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प्रवृत्ति के खिलाफ व्यापार

प्रवृत्ति के खिलाफ व्यापार
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस को पता चला था कि सुरेलिया सर्कल के पास विष्णु नगर सोसायटी के एक मकान में रहने वाली महिला निरूबेन उर्फ पिंकी अपने ही घर में देह व्यापार का काला कारोबार कर रही थी। वह अपने यहां बाहर से महिलाओं को बुलाती और सुबह 11:00 से शाम 5:30 बजे तक रखती और ग्राहकों को खोज कर घर पर बुलाया जाता। देह व्यापार में शामिल होने वाली महिलाओं को प्रति ग्राहक ₹200 दिए जाते थे।

अहमदाबाद : घर के अंदर ही चल रहा था देह व्यापार अड्डा; महिलाओं को बुलाया जाता, दिन भर रखा जाता और ग्राहक ढूंढे जाते!

अहमदाबाद के रामोल इलाके में रबारी कॉलोनी में रहने वाली एक महिला अपने ही मकान में गैरकानूनी रूप से देह व्यापार का अड्डा चला रही थी। पुलिस को इस गैरकानूनी काम के बारे में जब सूचना मिली तो शनिवार 7 मई के दिन पुलिस ने जाल बिछाकर इस पूरे कांड का पर्दाफाश कर दिया।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस को पता चला था कि सुरेलिया सर्कल के पास विष्णु नगर सोसायटी के एक मकान में रहने वाली महिला निरूबेन उर्फ पिंकी अपने ही घर में देह व्यापार का काला कारोबार कर रही थी। वह अपने यहां बाहर से महिलाओं को बुलाती और सुबह 11:00 से शाम 5:30 बजे तक रखती और ग्राहकों को खोज कर घर पर बुलाया जाता। देह व्यापार में शामिल होने वाली महिलाओं को प्रति ग्राहक ₹200 दिए जाते थे।

इस मामले में जब पुलिस ने जाल बिछाया तो एक डमी ग्राहक को ₹500 का नोट देकर घर में भेजा गया। पुलिस ने पहले ही उस ₹500 के नोट का नंबर दर्ज कर लिया था और सोसाइटी के 5 व्यक्तियों को साथ लेकर छापे का तख्ता तैयार कर लिया गया था। जब डमी ग्राहक ने घर के अंदर से इशारा किया तो पुलिस ने छापा मारा और घर से निरूबेन के अलावा नडियाद की रहने वाली एक 45 वर्षीय महिला को पकड़ा। इन दो महिलाओं के अलावा उस वक्त घर में और कोई नहीं था। पुलिस ने महिला के ब्लाउज में से डमी ग्राहक द्वारा दिए गए ₹500 के नोट के अलावा ₹100 के अन्य 10 नोट भी बरामद किए, जो उस महिला की उस दिन के दिन की कमाई थी।

फिलहाल पुलिस ने महिला के खिलाफ इम्मोरल ट्रेफिक एक्ट की धारा 3, 4, 5 और 7 के अंतर्गत मामला दर्ज करके कानूनी कार्यवाही शुरू की है। देह व्यापार की प्रवृत्ति करने वाली महिला को फिलहाल गिरफ्तार नहीं किया गया है और उसके कोविड-19 रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्यवाही की जाएगी।

(यौन उत्पीड़न के मामलों में सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के अनुरूप पीड़िता की निजता का सम्मान करते हुए उनकी पहचान उजागर नहीं की गई है।)

भारतीय राष्ट्रीय राजनीति में अलगाववादी प्रवृत्तियां

भारतीय राष्ट्रीय राजनीति में अलगाववादी प्रवृत्तियों के विस्तार की मुख्य वजह अल्पसंख्यक मुसलमानों द्वारा बहुसंख्यक हिन्दुओं के व्यापार, उद्योग, सरकारी नौकिरियाँ, शिक्षा तथा व्यवसाय में प्रभुत्व के विरोध-स्वरूप विकसित हुआ। अंग्रेजों के आने पर मुसलमानों को राजनैतिक सत्ता के साथ-साथ आर्थिक तथा सामाजिक क्षति भी उठानी पङी। 1857 की क्रांति की असफलता ने मुसलमानों को और नुकसान पहुँचाया। सरकारी नौकरियों में अंग्रेजी भाषा को और नुकसान पहुँचाया। सरकारी नौकिरियों में अंग्रेजी भाषा की अनिवार्यता की वजह से उनकी क्रमशः कम होती गयी। पश्चिमी ज्ञान का विरोध, व्यापार तथा उद्योग से विमुखता और सामंती प्रवृत्तियों की बहुलता की वजह से वो लोग पिछङ गए।

अलगाववादी प्रवृत्तियां

देश की अर्थव्यवस्था के पिछङेपन ने भी अलगाववादी प्रवृत्तियों को बढावा दिया। बेरोजगारी भी एक विकट समस्या थी, जिसकी वजह से कम नौकरियों के लिये ज्यादा मारा-मारी थी। बहुत से लोगों ने इसका निदान प्रवृत्ति के खिलाफ व्यापार साम्प्रदायिक, क्षेत्रिय तथा जातिय आधार पर नौकिरियों में आरक्षण के रूप में किया।

सर सैयद अहमद खान द्वारा शुरू किए गए शिक्षा आंदोलन ने मुसलमानों की अपनी सम्प्रदाय के प्रति हीन भावना को और बढाया। हिन्दू विचारकों ने भारत को भारतीयों के लिये का नारा बुलंद किया अर्थात् बहुसंख्यकों का राज्य। ज्यादातर मुसलमानों ने भारतीय गणतंत्र के इस राष्ट्रवादी स्वरूप को नकार दिया, जिसमें मुसलमानों की सुरक्षा के प्रति कोई प्रावधान नहीं किया गया। फलस्वरूप राष्ट्रवादियों या हिन्दूविरोधी गतिविधियों का नया चरण शुरू हुआ।

स्कूलों और महाविद्यालयों में इतिहास शिक्षण पद्धति ने भी सम्प्रदायवादी विचारों को प्रबल बनाया। अंग्रेज तथा भारतीय इतिहासकारों ने मध्यकाल को मुस्लिमकाल तथा प्राचीनकाल को हिन्दूकाल के नाम से प्रचारित किया। इतिहास के प्रति इस साम्प्रदायिक रवैये ने अलगाववादी प्रवृत्तियों को भङकाया।

राष्ट्रीय एकता को छोङकर बाकी सब क्षेत्रों में उग्रवाद तथा क्रांतिकारी आतंकवाद ने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। उग्रपंथी तथा क्रांतिकारी आतंकवाद ने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। उग्रपंथी तथा क्रांतिकारियों के लेखन और भाषण में एक प्रबल हिन्दू धार्मिक स्वर सुनाई पङता है। उन्होंने प्राचीन भारतीय संस्कृति को बढावा देते हुये मध्यकालीन भारतीय संस्कृति का बहिष्कार किया। इससे यह बिल्कुल नहीं समझना चाहिये की उग्रपंथी मुस्लिम विरोधी थे और न ही पूर्णत साम्प्रदायिक। इनमें ज्यादातर हिन्दू-मुस्लिम एकता के हिमायती थे, फिर भी उनके राजनैतिक लेखन और विचारों में हिन्दू धर्म उन्मुखता को नकारा नहीं जा सकता।

स्वरूप तथा विस्तार

1906 ई. में ऑल इंडिया मुस्लिम लीग की स्थापना के साथ ही मुसलमानों के एक वर्ग में अलगाववादी प्रवृत्तियाँ अपने चरम पर पहुँची। लीग ने बंगाल विभाजन का समर्थन किया तथा मुसलमानों की सुरक्षा के प्रति विशेष प्रावधानों की मांग की। उसके बाद पृथक निर्वाचन की मांग भी पूरी करवा ली। विकसित होते हुये राष्ट्रीय आंदोलन के खिलाफ अंग्रेजों ने लीग में अपना एक महत्त्वपूर्ण समर्थक पाया।

देखा जाय तो मुस्लिम लीग के समकक्ष कोई भी हिन्दू सम्प्रयायिक पार्टी विकसित नहीं हुई थी तथापि साम्प्रदायिक भावनाओं का जोर बढ रहा था।बहुत से हिन्दू लेखकों और राजनीतिज्ञों ने हिन्दू राष्ट्रवाद की बातचीत भी शुरू की प्रवृत्ति के खिलाफ व्यापार तथा मुसलमानों को विदेशी भी घोषित किया। 1925 में मदनमोहन मालवीय द्वारा हिन्दू महासभा की स्थापना के साथ ही हिन्दू राष्ट्रवाद का संस्थागत विकास देखने को मिलता है। उसके बाद 1925 में आर.एस.एस. की स्थापना से संस्थागत हिन्दू सम्प्रदायिक को बढावा मिला। हिन्दू सम्प्रदायिक ताकतों में मुस्लिम सम्प्रदायिक ताकतों की प्रतिध्वनि सुनने को मिलती है और दो राष्ट्रों की अवधारणा को समर्थन भी दिया।

अपने-अपने सम्प्रदायों की आर्थिक, सामाजिक तथा राजनैतिक विकास की बहुत ही संकीर्ण स्वतेन्द्रित नजरिए से देखते हुए अपने हितों की बात शुरू की। यह प्रवृत्ति ब्रिटिशों द्वारा फूट डालो और राज करो की नीति के द्वारा और ज्यादा प्रज्जवलित की गयी। ब्रिटिश राजनीतिज्ञ भारत में अपने साम्राज्य के स्थायित्व के प्रति चिंतित थे। राष्ट्रीय एकता को भंग करने के लिये उन्होंने धर्म का सहारा लिया। 1905 का बंगाल विभाजन तथा 1906 के सुधारों द्वारा पृथक निर्वाचन मंडल को मान्यता, अंग्रेजों की फूट डालो और राज्य करो की नीति को साफ दर्शाती है।

कांग्रेस के खिलाफ एकजुट होने में साम्प्रदायिक ताकतें कभी नहीं हिचकी। सरकार समर्थक रुख अपना लेना इनकी दूसरी महत्त्वपूर्ण राजनैतिक प्रवृत्ति थी। विदेशी ताकतों से युद्ध में साम्प्रदायिक ताकतों ने कभी हिस्सा नहीं लिया। सबसे महत्त्वपूर्ण यह है कि इन्होंने कभी भी जनमानस की मांगों का प्रवृत्ति के खिलाफ व्यापार प्रतिनिधित्व नहीं किया। यह अन्य वर्ग की संस्था के रूप में जन्मे और उन्हीं का प्रतिनिधित्व करते रहे।

उज्ज्वला गृह की आड़ में देह व्यापार का मामला, संचालक की हुई गिरफ्तारी, जांच की कार्रवाई जारी

रायपुर। उज्ज्वला गृह बिलासपुर के संचालक के खिलाफ गंभीर प्रकृति की शिकायत प्राप्त होने पर पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया है. उज्ज्वला गृह बिलासपुर का संचालन एनजीओ शिवमंगल शिक्षण समिति द्वारा वर्ष 2014 से किया जा रहा है. 17 जनवरी की रात संस्था में निवासरत 3 महिलाओं और संस्था संचालक द्वारा एक दूसरे के खिलाफ सरकंडा थाने में शिकायत दर्ज की गई. संस्था में हुए घटनाक्रम की जांच संचालक महिला बाल विकास, संयुक्त संचालक महिला बाल विकास एवं सहायक संचालक महिला बाल विकास द्वारा जांच की गई है. महिलाओं द्वारा संस्था संचालक एवं संस्था के कर्मचारियों के विरुद्ध की गई शिकायत गंभीर प्रवृत्ति की होने के कारण उच्चाधिकारियों द्वारा त्वरित निर्णय लेते हुए संस्था में निवासरत शेष 7 महिलाओं को उनके परिजन एवम अन्य संस्था में स्थानांतरित किया गया है. इसके साथ ही वर्तमान में संस्था में किसी भी महिला के रहने पर रोक लगा दी गई है.

उज्ज्वला गृह बिलासपुर के संबंध में विभाग को लैंगिक उत्पीड़न संबंधी कोई भी शिकायत प्राप्त नहीं हुई है. संस्था का समय-समय पर अधिकारियों द्वारा निरीक्षण किया जाता रहा है. संस्था को इस वित्तीय वर्ष में अनुदान नहीं प्रवृत्ति के खिलाफ व्यापार दिया गया है. 17 जनवरी की रात बिलासपुर सरकंडा स्थित उज्जवला होम में विवाद होने के बाद थाना सरकंडा में पीड़ितों की रिपोर्ट पर उज्जवला होम के स्टाफ द्वारा जबरदस्ती वहां रखे जाने, मारपीट करने इत्यादि के आरोप पर उज्जवला होम के स्टाफ के खिलाफ अपराध क्रमांक 79/21 धारा 342, 294, 323 आईपीसी की एफआईआर दर्ज कर विवेचना प्रारंभ की गई थी. 4 महिलाओं का आज कोर्ट में 164 का बयान दर्ज कराया गया. बयान में धारा 376 और 354 आईपीसी के कंटेंट आने पर जितेंद्र मौर्य के खिलाफ धाराएं जोड़कर उसे गिरफ्तार कर लिया गया है. विवेचना जारी है.

नोएडा: यमुना खादर डूब क्षेत्रों में बने अवैध फार्म हाउस पर चला प्राधिकरण का बुल्डोजर

यमुना खादर के डूब क्षेत्र में बने अवैध फार्म हाउस पर एक बार फिर नोएडा प्राधिकरण का बुल्डोजर चला है. बुधवार प्रवृत्ति के खिलाफ व्यापार सुबह हुई कार्रवाई में प्राधिकरण ने अब तक दर्जनभर फार्म हाउसों को जमींदोज कर दिया है.

अप्रैल में प्राधिकरण ने अवैध फार्म हाउसों के खिलाफ अभियान छेड़ा था. मामला कोर्ट में जाने के बाद तोड़फोड़ की कार्रवाई रोक दी गई थी, जिसे एक बार फिर शुरू कर दिया गया है.

प्राधिकरण की टीम लगातार भूमाफियाओं के खिलाफ कार्रवाई कर रही है. यमुना खादर डूब क्षेत्र में बुधवार को प्राधिकरण के अधिकारी भारी पुलिस फोर्स और दलबल के साथ पहुंचे. यहां हजारों की संख्या में अवैध फार्म हाउस बने हुए हैं. प्राधिकरण ने यहां दो बार पहले भी अवैध फार्म हाउस को जमींदोज किया था.

माना जाता है कि नोएडा के सेक्टर 135 और सेक्टर 150 में रसूखदारों के फार्म हैं, इसलिए प्राधिकरण कार्रवाई से बचती थी. हालांकि, पिछले दिनों अप्रैल माह में प्राधिकरण ने अवैध फार्म हाउस के खिलाफ अभियान छेड़ा था, जिसके बाद फार्म हाउस ऑनर इलाहाबाद हाई कोर्ट चले गए थे.

कोर्ट ने प्राधिकरण से फार्म हाउस ऑनर की आपत्तियां सुनने तक कार्रवाई पर रोक लगा दिया था. फार्म हाउस ऑनर की आपत्तियां सुनने के बाद एक बार फिर अवैध फार्म हाउसों पर बुल्डोजर की कार्रवाई शुरू कर दी है. बता दें कि इस इससे पहले सेक्टर 135, सेक्टर प्रवृत्ति के खिलाफ व्यापार 150 और सेक्टर 168 में बने 100 से अधिक फार्म हाउस पर प्राधिकरण बुल्डोजर चला चुका है.

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