वित्त मूल बातें

दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं का यह शिखर सम्मेलन भारत के लिए काफी अहम है। इस सम्मेलन के समापन समारोह में इंडोनेशिया G-20 की अध्यक्षता भारत को सौंपेगा। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10 देशों के नेताओं के साथ बैठक कर अर्थव्यवस्था, ऊर्जा, पर्यावरण और डिजिटल परिवर्तन जैसे मुद्दों पर चर्चा करेंगे। इसके अलावा वह उन देशों से भारत के द्विपक्षीय संबंधों की प्रगति की समीक्षा भी करेंगे। उनके राष्ट्रपति बाइडन और प्रधानमंत्री सुनक से भी मिलने की संभावना है।
कोप 27: अफ्रीकी कलीसियाई नेताओं ने जलवायु न्याय की मांग की
जलवायु परिवर्तन के बारे में चिंतित अफ्रीकी कलीसिया के वरिष्ठ नेताओं और काथलिक संगठनों ने कोप-27 के दौरान शार्म अल शेख में जलवायु न्याय की वकालत करने के लिए प्रार्थना करने और व्यावहारिक कार्यों को समझने के लिए बैठक वित्त मूल बातें की।
माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी
शार्म अल शेख, बुधवार 16 नवम्बर 2022 (वाटिकन न्यूज) : शमन, अनुकूलन और जलवायु वित्त जैसे प्रमुख मुद्दों पर पूरे जोरों पर बातचीत मिस्र के शार्म अल शेख में कोप-27 अभी भी चल रहा है, अफ्रीकी कलीसिया के नेताओं और काथलिक संगठनों ने नुकसान के लिए मुआवजे की व्यवस्था की मांग करते हुए अपनी आवाज उठाई है और जलवायु परिवर्तन से विकासशील देशों को पहले ही नुकसान हो चुका है।
उन्होंने संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन के पहले सप्ताह के अंत में मिस्र के शहर में एक संयुक्त बैठक के दौरान यह बात कही, जिसमें ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को तेजी से कम करने, लचीलेपन को बढ़ावा देने और विकासशील देशों को इसके लिए धन उपलब्ध कराने के लिए ठोस कार्य योजना देने की उम्मीद है। जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप पहले से ही हानि और क्षति दोनों हो रही है।
कोप-27 के सौदे में हानि और क्षति के लिए वित्त शामिल हो
शार्म अल शेख में शांति की माता मरिया पल्ली में आयोजित काथलिक सभा में बोलते हुए, किंशासा के कार्डिनल अंबोंगो, अफ्रीका और मेडागास्कर (एसईसीएएम) धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के उपाध्यक्ष और न्याय, शांति और विकास आयोग के अध्यक्ष ने नोट किया कि "जलवायु परिवर्तन पूरे अफ्रीका में लाखों लोगों के लिए एक जीवित वास्तविकता है" और उन्होंने जोर देकर कहा कि "कोप-27 के सौदे में नुकसान और क्षति के लिए वित्त शामिल होना चाहिए, जो उन देशों के लिए मुआवजा है जो पहले से ही जलवायु प्रभावों से पीड़ित हैं लेकिन वे इसके उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार नहीं है।"
जलवायु परिवर्तन पहले से ही गरीब देशों में भोजन की पहुंच को प्रभावित कर रहा है
अंतरराष्ट्रीय कारितास के वरिष्ठ अधिवक्ता अधिकारी मुसाम्बा मुबांगा ने उनके शब्दों का समर्थन किया, जिन्होंने टिप्पणी की कि "दुनिया भर के कारितास सदस्य पहले से ही विनाशकारी प्रभाव देख रहे हैं कि जलवायु संकट दुनिया के पहले से ही भूखे हिस्सों में पहुंच बना रहा है"।
जलवायु संकट न्याय और शांति का मुद्दा
प्रतिभागियों ने कमजोर देशों और युवाओं के लिए मुआवजा तंत्र स्थापित करने के लिए जलवायु संकट के लिए जिम्मेदार अमीर देशों के नैतिक कर्तव्य पर जोर दिया।
स्कॉटिश काथलिक इंटरनेशनल एड फंड के पार्टनर एडवोकेसी ऑफिसर (एससीआईएएफ) और अफ्रीकी जलवायु संवाद संचालन समिति के सदस्य बेन विल्सन ने कहा, “जलवायु संकट मूल रूप से न्याय और शांति का मुद्दा है। यदि प्रदूषक जलवायु विनाश से लाभान्वित होते रहें, जबकि लोग पीड़ित हैं, तो कोई शांति नहीं हो सकती है, और जलवायु परिवर्तन के लिए शांति-आधारित समाधानों को बढ़ावा दिए बिना कोई न्याय नहीं हो सकता है।"
कोप-27 को कार्रवाई के एक पैकेज के लिए सहमत होना चाहिए जो उन लोगों को वित्त प्रदान करता है जिन्हें इस आपात स्थिति की अग्रिम पंक्ति में इसकी तत्काल आवश्यकता है।
बाली में कल से शुरू होगा G-20 का शिखर सम्मेलन, जानिए इससे जुड़ी प्रमुख बातें
G-20 समूह का दो दिवसीय वार्षिक शिखर सम्मेलन मंगलवार से इंडोनेशिया के बाली में शुरू होगा। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित दुनिया के वित्त मूल बातें 20 प्रमुख देशों के नेता एकत्र होंगे। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी दुनिया के 10 प्रमुख देशों के शीर्ष नेताओं से मुलाकात कर स्वास्थ्य, महामारी वित्त मूल बातें के बाद अर्थव्यवस्था के उबरने सहित प्रमुख वैश्विक चुनौतियों का समाधान के लिए भारत के दृष्टिकोण को सामने रखेंगे। आइए G-20 से जुड़ी प्रमुख बाते जानते हैं।
G-20 में भारत, अर्जेंटीना, चीन, जापान, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, फ्रांस, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, इंडोनेशिया, इटली, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका और यूरोपीय संघ शामिल हैं। इन देशों में दुनिया की दो तिहाई आबादी रहती है और ये दुनिया की GDP का 85 फीसदी हिस्सा बनाते हैं। इसे G-7 के विस्तार के रूप में देखा जाता है और दिसंबर, 1999 में गठन के बाद बर्लिन में पहली बार G-20 समूह की बैठक हुई थी।
वर्ष 2014 के पहले और 2014 के बाद के भारत में बहुत बड़ा फर्क है: मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने बाली के नुसा दुआ में जी20 शिखर सम्मेलन से कुछ समय निकाला और कुछ किलोमीटर दूर सुनूर के एक होटल बॉलरूम पहुंचे, जहां प्रवासी भारतीय समुदाय के सदस्यों ने ‘‘मोदी, मोदी’’ के नारों से उनका स्वागत किया।
मोदी ने प्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुए कहा कि 21वीं सदी में भारत दुनिया के लिए आशा की एक किरण है। उन्होंने भारत की विकास गाथा, इसकी उपलब्धियों और भारत द्वारा विभिन्न क्षेत्रों जैसे – डिजिटल प्रौद्योगिकी, वित्त, स्वास्थ्य, दूरसंचार और अंतरिक्ष में हासिल की जा रही जबरदस्त प्रगति पर भी प्रकाश डाला।
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि विकास के लिए भारत की विस्तृत रूपरेखा में दुनिया की राजनीतिक और आर्थिक आकांक्षाएं शामिल हैं और आत्मनिर्भर भारत की दृष्टि वैश्विक वित्त मूल बातें भलायी की भावना का प्रतीक है।
G-20 summit: बाली में भारतीय मूल के लोगों से बोले PM मोदी- आज भारत छोटा सोचता ही नहीं है
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो दिवसीय जी- 20 शिखर सम्मेलन के दौरान बाली में भारतीय समुदाय के लोगों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि जिस जगह के साथ भारत का हजारों वर्षों से रिश्ता रहा हो , जहां सैकड़ों पीढ़ियां गुजर गई , लेकिन जहां के लोगों ने अपनी परंपरा को जीवित रखा वहां के लोग , उस धरती पर आकर एक अलग ही आनंद मिलता है। पीएम मोदी ने कहा कि कई पीढ़ियां गुजर गईं लेकिन आपने कभी भी अपनी परंपरा को ओझल नहीं होने दिया।
पीएम मोदी ने कहा कि जब मैं आपको यहां संबोधित कर रहा हूं तो यहां से 1500 किलोमीटर दूर भारत के कटक में बाली जात्रा का उत्सव मनाया जा रहा है। जो भारत और इंडोनेशिया के संबंधों का परिचायक है।
The accomplishments of Indian diaspora make us proud. Addressing a community programme in Bali, Indonesia. https://t.co/2VyKTGDTVA
भाजपा कर रही संघात्मक शासन प्रणाली पर हमला : जदयू
पटना/ (पंजाब केसरी): जनता दल यूनाईटेड के प्रदेश प्रवक्ता पूर्व विधान पार्षद डा रणवीर नंदन एवं प्रदेश प्रवक्ता परिमल कुमार ने रविवार को प्रदेश कार्यालय में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए केंद्र की मोदी सरकार पर जोरदार हमला बोलते हुए कहा कि जब से यह सरकार केंद्र की सत्ता में आई है, तब से यह सरकार देश के संघीय ढाँचे पर लगातार हमला कर रही है, साथ ही सरकारी प्रावधानों में लगातार बदलाव करके देश के संविधान के मूल स्वरूप पर भी चोट कर रही है। प्रवक्ताओं ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा संवैधानिक व्यवस्था पर कुठाराघात का ताजा उदाहरण संसद की स्थायी समितियों में विपक्ष की उपेक्षा, समिति में ले जाए सकने वाले मुद्दों को समिति के पास ना ले जाकर मनमानी फैसले करना, समिति की बैठकों को कम करना और सबसे महत्वपूर्ण केंद्र - राज्य के संबंधो के लिए तय विषय वस्तु को हटाना है।