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सोने के गहनों, ईटीएफ और बॉन्ड में निवेश करना है तो जान लें ये जरूरी बातें और टैक्स नियम

वित्तीय सलाहकारों का कहना है कि हाथ में सोना नकदी का अच्छा विकल्प है

सोने के गहनों, ईटीएफ और बॉन्ड में निवेश करना है तो जान लें ये जरूरी बातें और टैक्स नियम

सोना और गहनों के साथ महिलाओं का खासा संबंध रहा है.

खास बातें

  • मेकिंग चार्जेज पर जरूर करनी चाहिए बात
  • एसजीबी सोने में निवेश पर ब्याज देते हैं
  • ईटीएफ एक प्रकार से म्यूचुअल फंड की तरह है.

अकसर देखा जाता है कि लोग सोने में निवेश इसलिए भी करते हैं क्योंकि यह न केवल एक बेहतर विकल्प बल्कि समय पर इसे आसानी से नकद में बदला भी जा सकता है. वित्तीय सलाहकारों का कहना है कि हाथ में सोना नकदी का अच्छा विकल्प है संबंधित ETFs तो गोल्ड में डिमैट के जरिए निवेश जैसे ईटीएफ (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) और एसजीबी (सोवरिन गोल्ड बॉन्ड) कीमत लगातार बनाए रखता है. जो भी लोग सोने में निवेश करना चाहते हैं वह खरीदने के लिए अकसर सही समय देखते हैं. यह जरूरी है कि इसके लिए टैक्स कानून की भी समझ हो.

जानकारों का कहना है कि सोना केवल संबंधित ETFs बाजार की भावनाओं के आधार पर नहीं लेना चाहिए. सबसे पहले हमें तीन बेसिक बातों के बारे में जानना चाहिए. सोने, गोल्ड ईटीएफ और गोल्ड बॉन्ड को समझना भी जरूरी है.

फिजिकल गोल्ड को ऐसा सोना के तौर पर समझा जाए जैसे कि हमने अपने हाथ में सोना ले लिया है. यानि फिजिकल गोल्ड. यह सोने का सिक्का हो सकता है, सोने का गहना हो सकता है. ऐसा सोना वर्तमान सोने के दाम और सोने के गहने या सिक्का बनाने के दाम जिसे मेकिंग चार्जेज कहते के साथ खरीदा जा सकता है. गहने बनाने का चार्ज सोनार लेता है. वह अकसर खरीदार की पसंद के हिसाब से गहना तैयार करता है. बाद में सोने के वजन और मेहनताना के हिसाब से पैसे लेता है. यही मेकिंग चार्ज होता है जिसकी वजह से हम अकसर देखते हैं कि हर दुकान में एक गहना के दाम दूसरे की दुकान से अलग होता है.

बात गोल्ड ईटीएफ की. यह एक प्रकार से म्यूचुअल फंड की तरह है. फर्क केवल इतना है कि यहां जो भी निवेशक होते हैं उनका पैसा सोने में ही लगाया जाता है. दूसरे शब्दों में यहां पर सोना फिजिकल फॉर्म में नहीं होता बल्कि डीमैट फॉर्म में होता है. गोल्ड ईटीएफ के लिए डिमैट अकाउंट जरूरी है. दूसरे बात फिजिकल गोल्ड की तुलना में गोल्ड ईटीएफ का दाम कनसिस्टेंट होता है.

फिजिकल गोल्ड की अपेक्षा, सोने में निवेश दो तरह से किया जा सकता है. एक गोल्ड ईटीएफ और दूसरा गोल्ड बॉन्ड. एसजीबी (सोवरिन गोल्ड बॉन्ड) सोने में निवेश पर ब्याज देते हैं. यह हर 6 महीने में देय होता है. यह रेट 2.5 प्रतिशत होता है. गोल्ड बॉन्ड या कहें एसजीबी को आधिकारिक बैंकों से खरीदा जा सकता है. यह एनबीएफसी या फिर स्टॉक एक्सचेंज से भी लिया जा सकता है.

पांच जरूरी बातें जिन्हें ध्यान में रखना चाहिए यदि सोने में निवेश का मन है -

1. फिजिकल गोल्ड बनाम डिमैट गोल्ड
जो निवेशक फिजिकल गोल्ड में निवेश के इच्छुक है उन्हें मेकिंग चार्जेज पर ध्यान देना चाहिए. कम से कम मेकिंग चार्जेज के साथ खरीदें. कई बार देखा गया है कि सोनार मेकिंग चार्जेज में डिस्काउंट देता है. जानकारों का कहना है कि यह खासतौर पर त्योहारों के मौसम में होता है. यह अच्छा होगा कि सोनार से अलग-अलग गहनों पर मेकिंग चार्जेज के बारे में जानकारी ले ली जाए.

अरिहंत केपिटल मार्केट में कमोडिटीज के रिसर्च हेड ने एनडीटीवी से कहा कि अगर बाजार से सोना ले रहे हैं तब या तो सोना डिमैट फॉर्म में ले या फिर गोल्ड कॉयन में लें. बाजार के उतार-चढ़ाव से बचने के लिए निवेशक को अपना पैसा फिजिकल मार्केट या फ्यूचर मार्केट में भी थोड़ा पैसा लगाना चाहिए.

2. क्या सोने में निवेश करना चाहिए?
सोने में अकसर यह सोच कर निवेश किया जाता है कि यह निवेस में सबसे कम रिस्क का रास्ता है और सुरक्षित है. जानकारों का कहना है कि यही कारण है कि शेयर बाजार में निवेश या इससे संबंधित निवेश विकल्प की तुलना में विपरीत रिश्ता है. सोने में निवेश बाजार की भावनाओं के हिसाब से नहीं होना चाहिए. होना यह चाहिए कि व्यक्ति अपनी वित्तीय जरूरतों और पोर्टफोलियो के साइज के हिसाब से निवेश तय करे. 5nance.com के संस्थापक और सीईओ दिनेश संबंधित ETFs रोहिरा का कहना है कि सोना हमेशा से निवेश का सुरक्षित विकल्प रहा है. खासतौर पर पारिवारिक विपदा या फिर किसी बड़ी भू-राजनीतिक घटना के समय यह काम आता रहा है.

3. कौन सी खास बातों का रखें ध्यान
क्रेडिट एजेंसी केयर के रेटिंग्स एक्सपर्ट की राय में सोने का भाव अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 1350 डॉलर तक रहने की उम्मीद है. यह कम समय तक रहेगा. कुछ लंबे समय में मध्य एशिया, अमेरिकी सरकार के बढ़ते कर्ज और बढ़ती महंगाई दर, शेयर बाजार में खतरे और भू-राजनैतिक तनाव के चलते सोना के दाम को बल मिल सकता है. कटारिया का मानना है कि वर्तमान हालात को देखते हुए कहा जा सकता है कि अगले डेढ़ साल में सोने के दाम बढ़ने के ही आसार हैं. किसी को भी मिड टर्म आउटलुक के साथ सोने में निवेश करना चाहिए. यह भी कम से डेढ़ साल से दो साल के लिए ठीक होगा.

4. क्या सोना खरीदने के लिए यह सही समय है?
कई जानकारों की सलाह कि विपत्ति के समय सोना कारगर विकल्प है. बाजार के उतार-चढ़ाव, महंगाई और अस्थिरता के समय भी सोने में निवेश फायदेमंद होता है. रोहिरा का कहना है कि पिछले पांच सालों में सोना फ्लैट ही रहा है कि लेकिन अब बनती परिस्थितियों के चलते पॉजिटिव मोमेंटम बना है. महंगाई दर कम होने से सोना एक अच्छा विकल्प बना है और फिलहाल सोने में निवेश का सही समय है और यह निवेश पांच के लिए करने के मन के साथ किया जाना चाहिए.

सिल्वर ETF लाने के लिए सेबी ने बदले नियम, जानिए क्या है सिल्वर ETF

ट्रस्टीज को प्रति यूनिट एक वोट के आधार पर उपस्थित और मतदान करने वाले यूनिटधारकों के साधारण बहुमत से सहमति हासिल करनी होगी

बाजार नियामक सेबी ने चांदी एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (Silver ETF) की पेशकश के लिए नियमों में संशोधन किया है. इससे शेयर बाजारों के जरिये जिसों में निवेश के विकल्प बढ़ेंगे. सेबी ने कहा कि संबंधित ETFs सिल्वर ईटीएफ एक म्यूचुअल फंड स्कीम है जो मुख्य रूप से चांदी या चांदी से संबंधित साधनों में निवेश करती है.

  • News18Hindi
  • Last Updated : November 12, 2021, 08:39 IST

नई दिल्ली. बाजार नियामक सेबी ने चांदी एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (Silver ETF) की पेशकश के लिए नियमों में संशोधन किया है. इससे शेयर बाजारों के जरिये जिसों में निवेश के विकल्प बढ़ेंगे. इस समय भारतीय म्यूचुअल फंडों (Mutual funds) को सोने पर केंद्रित ईटीएफ पेश करने की अनुमति है. भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) की तरफ से गत मंगलवार को जारी एक अधिसूचना के अनुसार चांदी ईटीएफ की शुरुआत के लिए नियमों में बदलाव किए गए हैं.

सेबी ने कहा कि सिल्वर ईटीएफ एक म्यूचुअल फंड स्कीम है जो मुख्य रूप से चांदी या चांदी से संबंधित साधनों में निवेश करती है. सेबी ने कहा कि अगर कोई म्यूचुअल फंड स्कीम किसी भी एक्सचेंज ट्रेडेड कमोडिटी डेरिवेटिव्स में निवेश करती है तो वह अंडरलाइंग गुड्स यानी फिजिकल कमोडिटी को सेटलमेंट वाले कॉन्ट्रैक्ट में होल्ड कर सकती है.

सिल्वर ETF स्कीम में इन्वेस्टमेंट को लेकर शर्तें
सिल्वर ETF स्कीम में फिजिकल सिल्वर या सिल्वर रिलेटेड इंस्ट्रूमेंट को सेबी रजिस्टर्ड कस्टोडियन के पास जमा करना होगा. सिल्वर ईटीएफ स्कीम में इन्वेस्टमेंट को लेकर कुछ शर्तें भी संबंधित ETFs शामिल हैं. अगर कोई सिल्वर ईटीएफ में निवेश करता है तो फंड का इस्तेमाल केवल सिल्वर या सिल्वर रिलेटेड इंस्ट्रूमेंट में किया जाएगा. म्यूचुअल फंड कंपनी इस फंड का इस्तेमाल शॉर्ट टर्म में किसी बैंक में जमा कर भी कर सकती है.

जानिए क्या सिल्वर ETF का फायदा
सिल्वर ETF का सीधा मतलब है कि जैसे लोग स्टॉक को खरीदते और बेचते हैं, वैसे ही सिल्वर ETF की खरीद-बिक्री भी हो सकेगी. इससे सिल्वर में कमाई के मौके बढ़ जाएंगे. शेयर या स्टॉक में भी यही होता है कि कोई निवेशक जैसे फायदे का सौदा देखता है, वह बेचकर मुनाफा कमा लेता है. सिल्वर ईटीएफ के साथ भी ऐसा ही होगा.

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सोने के गहनों, ईटीएफ और बॉन्ड में निवेश करना है तो जान लें ये जरूरी बातें और टैक्स नियम

वित्तीय सलाहकारों का कहना है कि हाथ में सोना नकदी का अच्छा विकल्प है

सोने के गहनों, ईटीएफ और बॉन्ड में निवेश करना है तो जान लें ये जरूरी बातें और टैक्स नियम

सोना और गहनों के साथ महिलाओं का खासा संबंध रहा है.

खास बातें

  • मेकिंग चार्जेज पर जरूर करनी चाहिए बात
  • एसजीबी सोने में निवेश पर ब्याज देते हैं
  • ईटीएफ एक प्रकार से म्यूचुअल फंड की तरह है.

अकसर देखा जाता है कि लोग सोने में निवेश इसलिए भी करते हैं क्योंकि यह न केवल एक बेहतर विकल्प बल्कि समय पर इसे आसानी से नकद में बदला भी जा सकता है. वित्तीय सलाहकारों का कहना है कि हाथ में सोना नकदी का अच्छा विकल्प है तो गोल्ड में डिमैट के जरिए निवेश जैसे ईटीएफ (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) और एसजीबी (सोवरिन गोल्ड बॉन्ड) कीमत लगातार बनाए रखता है. जो भी लोग सोने में निवेश करना चाहते हैं वह खरीदने के लिए अकसर सही समय देखते हैं. यह जरूरी है कि इसके लिए संबंधित ETFs टैक्स कानून की भी समझ हो.

जानकारों का कहना है कि सोना केवल बाजार की भावनाओं के आधार पर नहीं लेना चाहिए. सबसे पहले हमें तीन बेसिक बातों के बारे में जानना चाहिए. सोने, गोल्ड ईटीएफ और गोल्ड बॉन्ड को समझना भी जरूरी है.

फिजिकल गोल्ड को ऐसा सोना के तौर पर समझा जाए जैसे कि हमने अपने हाथ में सोना ले लिया है. यानि फिजिकल गोल्ड. यह सोने का सिक्का हो सकता है, सोने का गहना हो सकता है. ऐसा सोना वर्तमान सोने के दाम और सोने के गहने या सिक्का बनाने के दाम जिसे मेकिंग चार्जेज कहते के साथ खरीदा जा सकता है. गहने बनाने का चार्ज सोनार लेता है. वह अकसर खरीदार की पसंद के हिसाब से गहना तैयार करता है. बाद में सोने के वजन और मेहनताना के हिसाब से पैसे लेता है. यही मेकिंग चार्ज होता है जिसकी वजह से हम अकसर देखते हैं कि हर दुकान में एक गहना के दाम दूसरे की दुकान से अलग होता है.

बात गोल्ड ईटीएफ की. यह एक प्रकार से म्यूचुअल फंड की तरह है. फर्क केवल इतना है कि यहां जो भी निवेशक होते हैं उनका पैसा सोने में ही लगाया जाता है. दूसरे शब्दों में यहां पर सोना फिजिकल फॉर्म में नहीं होता बल्कि डीमैट फॉर्म में होता है. गोल्ड ईटीएफ के लिए डिमैट अकाउंट जरूरी है. दूसरे बात फिजिकल गोल्ड की तुलना में गोल्ड ईटीएफ का दाम कनसिस्टेंट होता है.

फिजिकल गोल्ड की अपेक्षा, सोने में निवेश दो तरह से किया जा सकता है. एक गोल्ड ईटीएफ और दूसरा गोल्ड बॉन्ड. एसजीबी (सोवरिन गोल्ड बॉन्ड) सोने में निवेश पर ब्याज देते हैं. यह हर 6 महीने में देय होता है. यह रेट 2.5 प्रतिशत होता है. गोल्ड बॉन्ड या कहें एसजीबी को आधिकारिक बैंकों से खरीदा जा सकता है. यह एनबीएफसी या फिर स्टॉक एक्सचेंज से भी लिया जा सकता है.

पांच जरूरी बातें जिन्हें ध्यान में रखना चाहिए यदि सोने में निवेश का मन है -

1. फिजिकल गोल्ड बनाम डिमैट गोल्ड
जो निवेशक फिजिकल गोल्ड में निवेश के इच्छुक है उन्हें मेकिंग चार्जेज पर ध्यान देना चाहिए. कम से कम मेकिंग चार्जेज के साथ खरीदें. कई बार देखा गया है कि सोनार मेकिंग चार्जेज में डिस्काउंट देता है. जानकारों का कहना है कि यह खासतौर पर त्योहारों के मौसम में होता है. यह अच्छा होगा कि सोनार से अलग-अलग गहनों पर मेकिंग चार्जेज के बारे में जानकारी ले ली जाए.

अरिहंत केपिटल मार्केट में कमोडिटीज के रिसर्च हेड ने एनडीटीवी से कहा कि अगर बाजार से सोना ले रहे हैं तब या तो सोना डिमैट फॉर्म में ले या फिर गोल्ड कॉयन में लें. बाजार के उतार-चढ़ाव से बचने के लिए निवेशक को अपना पैसा फिजिकल मार्केट या फ्यूचर मार्केट में भी थोड़ा पैसा लगाना चाहिए.

2. क्या सोने में निवेश करना चाहिए?
सोने में अकसर यह सोच कर निवेश किया जाता है कि यह निवेस में सबसे कम रिस्क का रास्ता है और सुरक्षित है. जानकारों का कहना है कि यही कारण है कि शेयर बाजार में निवेश या इससे संबंधित निवेश विकल्प की तुलना में विपरीत रिश्ता है. सोने में निवेश बाजार की भावनाओं के हिसाब से नहीं होना चाहिए. होना यह चाहिए कि व्यक्ति अपनी वित्तीय जरूरतों और पोर्टफोलियो के साइज के हिसाब से निवेश तय करे. 5nance.com के संस्थापक और सीईओ दिनेश रोहिरा का कहना है कि सोना हमेशा से निवेश का सुरक्षित विकल्प रहा है. खासतौर पर पारिवारिक विपदा या फिर किसी बड़ी भू-राजनीतिक घटना के समय यह काम आता रहा है.

3. कौन सी खास बातों का रखें ध्यान
क्रेडिट एजेंसी केयर के रेटिंग्स एक्सपर्ट की राय में सोने का भाव अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 1350 डॉलर तक रहने की उम्मीद है. यह कम समय तक रहेगा. कुछ लंबे समय में मध्य एशिया, अमेरिकी सरकार के बढ़ते कर्ज और बढ़ती महंगाई दर, शेयर बाजार में खतरे और भू-राजनैतिक तनाव के चलते सोना के दाम को बल मिल सकता है. कटारिया का मानना है कि वर्तमान हालात को देखते हुए कहा जा सकता है कि अगले डेढ़ साल में सोने के दाम बढ़ने के ही आसार हैं. किसी को भी मिड टर्म आउटलुक के साथ सोने में निवेश करना चाहिए. यह भी कम से डेढ़ साल से दो साल के लिए ठीक होगा.

4. क्या सोना खरीदने के लिए यह सही समय है?
कई जानकारों की सलाह कि विपत्ति के समय सोना कारगर विकल्प है. बाजार के उतार-चढ़ाव, महंगाई और अस्थिरता के समय भी सोने में निवेश फायदेमंद होता है. रोहिरा का कहना है कि पिछले पांच सालों में सोना फ्लैट ही रहा है कि लेकिन अब बनती परिस्थितियों के चलते पॉजिटिव मोमेंटम बना है. महंगाई दर कम होने से सोना एक अच्छा विकल्प बना है और फिलहाल सोने में निवेश का सही समय है और यह निवेश पांच के लिए करने के मन के साथ किया जाना चाहिए.

सिल्वर ETF लाने के लिए सेबी ने बदले नियम, जानिए क्या है सिल्वर ETF

ट्रस्टीज को प्रति यूनिट एक वोट के आधार पर उपस्थित और मतदान करने वाले यूनिटधारकों के साधारण बहुमत से सहमति हासिल करनी होगी

बाजार नियामक सेबी ने चांदी एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (Silver ETF) की पेशकश के लिए नियमों में संशोधन किया है. इससे शेयर बाजारों के जरिये जिसों में निवेश के विकल्प बढ़ेंगे. सेबी ने कहा कि सिल्वर ईटीएफ एक म्यूचुअल फंड स्कीम है जो मुख्य रूप से चांदी या चांदी से संबंधित साधनों में निवेश करती है.

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  • Last Updated : November 12, 2021, 08:39 IST

नई दिल्ली. बाजार नियामक सेबी ने चांदी एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (Silver ETF) की पेशकश के लिए नियमों में संशोधन किया है. इससे शेयर बाजारों के जरिये जिसों में निवेश के विकल्प बढ़ेंगे. इस समय भारतीय म्यूचुअल फंडों (Mutual funds) को सोने पर केंद्रित ईटीएफ पेश करने की अनुमति है. भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) की तरफ से गत मंगलवार को जारी एक अधिसूचना के अनुसार चांदी ईटीएफ की शुरुआत के लिए नियमों में बदलाव किए गए हैं.

सेबी ने कहा कि सिल्वर ईटीएफ एक म्यूचुअल फंड स्कीम है जो मुख्य रूप से चांदी या चांदी से संबंधित साधनों में निवेश करती है. सेबी ने कहा कि अगर कोई म्यूचुअल फंड स्कीम किसी भी एक्सचेंज ट्रेडेड कमोडिटी डेरिवेटिव्स में निवेश करती है तो वह अंडरलाइंग गुड्स यानी फिजिकल कमोडिटी को सेटलमेंट वाले कॉन्ट्रैक्ट में होल्ड कर सकती है.

सिल्वर ETF स्कीम में इन्वेस्टमेंट को लेकर शर्तें
सिल्वर ETF स्कीम में फिजिकल सिल्वर या सिल्वर रिलेटेड इंस्ट्रूमेंट को सेबी रजिस्टर्ड कस्टोडियन के पास जमा करना होगा. सिल्वर ईटीएफ स्कीम में इन्वेस्टमेंट को लेकर कुछ शर्तें भी शामिल हैं. अगर कोई सिल्वर ईटीएफ में निवेश करता है तो फंड का इस्तेमाल केवल संबंधित ETFs सिल्वर या सिल्वर रिलेटेड इंस्ट्रूमेंट में किया जाएगा. म्यूचुअल फंड कंपनी इस फंड का इस्तेमाल शॉर्ट टर्म में किसी बैंक में जमा कर भी कर सकती है.

जानिए क्या सिल्वर ETF का फायदा
सिल्वर ETF का सीधा मतलब है कि जैसे लोग स्टॉक को खरीदते और बेचते हैं, वैसे ही सिल्वर ETF की खरीद-बिक्री भी हो सकेगी. इससे सिल्वर में कमाई के मौके बढ़ जाएंगे. शेयर या स्टॉक में भी यही होता है कि कोई निवेशक जैसे फायदे का सौदा देखता है, वह बेचकर मुनाफा कमा लेता है. सिल्वर ईटीएफ के साथ भी ऐसा ही होगा.

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