विदेशी निवेश

शोध एवं विकास क्षेत्र में कुछ मान्य नियम/नियमनों, सुरक्षा और अन्य शर्तों के साथ स्वत: मंजूर मार्ग से शतप्रतिशत एफडीआई की अनुमति है। वर्ष 2021 में सिंगापुर शोध एवं विकास में निवेश करने वाला प्रमुख देश रहा। कुल निवेश प्रवाह में से 40 प्रतिशत अकेले सिंगापुर से आया। इसके बाद 35 प्रतिशत के साथ जर्मनी दूसरे और 11 प्रतिशत के साथ अमेरिका तीसरे स्थान पर रहा।
भारत में रिकॉर्ड विदेशी निवेश लेकिन लोग क्यों रहे बेरोजगार
इस साल भारत में आया प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 81.7 बिलियन डॉलर यानी 60 खरब रुपये से ज्यादा रहा है. पिछले साल विदेशी निवेश के मुकाबले इस साल FDI में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. और यह एक वित्तीय वर्ष में आया अब तक का सबसे ज्यादा FDI है.
भारत को मिले रिकॉर्ड विदेशी निवेश पर भारत सरकार का कहना है, "एफडीआई पॉलिसी में सुधार, निवेश के लिए सुविधाएं देने और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के मोर्चों पर सरकार की ओर से उठाए गए कदमों ने देश में आने वाले एफडीआई को बढ़ाया है." जानकारों के मुताबिक भारत जैसे विकासशील देशों में उद्योग-धंधे बढ़ाने और नौकरियां पैदा करने में एफडीआई का अहम रोल होता है. इससे देश के बुनियादी ढांचे का विकास भी होता है. हालांकि अब तक एफडीआई और नौकरियों के बीच सीधा संबंध नहीं बिठाया जा सका है.
कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी में विदेशी निवेश इकोनॉमिक्स की प्रोफेसर स्वप्नमयी पी पाटिल कहती हैं, "एफडीआई और नौकरियों के बीच संबंध जानने के लिए की गई रिसर्च में पाया गया है कि इनके बीच कोई सीधा संबंध नहीं होता." यानी विदेशी निवेश ऐसा नहीं कहा जा सकता कि इतना एफडीआई आने पर इतनी विदेशी निवेश नौकरियां पैदा होंगी. लेकिन इससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर नौकरियां जरूर पैदा होती हैं. प्रोफेसर पाटिल कहती हैं, "नौकरियों की संख्या देश के आकार और इस तथ्य पर निर्भर करती हैं कि इंवेस्टमेंट किस क्षेत्र में आ रहा है."
ज्यादा विदेशी निवेश बाजार में लाएगा ज्यादा अस्थिरता
ज्यादातर पश्चिमी मुल्क इंफ्रास्ट्रक्चर, टेक्नोलॉजी और कंज्यूमर आधारित सेक्टर पर जोर दे रहे हैं. इसका सीधा अर्थ यह है कि उभरते हुए बाजारों में निजी निवेश कम होने की आशंकाएं हैं. इसके अलावा डेट (बॉन्ड जैसे निवेश इंस्ट्रूमेंट) में भी एफपीआई निवेश पर कुछ अंकुश लगा हुआ है.
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने हाल ही में एफपीआई को कम अवधि वाली सरकारी सिक्योरिटीज और कॉर्पोरेट बॉन्ड में निवेश करने की अनुमति प्रदान की है. एफपीआई की सीमा को 1 लाख करोड़ रुपये से बढ़ा दिया गया है.
इसके तीन लाभ होंगे. जो इस प्रकार हैं:
- इससे डॉलर आए बढ़ेगी और रुपये में स्थिरता आएगी तथा भुगतान संतुलन में सुधार होगा.
- डेट में अधिक निवेश से कॉर्पोरेट डेट बाजार में तेजी आएगी. इससे कंपनियों की कर्ज की जरूरत कम होगी. साथ ही बैंक के एनपीए की समस्या भी हल हो सकती है. इसके अलावा कॉर्पोरेट बॉन्ड बाजार भी मजबूत होगा
- अधिक फंड होने से सरकारी सिक्योरिटीज की यील्ड कम होगी. मौजूदा सयम में यील्ड काफी अधिक है, जिसका अर्थ यह है कि रिजर्व बैंक ब्याज दरों में कटौती नहीं करेगा. इस स्थिति में 10 साल के बॉन्ड की यील्ड 7.7 फीसदी से 7.9 फीसदी तक पहुंच गई है.
विदेशी निवेश सुविधा पोर्टल के जरिए पांच वर्षों में हुआ 853 एफडीआई प्रस्तावों का निपटारा
वाणिज्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि एफआईपीबी को खत्म करने के बाद एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) नीति और फेमा (विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम) के तहत विदेशी निवेश के लिए सरकार की मंजूरी संबंधित मंत्रालयों / विभागों को सौंपी गई थी।
मंत्रालय के तहत उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) को नोडल विभाग बनाया गया था।
बयान में कहा गया विदेशी निवेश कि एफआईपीबी को खत्म करने के बाद से एफआईएफपी के जरिए 853 एफडीआई प्रस्तावों का निपटारा किया गया है।
एफडीआई प्रस्तावों को अब केवल इस पोर्टल पर ‘अपलोड’ करने की जरूरत है। इस पोर्टल का प्रबंधन डीपीआईआईटी करता है।
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.
एफडीआई (FDI) क्या होता हैकिसी भी देश की विकास की स्थिति उस देश की अर्थव्यवस्था पर निर्भर करती है | इसके लिए उस देश को अन्य देशों का विश्वास जीतना जरूरी होता है | ज्यादातर देशों कानून सरल और लचीला बनाया जाता है, जिससे विदेशी निवेशक उस देश में निवेश के लिए आकर्षित हो सके और अपना निवेश उस देश ज्यादा से ज्यादा करे | सभी देशों में निवेश करने के लिए कानून भी बनाया जाता है, जिससे देश की आर्थिक स्थिति मजबूत हो सके और निवेशक भी लाभ प्राप्त कर सके |
इसके लिए भारत में भी एक संस्था एफडीआई (FDI) की शुरुआत की गयी है, जिससे की देश में विदेशी निवेश में बढ़ावा मिले और देश को आर्थिक स्थिति को मजबूती मिल सके | एफडीआई (FDI) क्या होता है, एफडीआई का फुल फॉर्म क्या है, FDI के फायदे और नुकसान क्या है इसके बारे में जानना चाहते है तो यहां पर इसकी जानकारी उपलब्ध कराई गई |
एफडीआई (FDI) का फुल फॉर्म
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एफडीआई (विदेशी निवेश FDI) का फुल फॉर्म “Foreign Direct Investment” होता है, विदेशी निवेश विदेशी निवेश इसका उच्चारण ‘फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट’ होता है, तथा हिंदी में इसे “प्रत्यक्ष विदेशी निवेश” कहा जाता है | इस संस्था द्वारा भारत विदेशी निवेश को सहमति प्रदान की जाती है | इस संस्था के द्वारा बनाये हुए नियमों को किसी भी विदेशी निवेशक के द्वारा पालन करने पर ही उसे देश में व्यापार करने या किसी संस्था को खोलने की अनुमति प्राप्त होती है |
एफडीआई (विदेशी निवेश FDI) के प्रकार
एफडीआई (FDI) मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं-
- ग्रीन फील्ड निवेश
- पोर्टफोलियो निवेश
ग्रीन फील्ड निवेश
इसके नियम के तहत दूसरे देश में एक नई कम्पनी की स्थापना की जा सकती है |
पोर्टफोलियो निवेश
पोर्टफोलियो निवेश के अन्तर्गत किसी भी विदेशी कंपनी के शेयर खरीदे जाते हैं या फिर उसके स्वामित्व वाले विदेशी कंपनी का अधिग्रहण भी किया जा सकता है।
एफडीआई (FDI) के नियम
- चिंताजनक उद्द्यमों के प्रबंधन में शामिल होने के लिए आदेश में मौजूदा विदेशी उद्यमों के शेयरों का अधिग्रहण हो सकता है।
- मौजूदा उद्यम और कारखानों पर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश किया जा सकता है।
- 100% स्वामित्व के साथ एक नई सहायक कंपनी विदेशों में स्थापित की जा सकती है।
- यह शेयर धारिता के माध्यम से एक संयुक्त उद्यम में शामिल हो सकते है।
- नई विदेशी शाखाओं, कार्यालयों और कारखानों को भी स्थापित किया जा सकता विदेशी निवेश है।
- वर्तमान में उपलब्ध विदेशी शाखाओं और कारखानों को विस्तारित किया जा सकता है।
- अल्पसंख्यक शेयर अधिग्रहण,उद्देश्य उद्यम के प्रबंधन में शामिल किये जाने का प्रावधान है।
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