स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कैसे करें

BSE और NSE क्या है? और इन दोनों के बीच अंतर क्या है? यहां जानिए सभी सवालों के जवाब
Difference Between NSE and BSE: बीएसई और एनएसई ये दोनों टर्म ही शेयर मार्केट से जुड़े है। अगर आप Share Market में रुचि रखते है तो आपको दोनों स्टॉक एक्सचेंज (Stock Exchange) स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कैसे करें के बारे में पता होगा। इस पोस्ट में हम बीएसई और एनएसई (BSE and NSE Difference in Hindi)
BSE vs NSE: भारत में वैसे तो कई स्टॉक एक्सचेंज है, लेकिन इनमें से दो प्रमुख हैं, पहला बीएसई (BSE) और दूसरा एनएसई (NSE) है। जहां बीएसई का मतलब बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (Bombay Stock Exchange) है, वही एनएसई का मतलब नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (National Stock Exchange) है। स्टॉक एक्सचेंज आम तौर पर निवेशकों के बीच सिक्योरिटीज, डेट और डेरिवेटिव के निष्पक्ष व्यापार के लिए एक मार्केट प्लेस है। BSE सबसे पुराने में से एक है और NSE एक एडवांस इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग सिस्टम के रूप में उनके बीच कुछ महत्वपूर्ण अंतर हैं। लेकिन इससे पहले कि हम दोनों के बीच कोई अंतर करें, आइए पहले यह समझने की कोशिश करें कि BSE स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कैसे करें और NSE क्या है।
BSE (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) क्या है? | What is BSE in Hindi
वर्ष 1875 में स्थापित होने के बाद, BSE को द नेटिव शेयर एंड स्टॉक ब्रोकर्स एसोसिएशन के रूप में जाना जाता था। तब से, यह निवेशकों के विशाल पूल, दैनिक व्यापार आदान-प्रदान और गुणवत्ता सेवाओं के स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कैसे करें मामले में मजबूती से मजबूत होता गया है। स्वतंत्रता के बाद, इसे पहली बार भारत सरकार द्वारा 1957 में सिक्योरिटीज कॉन्ट्रैक्ट रेगुलेशन एक्ट, 1956 के तहत मान्यता दी गई थी। हालांकि सेंसेक्स को पहले इक्विटी इंडेक्स के रूप में 1986 में पेश किया गया था, ऑनलाइन ट्रेडिंग लगभग एक दशक बाद शुरू की जा सकती थी। 1995 को बोल्ट (बीएसई ऑनलाइन ट्रेडिंग सिस्टम) के रूप में जाना जाता है। BSE में कुल 5650 सूचीबद्ध कंपनियां होने का दावा किया गया है, जो 1.68 ट्रिलियन से अधिक का बाजार पूंजीकरण कर रही है। और यह विश्व स्तर पर 10 वां सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है। BSE को दलाल स्ट्रीट के नाम से जाना जाता है।
NSE (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) क्या है? | What is NSE in Hindi
निवेशकों के बढ़ते आधार और व्यापार में दक्षता लाने के लिए, देश में पहली एडवांस इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग सिस्टम शुरू की गई जिसे National Stock Exchange (NSE) के रूप में जाना जाने लगा। NSE को शुरू करने का एक अन्य उद्देश्य कागज आधारित सेटलेमेंट सिस्टम को समाप्त करना था। 1995 में, निफ्टी को मुख्य सूचकांक के रूप में शुरू किया गया था। इसके तुरंत बाद, इसने 2000 से अधिक शहरों में फैलते हुए अपने नेटवर्क का विस्तार किया। NSE के तहत कुल 1740 कंपनियां सूचीबद्ध हैं, जिनका बाजार पूंजीकरण 1.5 ट्रिलियन से अधिक होने का अनुमान है। और यह ग्लोबल स्टॉक एक्सचेंज के दिग्गजों की सूची में 11वें स्थान पर है।
बीएसई और एनएसई के बीच अंतर | Difference between BSE and NSE
पॉपुलर इंडेक्स - BSE के लिए पॉपुलर इंडेक्स स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कैसे करें सेंसेक्स है जबकि NSE के लिए यह निफ्टी है।
स्थापना का वर्ष- BSE की स्थापना 1875 में हुई थी जबकि NSE की स्थापना 1992 में हुई थी।
बाजार पूंजीकरण - BSE का बाजार पूंजीकरण 1.68 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है जबकि NSE का लगभग 1.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर है।
सूचीबद्ध कंपनियों की स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कैसे करें संख्या - वर्तमान में, BSE के तहत कुल 5650 कंपनियां सूचीबद्ध हैं जबकि 1740 कंपनियां NSE के तहत सूचीबद्ध हैं।
वेबसाइट - BSE की आधिकारिक वेबसाइट www.bseindia.com है जबकि NSE की आधिकारिक वेबसाइट www.nseindia.com है
उपस्थिति - BSE 400 से अधिक शहरों में अपने व्यापक नेटवर्क के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज कराता है जबकि NSE भारत के 2000 शहरों में फैला हुआ है।
ग्लोबल रैंकिंग - ग्लोबल रैंकिंग में BSE 10वें स्थान पर है जबकि BSE 11वें स्थान पर है।
History of Stock Exchange: कभी बरगद के पेड़ के नीचे हुई थी भारतीय शेयर बाज़ार की शुरुआत
आमतौर पर निवेशकों के लिए शेयर बाज़ार आम बोलचाल में इस्तेमाल होने वाला एक शब्द बन चुका है. लेकिन Stock Exchange को लेकर अब भी कई लोगों के मन में कई सवाल स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कैसे करें हैं, जैसे कि इसके काम करने का तरीका क्या है? इसकी शुरुआत कैसे हुई? आदि. आज हम यहां, बाज़ार से जुड़े इस शब्द, Stock Exchange का पूरा विशलेषण करेंगे. जिससे निवेशकों को उनके हर सवाल का सटीक उत्तर मिल पाए.
ऐसे शुरू हुआ भारत में Stock Exchange
भारत को आज़ादी मिलने से 107 वर्ष पहले ही देश में शेयर बाज़ार की नींव पड़ चुकी थी. मुंबई स्थित टाउनहॉल के पास एक बरगद के पेड़ के नीचे शेयरों का सौदा किया जाता था. इस स्थान पर लगभग 22-25 लोग इकट्ठा होकर शेयरों की खरीद और बिक्री में जुटते थे. साल दर साल निवेशकों की संख्या में आई वृद्धि के बाद, वर्ष 1875 में Stock Exchange के ऑफिस का निर्माण हुआ, जो आज दलाल स्ट्रीट के नाम से मशहूर है. वहीं सरकार द्वारा 1980 में Security and Exchange Board of India (SEBI) की स्थापना से इस सिस्टम में पारदर्शिता लाई गई.
कैसे लिस्ट होती है शेयर बाज़ार में कंपनियां?
Stock Exchange को आसान शब्दों में समझें, तो यह वो जगह है जहां स्टाॅक्स, बाॅन्ड्स, कमोडिटी की खरीद और बिक्री की जाती है. Stock Exchange एक ज़रिया है, जो निवेशकों और कंपनी के बीच काम करता है. जैसे किसी कंपनी को अगर फंड जुटाना हो, तो वह Stock Exchange में खुद को सूचीबद्ध करवाती है. इस प्रक्रिया पर आखिरी फैसला SEBI लेती है, जिसके बाद निवेशकों के कंपनी में निवेश के द्वार खुल जाते हैं. आपको बता दें, कि शेयर बाज़ार में सूचीबद्ध होने की इस प्रक्रिया को Initial Public Offering (IPO) कहते हैं.
भारत में कितने हैं Stock Exchange?
वैसे तो ज़्यादातर लोग सिर्फ National Stock Exchange (NSE) और Bombay Stock Exchange (BSE) ही जानते होंगे. मगर भारत में इन दोनों के अलावा भी 21 अन्य Stock Exchange भी थे, जो राष्ट्रीय और क्षेत्रीय सीमा पर काम करते थे. वहीं 8 Stock Exchange और भी हैं, जो राष्ट्रीय स्तर पर काम कर रहे हैं. इनमें से 20 क्षेत्रीय एक्सचेंज, अब SEBI के नए नियमों के आने के बाद बंद हो गए. बंद हुए एक्सचेंज की सूची में Ahmedabad Stock Exchange, Chennai Stock Exchange, Pune Stock Exchange, U.P Stock Exchange आदि का नाम शामिल हैं.
क्यों खास है BSE और NSE?
भारत में BSE और NSE दो काफी महत्वपूर्ण शेयर बाज़ार हैं. इनमें लिस्टेड कंपनियों के शेयर, निवेशक या ब्रोकर सीधे तौर पर खरीदते और बेचते हैं. बात BSE की करें, तो यह वर्ष 1875 से मुंबई स्थित दलाल स्ट्रीट में है और विश्व के 10वें सबसे बड़े Stock Exchange का सूचकांक है, Sensex. इसकी स्थापना करने वाले Premchand Raichand को 'बिग बुल' के नाम से जाना जाता है. वहीं दूसरी ओर NSE की बात करें, तो यह भारत का पहला पूर्णतः कंप्यूटराइज्ड Stock Exchange है. वर्ष 1992 में स्थापित NSE की खासियत ये है कि, इसके सूचकांक को देखकर भारतीय अर्थव्यवस्था की एक झलक देखी जा सकती है. आपको बता दें, कि NSE का सूचकांक Nifty 50 है.
कैसे करें स्टाॅक्स में निवेश?
आम भाषा में समझें, तो शेयर मतलब हिस्सा और बाज़ार वो जगह जहां ग्राहक खरीददारी करता है. अब शेयर बाज़ार में निवेश को ऐसे समझें, कि कोई निवेशक NSE में सूचीबद्ध कंपनी के शेयर खरीदता है, जो कंपनी ने जारी किए हैं, तो उस निवेशक का कंपनी के खरीदे हुए शेयर के आधार पर उतना मालिकाना हक हुआ. शेयर की खरीद और बिक्री निवेशक की बुद्धि पर निर्भर करती है. हालांकि कई बार निवेशक ब्रोकर की भी मदद लेते हैं. शेयर बाज़ार में मौज़ूद स्टाॅक्स में निवेश के लिए, निवेशकों को सबसे पहले एक डीमैट खाता खुलवाना होता है. जो आपके बैंक खाते से लिंक होकर, चाहे ब्रोकर के माध्यम से या खुद स्टाॅक्स की खरीद और बिक्री के माध्यम से मदद करेगा. वहीं वित्तीय समझ की बात करें, तो आज भी Stock Exchange से प्रभावित निवेशकों की सुबह, बाज़ार के उतार-चढा़व देखकर ही होती है.
क्यों आता है शेयर बाज़ार में उतार-चढ़ाव?
ऐसा देखा गया है, कि कई बार शेयर बाज़ार में मौज़ूद कंपनियों के स्टाॅक्स या शेयर में ज़बरदस्त उछाल या गिरावट दिखती है. तो आपको बता दें, कि इस अचानक से आए हुए बदलाव की वजह कंपनी, स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कैसे करें अर्थव्यवस्था या वैश्विक स्तर की हलचल होती है. जैसे किसी कंपनी को अचानक मिला या छिना कोई आर्डर, कंपनी का मूल्यांकन, बाज़ार से जुड़ी शर्तों की अवहेलना, आदि. वहीं शेयर बाज़ार के पास, कंपनियों के दुर्व्यवहार करने पर गैर सूचीबद्ध करने का भी अधिकार होता है.
आज़ादी के बाद से कितना बदला Stock Exchange
आज़ादी से लेकर वर्तमान तक की बात करें, तो Stock Exchange और इसका काम करने का तरीका अब पहले से काफी स्पष्ट है. हालांकि नए-नए तरीकों से शेयर बाज़ार की ओर ध्यान आकर्षित करने में आज बाज़ार काफी आगे है. फिर चाहे मोबाइल फोन के माध्यम से निवेश हो या वेबसाइट पर जाकर कंपनियों का विशलेषण. आज के समय में Zerodha , Upstox, Groww आदि कुछ ऐसे ऐप्स उपलब्ध हैं, जो ऑनलाइन ट्रेडिंग को रफ़्तार देने में कामयाब हैं. वहीं इस तरह की पहल से आजकल के युवाओं में भी शेयर्स को लेकर उत्साह देखा जा सकता है. तो ऐसा कह सकते हैं, कि बरगद की छांव में शुरू हुआ Stock Exchange आज निवेशकों को वित्तीय छांव दे रहा है.
ऑनलाइन स्टॉक ट्रेडिंग
फॉरेक्स टाइम लिमिटेड (www.forextime.com/eu) साइप्रस प्रतिभूति एवं विनिमय आयोग द्वारा विनियमित है, जिसका CIF लाइसेंस नंबर है 185/12, तथा यह दक्षिण अफ्रीका के फाइनेंशियल सेक्टर कंडक्ट अथॉरिटी (FSCA) द्वारा लाइसेंस प्राप्त है और इसका FSP नंबर 46614 है। यह कंपनी यूके के फाइनेंशियल कंडक्ट अथॉरिटी के साथ रजिस्टर्ड है, जिसका नंबर 600475 है।
ForexTime (www.forextime.com/uk) फाईनेंशियल कंडक्ट अथॉरिटी द्वारा लाइसेंस नंबर 777911 के अंतर्गत अधिकृत और विनियमित है।
Exinity Limited (www.forextime.com) मॉरीशस गणराज्य के वित्तीय सेवा आयोग द्वारा विनियमित निवेश डीलर है, जिसकी लाइसेंस संख्या C113012295 है।
कार्ड ट्रांजेक्शन एफटी ग्लोबल सर्विसेज लिमिटेड, रजिस्टर्ड नंबर HE 335426 और रजिस्टर्ड पता Ioannis Stylianou, 6, Floor 2, Flat 202 2003, Nicosia, Cyprus के माध्यम से प्रोसेस किए जाते हैं। कार्डधारक के पत्राचार के लिए पता: [email protected] व्यवसाय के स्थान का पता: FXTM Tower, 35 Lamprou Konstantara, Kato Polemidia, 4156, Limassol, Cyprus.
Exinity Limited वित्तीय फाईनेंशियल कमीशन का सदस्य है,जो फॉरेक्स मार्केट की फाइनेंशियल सर्विसेज इंडस्ट्री में विवादों का निपटारा करने वाला अंतर्राष्ट्रीय संगठन है।
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सोने में पैसा लगाकर की जा सकती है कमाई, ये है निवेश का सबसे बेहतरीन तरीका
जानकारों का मानना है कि सोने की कीमतों में तेजी जारी रहेगी. एक्सपर्ट्स की सलाह है कि पोर्टफोलियो में सोने को शामिल किया जा सकता है. हालांकि, बहुत ज्यादा मात्रा में नहीं.
सोने में निवेश करने वालों निवेशकों को पिछले दो महीने में शानदार रिटर्न मिला है.
महामारी कोरोना वायरस (Coronavirus pandemic) की वजह से सोने की कीमतों को बड़ा सपोर्ट मिला है. ग्लोबल इकोनॉमी पर Covid-19 का असर दिख रहा है. इसलिए जानकारों का मानना है कि सोने की कीमतों में तेजी जारी रहेगी. एक्सपर्ट्स की सलाह है कि पोर्टफोलियो में सोने को शामिल किया जा सकता है. हालांकि, बहुत ज्यादा मात्रा में नहीं. दुनियाभर के बाजार निगेटिव रिटर्न दे रहे हैं. लेकिन, सोना अपने रिकॉर्ड हाई पर है. सोने की कीमतें इस वक्त 46 हजार के पार हैं.
सोने में निवेश करने वालों निवेशकों को पिछले दो महीने में शानदार रिटर्न मिला है. जानकार मान रहे हैं कि सोने में आई तेजी लंबे वक्त के लिए नहीं है. लेकिन, फिर भी सोने में निवेश का यह बेहतरीन समय है. एक्सपर्ट्स मानते हैं कि यह बेहतर रिटर्न देने वाला निवेश साबित होगा. ऐसे में गोल्ड ईटीएफ के जरिए पैसे को सुरक्षित रखने की कोशिश करें. पिछले एक साल में गोल्ड ईटीएफ का प्रदर्शन अच्छा रहा है. ऐसे में सही वक्त है सोने में पैसा लगाकर आप अच्छी कमाई कर सकते हैं.
क्या है गोल्ड ईटीएफ?
गोल्ड ईटीएफ (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) म्यूचुअल फंड का ही एक प्रकार है, जो सोने में निवेश करता है. इस म्यूचुअल फंड योजना की यूनिट स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होती हैं. गोल्ड ईटीएफ पैसिव तरीके से प्रबंधित किए जाने वाले ऐसे फंड होते हैं, जिनका उद्देश्य स्पॉट बाजार में फिजिकल गोल्ड से मिलने वाले रिटर्न के समान रिटर्न देना होता है.
कैसे करें गोल्ड ईटीएफ में निवेश?
गोल्ड ईटीएफ में निवेश के लिए कम से कम एक यूनिट खरीदनी पड़ती है. ये यूनिट एक ग्राम की होती है. हालांकि, क्वांटम म्यूचुअल फंड आधे ग्राम सोने की यूनिट भी उपलब्ध कराता है. कोई भी निवेशक अपने ट्रेडिंग खाते के जरिए स्टॉक एक्सचेंज से गोल्ड ईटीएफ खरीद सकता है. खरीद के बाद गोल्ड ईटीएफ की यूनिट निवेशक के डीमैट खाते में जमा हो जाती है. ट्रेडिंग खाते के जरिए ही इसे बेचा भी जा सकता है.
कितने गोल्ड ईटीएफ हैं उपलब्ध?
गोल्ड ईटीएफ में निवेश के कई फायदे हैं. क्योंकि, गोल्ड ईटीएफ निवेशक के खाते में यूनिट के तौर पर दर्ज होता है. ऐसे में निवेशक को ऐसी कोई भी समस्या नहीं होती जो फिजिकल गोल्ड से संबंधित होती हैं. गोल्ड ईटीएफ में आधे ग्राम की यूनिट भी उपलब्ध है, ऐसे में कम पूंजी वाले भी इसमें निवेश कर सकते हैं. वैल्यू रिसर्च के रिसर्च डाटा के मुताबिक, गोल्ड का इक्विटी से निगेटिव रिलेशनशिप है. यही वजह है कि गिरते स्टॉक मार्केट के बावजूद सोने में लगातार तेजी देखने को मिली है.
लंबी अवधि में और ऊपर जाएगी कीमतें
एजेंल ब्रोकिंग के कमोडिटी और करेंसी सेगमेंट के वाइस प्रेसिडेंट अनुज गुप्ता के मुताबिक, अगले एक महीने में सोने के भाव अंतरराष्ट्रीय बाजार में $1,780 के स्तर तक जा सकता है. वहीं अगर लंबी अवधि के लिए लक्ष्य लेकर चलें तो सोने के दाम $2,200 के स्तर तक जा सकते हैं. गुप्ता के मुताबिक MCX पर सोने के दाम 50,000 रुपए के स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कैसे करें करीब पहुंच रहा है. लेकिन अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत 1,800 प्रति औंस से ज्यादा रहती हैं, तो लंबी अवधि के MCX में सोने की कीमत का लक्ष्य 58,000 प्रति 10 ग्राम तक पहुंच सकता है.
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क्या हो रणनीति?
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि मौजूदा स्तरों से सोने में थोड़ी-थोड़ी खरीदारी की जा सकती है. आप हर महीने गोल्ड ईटीएफ का यूनिट खरीद सकते हैं. अगर आप आधे ग्राम की यूनिट खरीदना चाहें, तो यह अभी मिल सकती है. आप हर महीने कम से कम एक यूनिट की खरीदारी से शुरुआत कर सकते हैं. हर महीने थोड़ा-थोड़ा सोना खरीदने की इस रणनीति के जरिए जहां एक तरफ सोने में आपका एक्सपोजर बढ़ेगा, वहीं भविष्य के लिए पूंजी भी तैयार होगी.