यवस्था बहुत आगे निकल आई है । सकल स्वदेशी उत्पाद की औसत वृद्धि दर (फैक्टर लागत पर) जो 1951 - 91 के दौरान 4.34 प्रतिशत थी, 1991-2011 के दौरान 6.24 प्रतिशत के रूप में बढ़ गयी ।
कृषि
कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है जो न केवल इसलिए कि इससे देश की अधिकांश जनसंख्या को खाद्य की आपूर्ति होती है बल्कि इसलिए भी भारत की आधी से भी अधिक आबादी प्रत्यक्ष रूप से जीविका के लिए कृषि पर निर्भर है ।
विभिन्न नीतिगत उपायों के द्वारा कृषि उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि हुई, जिसके फलस्वरूप एक बड़ी सीमा तक खाद्य सुरक्षा प्राप्त हुई । कृषि में वृद्धि ने अन्य क्षेत्रों में भी अधिकतम रूप से अनुकूल प्रभाव डाला जिसके फलस्वरूप सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था में और अधिकांश जनसंख्या तक लाभ पहुँचे । वर्ष 2010 - 11 में 241.6 मिलियन टन का एक रिकार्ड खाद्य उत्पादन हुआ, जिसमें सर्वकालीन उच्चतर रूप में गेहूँ, मोटा अनाज और दालों का उत्पादन हुआ । कृषि क्षेत्र भारत के जीडीपी का लगभग 22 प्रतिशत प्रदान करता है ।
उद्योग
औद्योगिक क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है जोकि विभिन्न सामाजिक, आर्थिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए आवश्यक है जैसे कि ऋण के बोझ को कम करना, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश आवक (एफडीआई) का संवर्द्धन करना, आत्मनिर्भर वितरण को बढ़ाना, वर्तमान आर्थिक परिदृय को वैविध्यपूर्ण और आधुनिक बनाना, क्षेत्रीय विकास का संर्वद्धन, गरीबी उन्मूलन, लोगों के जीवन स्तर को उठाना आदि हैं ।
स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात भारत सरकार देश में औद्योगिकीकरण के तीव्र संवर्द्धन की दृष्टि से विभिन्न नीतिगत उपाय करती रही है । इस दिशा में प्रमुख कदम के रूप में औद्योगिक नीति संकल्प की उदघोषणा करना है जो 1948 में पारित हुआ और उसके अनुसार 1956 और 1991 में पारित हुआ । 1991 के आर्थिक सुधार आयात प्रतिबंधों को हटाना, पहले सार्वजनिक क्षेत्रों के लिए आरक्षित, निजी क्षेत्रों में भागेदारी, बाजार सुनिश्चित मुद्रा विनिमय दरों की उदारीकृत शर्तें ( एफडीआई की आवक / जावक हेतु आदि के द्वारा महत्वपूर्ण नीतिगत परिवर्तन लाए । इन कदमों ने भारतीय उद्योग को अत्यधिक अपेक्षित तीव्रता प्रदान की ।
आज औद्योगिक क्षेत्र 1991-92 के 22.8 प्रतिशत से बढ़कर कुल जीडीपी का 26 प्रतिशत अंशदान करता है ।
सेवाऍं
आर्थिक उदारीकरण सेवा उद्योग की एक तीव्र बढ़ोतरी के रूप में उभरा है और भारत वर्तमान समय में कृषि आधरित अर्थव्यवस्था से ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था के रूप में परिवर्तन को देख रहा है । आज सेवा क्षेत्र जीडीपी के लगभग 55 प्रतिशत ( 1991-92 के 44 प्रतिशत से बढ़कर ) का अंशदान करता है जो कुल रोजगार का लगभग एक तिहाई है और भारत के कुल निर्यातों का एक तिहाई है
भारतीय आईटी / साफ्टेवयर क्षेत्र ने एक उल्लेखनीय वैश्विक ब्रांड पहचान प्राप्त की है जिसके लिए निम्नतर लागत, कुशल, शिक्षित और धारा प्रवाह अंग्रेजी बोलनी वाली जनशक्ति के एक बड़े पुल की उपलब्धता को श्रेय दिया जाना चाहिए । अन्य संभावना वाली और वर्द्धित सेवाओं में व्यवसाय प्रोसिस आउटसोर्सिंग, पर्यटन, यात्रा और परिवहन, कई व्यावसायिक सेवाऍं, आधारभूत ढॉंचे से संबंधित सेवाऍं और वित्तीय सेवाऍं शामिल हैं।
बाहय क्षेत्र
1991 से पहले भारत सरकार ने विदेश व्यापार और विदेशी निवेशों पर प्रतिबंधों के माध्यम से वैश्विक प्रतियोगिता से अपने उद्योगों को संरक्षण देने की एक नीति अपनाई थी ।
उदारीकरण के प्रारंभ होने से भारत का बाहय क्षेत्र नाटकीय रूप से परिवर्तित हो गया । विदेश व्यापार उदार और टैरिफ एतर बनाया गया । विदेशी प्रत्यक्ष निवेश सहित विदेशी संस्थागत निवेश कई क्षेत्रों में हाथों - हाथ लिए जा रहे हैं । वित्तीय क्षेत्र जैसे बैंकिंग और बीमा का जोरदार उदय हो रहा है । रूपए मूल्य अन्य मुद्राओं के साथ-साथ जुड़कर बाजार की शक्तियों से बड़े रूप में जुड़ रहे हैं ।
आज भारत में 20 बिलियन अमरीकी डालर (2010 - 11) का विदेशी प्रत्यक्ष निवेश हो रहा है । देश की विदेशी मुद्रा आरक्षित (फारेक्स) 28 अक्टूबर, 2011 को 320 बिलियन अ.डालर है । ( 31.5.1991 के 1.2 बिलियन अ.डालर की तुलना में )
भारत माल के सर्वोच्च 20 निर्यातकों में से एक है और 2010 में सर्वोच्च 10 सेवा निर्यातकों में से एक है ।
कांग्रेस के पक्ष में आए रुझान, झूमे-नाचे, बांटी मिठाई
फतेहपुर। देश के तीन राज्यों में चुनाव परिणाम के रुझानों से कांग्रेस में खुशी का माहौल है। जिलाध्यक्ष अखिलेश पांडेय ने बुलेट चौराहा स्थित जिला कार्यालय में मिठाई बांटी। पदाधिकारियों ने नाचकर खुशी मनाई।
शहर कांग्रेस कमेटी ने रुझान प्रकार ज्वालागंज बस अड्डा के पास जीटी रोड पर पटाखे छुटाए। तीन राज्यों में पार्टी को मिली जीत को सेमीफाइनल बताया और इसका श्रेय राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को दिया।
इस मौके पर प्रदेश संगठन मंत्री महेश द्विवेदी, बृजेश मिश्रा, कैलाश द्विवेदी, प्रदेश महामंत्री राजू लोधी, डा. अमित मिश्रा नीटू, अरुण जायसवाल, आदित्य श्रीवास्तव, औसाफ अहमद, शहाब अली, प्रशांत कुमार श्रीवास्तव, मनोज श्रीवास्तव, पंडित रामनरेश महराज, आनंद सिंह गौतम, चौधरी मोईन राईन, मोहम्मद यासीन, जगतपाल पासवान, अजय कुमार बच्चा, ओमप्रकाश कोरी, संतोष यादव मौजूद रहे।
जिलाध्यक्ष के साथ में मनोज गुप्ता घायल, पंकज सिंह गौतम, महिला जिलाध्यक्ष हेमलता पटेल, श्रवण गौड़, अभिमन्यु सिंह, पीयूष दीक्षित मौजूद रहे। इसी प्रकार यूथ कांग्रेस जिला सचिव सुनीत तिवारी ने संवत गांव में पार्टी की जीत पर मिठाई बांटी।
इस मौके पर आदर्श तिवारी, राममहेश मौर्य, सुशील, चंद्रपाल, रामजी अवस्थी, वेद प्रकाश, जितेंद्र पाल, अंकित शर्मा रहे। वहीं भाजपा की हार से सपा, बसपा खेमे में भी खुशी देखने को मिली। भाजपाई ने इन राज्यों के चुनाव परिणाम को प्रदेश स्तर की राजनीत बताया। इसे लोकसभा चुनाव में किसी प्रकार का नुकसान न होने की बात कही।
टीवी के सामने बैठ देखे नतीजे
फतेहपुर। पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव का परिणाम जानने के लिए लोगों उत्सुकता दिखी। चुनाव की गिनती शुरू होते ही लोग टीवी खोल कर बैठ गए। भाजपा की विपरीत रुझान आते ही लोग कार्यशैली पर सवाल उठाने लगे। भाजपा समर्थक भी सरकार की कार्यशैली पर टिप्पणी करते दिखे। आम जनता के साथ अधिकारी व कर्मचारियों में चुनाव के परिणाम जानने की उत्सुकता दिखी। लोग मोबाइल व दफ्तर के कंप्यूटर में खबरों की लाइव देखते नजर आए।
अलग-अलग स्थानों पर हुए आयोजन, पटाखे भी फोड़े
अमर उजाला ब्यूरो
फतेहपुर। देश के तीन राज्यों में चुनाव परिणाम के रुझानों से कांग्रेस में खुशी का माहौल है। जिलाध्यक्ष अखिलेश पांडेय ने बुलेट चौराहा स्थित जिला कार्यालय में मिठाई बांटी। पदाधिकारियों ने नाचकर खुशी मनाई।
शहर कांग्रेस कमेटी ने ज्वालागंज बस अड्डा के पास जीटी रोड पर पटाखे छुटाए। तीन राज्यों में पार्टी को मिली जीत को सेमीफाइनल बताया और इसका श्रेय राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को दिया।
इस मौके पर प्रदेश संगठन मंत्री महेश द्विवेदी, बृजेश मिश्रा, कैलाश द्विवेदी, प्रदेश महामंत्री राजू लोधी, रुझान प्रकार डा. अमित मिश्रा नीटू, अरुण जायसवाल, आदित्य श्रीवास्तव, औसाफ अहमद, शहाब अली, प्रशांत कुमार श्रीवास्तव, मनोज श्रीवास्तव, पंडित रामनरेश महराज, आनंद सिंह गौतम, चौधरी मोईन राईन, मोहम्मद यासीन, जगतपाल पासवान, अजय कुमार बच्चा, ओमप्रकाश कोरी, संतोष यादव मौजूद रहे।
जिलाध्यक्ष के साथ में मनोज गुप्ता घायल, पंकज सिंह गौतम, महिला जिलाध्यक्ष हेमलता पटेल, श्रवण गौड़, अभिमन्यु सिंह, पीयूष दीक्षित मौजूद रहे। इसी प्रकार यूथ कांग्रेस जिला सचिव सुनीत तिवारी ने संवत गांव में पार्टी की जीत पर मिठाई बांटी।
इस मौके पर आदर्श तिवारी, राममहेश मौर्य, सुशील, चंद्रपाल, रामजी अवस्थी, वेद प्रकाश, जितेंद्र पाल, अंकित शर्मा रहे। वहीं भाजपा की हार से सपा, बसपा खेमे में भी खुशी देखने को मिली। भाजपाई ने इन राज्यों के चुनाव परिणाम को प्रदेश स्तर की राजनीत बताया। इसे लोकसभा चुनाव में किसी प्रकार का नुकसान न होने की बात कही।
टीवी के सामने बैठ देखे नतीजे
फतेहपुर। पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव का परिणाम जानने के लिए लोगों उत्सुकता दिखी। चुनाव की गिनती शुरू होते ही लोग टीवी खोल कर बैठ गए। भाजपा की विपरीत रुझान आते ही लोग कार्यशैली पर सवाल उठाने लगे। भाजपा समर्थक भी सरकार की कार्यशैली पर टिप्पणी करते दिखे। आम जनता के साथ अधिकारी व कर्मचारियों में चुनाव के परिणाम जानने की उत्सुकता दिखी। लोग मोबाइल व दफ्तर के कंप्यूटर में खबरों की लाइव देखते नजर आए।