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बाजार ज़ोखिम

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एक रियल एस्टेट निवेश में शामिल जोखिम और लाभ

अचल संपत्ति में अन्य परिसंपत्ति वर्गों की तुलना में सबसे अच्छा निवेश मोड है? यह मोटे तौर पर एक निवेशक को बाजार में और उस प्रकार की संपत्ति में डालता है। संपत्ति के बाजार में प्रमुख विकास और सुधार देखा गया है, लेकिन साथ ही एक लंबे समय तक मंदी भी हुई है। यह वह समय था जब पूरे विश्व मंदी के दौर से गुजर रहा था। जैसा कि हम सभी जानते हैं, आवासीय अचल संपत्ति संपत्ति के बाजार का पारंपरिक आधार है। बढ़ते हुए डिस्पोजेबल आय, परमाणु परिवार, बढ़ते मध्यम वर्ग, सुविधाजनक ब्याज दरें आवासीय अचल संपत्ति बाजार के विकास के पीछे कुछ कारण हैं। निवेशकों ने निवेश पर उच्च रिटर्न के बाजार ज़ोखिम लक्ष्य के साथ बड़ी मात्रा में धन डाल दिया। उनमें से कई विभिन्न संपत्तियों में शामिल जोखिम को थोड़ा नोटिस दे सकते हैं संपत्ति के बाजार जोखिम के बिना नहीं है। इसलिए, यह सावधानी से निवेश करने के लिए अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है यहां एक नज़र-वाणिज्यिक अचल संपत्ति है, जो मुख्य रूप से ऑफिस स्पेस और बिजनेस सेंटर शामिल है, जोखिम और रिटर्न के न्यूनतम स्तर पर है। ये स्थिर संपत्तियां हैं जो प्रमुख स्थानों में देखी जा सकती हैं। ये गुण सामान्यतः अच्छे और मूल्यवान किरायेदारों के साथ स्थिर अधिभुगतान हैं। इसके बाद दी गई संपत्ति की स्थिति और उम्र है। एक अच्छी संपत्ति में वृद्ध संपत्ति भी रिटर्न परिप्रेक्ष्य से होनहार हो सकती है। हालांकि, जोखिम उच्च रखरखाव प्रभार के साथ-साथ कुछ आवश्यक पुनर्निर्माण के साथ-साथ टैग के रूप में आयु हो सकता है क्या आप कम कीमत पर एक संपत्ति खरीद रहे हैं और इसे कुछ अच्छे वर्षों के लिए रख रहे हैं, बाजार की सराहना करते हुए और फिर उच्च मूल्य के इरादे से बेचकर इंतजार कर रहे हैं? यहां शामिल जोखिम को पुनर्निर्माण के लिए धन का बड़ा हिस्सा है, जो खरीद राशि के साथ जोड़ दिया जाएगा। इसके अलावा, प्रतीक्षा समय संपत्ति बाजार में उतार-चढ़ाव देखने की कोई ज़िम्मेदारी नहीं है और समय को वास्तविक निष्कर्ष के साथ बढ़ाया जा सकता है। Foreclosed संपत्ति उच्चतम जोखिम और वापसी है। निवेशक आम तौर पर इस तरह की संपत्ति में पैसा निवेश करने से डरते हैं क्योंकि इसमें जोखिम की उच्च मात्रा है। लेकिन अगर संपत्ति को सभी परिणामों को ध्यान में रखते हुए और इसे संभावित खरीदार को आगे बेचकर निवेश किया जा रहा है; यह एक महान सौदा हो सकता है इसके अलावा पढ़ें: क्या रियल एस्टेट 2017 में एक अच्छा निवेश होगा?

AAJ Ka Mandi Bhav 6 April: प्रमुख फसलों के आज के दाम, अलग-अलग राज्यों की मंडियों की पड़ताल

आज के मंडी भाव की रिपोर्ट मंडियों की पड़ताल व सरकारी रेटों के अनुसार तैयार की गई है

Mandi Bhav

( Mandi Bhav Today Updates): नमस्कार किसान भाइयों आइये जाने ! आज देश की प्रमुख अनाज मंडियों में नरमा/कॉटन , देशी कपास , चना , ग्वार ( Guar), सरसों ( Mustard), सरसों तेल , तिलहन , दलहन , सोयाबीन , धनिया , मसूर , मुंग , मोठ , मूंगफली , गेहूं , जौ , तुवर , मक्का , अरण्डी , जीरा , ईसबगोल इत्यादि फसलों का राजस्थान , हरियाणा , पंजाब , MP, UP की प्रमुख अनाज मंडियों का लेटेस्ट लाइव मंडी भाव ( Mandi Rate) क्या रहा ?

Mandi ka bhav aaj ka: Daily Bhav Update Anaj Mandi Rates Today, 6 April 2022 Grain Market Live Online Commodity Prices (Agricultural Produce Market Committee- APMC Report) आज के लेटेस्ट हाजिर बाजार भाव , कृषि उपज मंडियों की ताजा तेजी-मंदी की लाइव दैनिक रिपोर्ट ( Taja Bhav 2022) यहाँ पर प्रकाशित की जा रही है।

Mandi Bhav 6 april 2022 मंडी भाव 6 अप्रैल 2022

Dollar vs Rupee: रुपये का गिरना आपकी ज़िदगी कैसे करता है तबाह?

भारत में रुपया है कि संभलने का नाम ही नहीं ले रहा. शुक्रवार को रुपया 20 साल के सबसे निम्नतम स्तर 81 के पार पहुंच गया. सवाल यह है कि रुपये के गिरने से भारत की अर्थव्यवस्था पर क्या असर होगा?

Rupee hits record low vs US dollar: आज एक वक़्त ऐसा भी आया जब भारतीय रुपया, डॉलर के मुक़ाबले (rupee vs dollar) 20 साल के सबसे निम्नतम स्तर पर जा पहुंचा. शुक्रवार सुबह डॉलर के मुकाबले रुपया 62 पैसे गिरकर 81.09 के स्तर पर पहुंच गया. जानकार बताते हैं कि विदेशी बाजारों में अमेरिकी मुद्रा (US Dollar) की मज़बूती, घरेलू शेयर बाजार (Share Market) में गिरावट और कच्चे तेल (Crude oil) के दामों में बढ़ोतरी, रुपये को प्रभावित कर रही है. एक सच यह भी है कि इन दिनों पूरी दुनिया में आसमान छूती महंगाई है. जिसे कंट्रोल करने के लिए दुनियाभर की बैंक ब्याज़ दरें बढ़ा रही हैं. लेकिन यह प्रयास कहीं दुनिया को मंदी को तरफ तो नहीं धकेल रहा?

गुजरात का शासन संभालने वाले तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi), जिन्हें तब मालूम था कि रुपया ऐसे ही नहीं गिरता, आज प्रधानमंत्री बनने के बाद उसको संभाल नहीं पा रहे हैं. रुपये के गिरने पर विरोधी आज कुछ ऐसा ही कहकर पीएम मोदी (PM Modi) पर चुटकी ले रहे हैं.

रुपये का गिरना, विपक्ष का तंज और मंदी की आहट के बीच लोगों के लिए यह समझना बेहद ज़रूरी है कि अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में रुपये के गिरने से भारत की साख भले ना गिरे लेकिन अभिभावक होने के नाते परिवार में आपकी साख ज़रूर गिरेगी. कैसे गिरेगी?

रुपये का गिरना जारी रहेगा

कई जानकारों का मानना है कि आने वाले समय में रुपये में और भी गिरावट देखने को मिल सकती है. सवाल उठता है कि अभी रुपये में गिरावट की मुख्य वजह क्या है? दरअसल अमेरिकी फेडरल रिजर्व बैंक ने महंगाई पर काबू पाने के लिए ब्याज़ दरों में 0.75 फीसदी की बढ़ोतरी की है. ठीक वैसे ही जैसे अगस्त महीने में भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने रेपो रेट बढ़ाने का निर्णय लिया था.

रेपो दर (Repo Rate), वह ब्याज दर है जिस पर RBI वाणिज्यिक बैंको को रुपये उधार देता है. तर्क दिया गया कि इससे महंगाई कंट्रोल में रहेगी. ठीक उसी तर्ज़ पर अमेरिका समेत अन्य सभी देश महंगाई कंट्रोल में लाने के लिए ब्याज़ दरों को बढ़ा रहे हैं. एक नज़र उन देशों पर जिसने ब्याज़ दरों में भारी बढ़ोतरी की है.

ब्याज़ दर बढ़ाने वाले देश
ताइवान- 12.5%
वियतनाम- 1.00%
अमेरिका- 0.75%
हांगकांग- 0.75%
फिलीपीन- 0.50%
इंग्लैंड- 0.50%
नार्वे- 0.50%

यहां की बाजार ज़ोखिम करेंसी भी गिरी

अमेरिकी फेडरल रिजर्व बैंक के ब्याज़ बढ़ाने का असर यह हुआ कि ब्रिटिश पाउंड, डॉलर के मुक़ाबले 37 सालों में सबसे कमजोर स्तर पर पहुंच गया. वहीं ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड का डॉलर जापानी येन की तुलना में 2020 के बाद सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया. जबकि चीन का युआन 27 महीनों के निचले स्तर पर पहुंच गया.

इसके अलावा इंडोनेशिया, फिलीपीन और जापानी येन में भी भारी गिरावट हुई है. कई जानकारों का मानना है कि महंगाई पर काबू पाने के चक्कर में विश्व कहीं मंदी के दलदल में ना फंस जाए. हालांकि अमेरिकी फेडरल रिजर्व बैंक के चेयरमैन जेरोम पॉवेल का कहना है कि ब्याज़ दरों के बढ़ने से मंदी आएगी, ऐसा कोई दावा नहीं कर सकता. अगर मंदी आयी भी तो इसका कैसा असर होगा, इस बारे में कोई नहीं बता सकता.

रुपया कैसे हुआ कमजोर?

अब सवाल उठता है कि इसका असर भारत के रुपये पर कैसे पड़ा? चलिए इसको खंड-खंड कर समझते हैं. अमेरिकी फेडरल रिजर्व बैंक के ब्याज़ बढ़ाने और आगे भी सख़्ती के संकेत की वजह से वैश्विक बाज़ार में कमज़ोरी आई. इसका असर यह हुआ कि भारतीय निवेशकों की धारणा भी प्रभावित हुई और भारतीय बाज़ार भी डाउन हो गया. जिसके बाद रुपये में भारी गिरावट देखने को मिली. हालांकि भारतीय रुपये में गिरावट की कुछ और वजहें भी बताई जा रही हैं.

क्यों गिरा रुपया?

  • रूस-यूक्रेन के बीच तनाव की वजह से निवेशक बाज़ार में पैसे लगाने से डर रहे हैं. वह ज़ोखिम लेना नहीं चाहते
  • अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की बढ़ती क़ीमत भी रुपये पर बड़ा प्रभाव डाल रही है
  • भारतीय शेयर बाज़ार के गिरने से भारतीय रुपये पर दबाव बढ़ गया, नतीजा गिरावट
  • वहीं अमेरिकी डॉलर विदेशी बाज़ार में अन्य मुद्रा की तुलना में और मज़बूत हो गया

कमजोर रुपया आपको कैसे करेगा तबाह?

सवाल उठता है कि रुपये की गिरती क़ीमत आपकी और हमारी साख कैसे कम करती है? सीधे शब्दों में कहूं तो हमारे-आपके जीवन को कैसे प्रभावित करती है? हम विदेश से कच्चा तेल आयात करते हैं. रुपये के कमज़ोर होने से हमें ज़्यादा पैसे देने होंगे. नतीजा महंगाई बढ़ेगी. सब्जियां हों, दाल चावल या तेल. सभी खाद्य पदार्थ महंगे होंगे. जो भी सामान हम दूसरे देशों से खरीदते हैं हमें उसके बदले ज्यादा पैसे देने होंगे. क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय व्यापार डॉलर में होता है.

ऐसे में हमें अपने देश में सामान महंगे दामों पर खरीदने होंगे. अगर आपके बच्चे विदेश में पढ़ाई करते हैं तो जिस कोर्स के लिए आप एक लाख रुपये दे रहे थे अब उसी कोर्स के लिए और ज्यादा पैसे देने होंगे. विदेश घूमने जाने वाले लोगों को भी अपनी पॉकेट ज़्यादा ढीली करनी होगी. ऐसा नहीं है कि हमारे राजनेता इन बातों को नहीं समझते.. यकीन ना हो तो पीएम मोदी का एक पुराना बयान सुन लीजिए, जिसमें वह बता रहे हैं कि उन्हें रुपये गिरने की सारी हक़ीक़त मालूम है. ये अलग बात है कि तब नरेंद्र मोदी, गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे.

विपक्ष पीएम मोदी पर लगा रहा आरोप

फिर क्या वजह है कि हमारी सरकार रुपये को गिरने से रोक नहीं पा रही है. तो क्या मान लिया जाए कि सरकार पूरी तरह विफल हो चुकी है? तो क्या मान लिया जाए कि विपक्ष के सभी आरोप ठीक हैं. एक नज़र कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ के बयान पर डालते हैं और सुनते हैं कि वह क्या कह रहे हैं.

आने वाले समय पूरी दुनिया के लिए कैसा होने वाला है, क्या विश्व के सामने मंदी मुंह बाए खड़ा है? देश की अर्थव्यस्था मज़बूत करने के दावे के बीच महंगाई पर कंट्रोल, सरकार कैसे करेगी?

Green Apple Benefits: अगर सेहत के लिए खाते हैं सेब, तो जानें हरे सेब के लाजवाब फायदे

हरा सेब खाने से हड्डियां मजबूत होती हैं

Green Apple Benefits: सेब को सबसे पौष्टिक फलों (Fruits) में से एक माना जाता है. कहते हैं रोजाना एक सेब खाने से हम तमाम बीमारियों से दूर रहते हैं और डॉक्टर के पास जाने की नौबत नहीं आती क्योंकि सेब (Apple) में विटामिन्स और मिनरल्स के साथ ही फ्लैवोनॉयड्स व एंटी-ऑक्सीडेन्ट्स का भंडार मौजूद होता है. हम अक्सर बाजार में दो तरह के सेब देखते हैं, लाल सेब और हरा सेब. लेकिन ज्यादातर लाल सेब ही खरीदते हैं क्योंकि हरे सेब (Green Apple) के फायदों से हम अनजान होते हैं. जबकि हरा सेब भी सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होता है.बाजार ज़ोखिम

  • News18Hindi
  • Last Updated : January 25, 2022, 06:33 IST

Green Apple Benefits: सेब में सेहत का खजाना भरा होता है. विटामिन्स और मिनरल्स के साथ ही एंटी-ऑक्सीडेन्ट्स और फ़्लेवोनॉयड्स से भरपूर सेब (Apple) नियमित खाना हमारी सेहत (Health) के लिये कई तरह से फ़ायदेमंद है. कहा भी जाता है कि रोज एक सेब खाना हमें डॉक्टर से दूर रखता है. क्योंकि इसमें पोषक-तत्व ही इतने होते हैं कि यह हमारी इम्यूनिटी मजबूत बनाता है और तमाम रोगों से लड़ने में मदद करता है. बाजार में वैसे तो लाल और हरे दोनों तरह के सेब मिलते हैं लेकिन ज्यादातर लोग लाल सेब को ही खाने में यकीन रखते हैं. क्योंकि उनको ऐसा लगता है कि लाल सेब ही सेहत के लिहाज से बेहतर है जबकि हरा सेब (Green apple) भी सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होता है.

तो आज हम आपको हरे सेब से सेहत को होने वाले फ़ायदों के बारे में बताते हैं. जिससे आप अपनी सेहत को दुरुस्त रखने के लिए लाल सेब के अलावा हरे सेब का भी जायका और फायदे जान सकें. तो आइये जानते हैं हरे सेब के फायदों के बारे में.

आंखों के लिए हरा सेब

हरा सेब हमारी आंखों की सेहत के लिये बहुत फ़ायदेमंद होता है. इसमें मौज़ूद विटामिन-ए आंखों के लिये किसी वरदान से कम नहीं होता है. इसलिये हरे सेब के सेवन से आंखों की कमजोरी या उनमें सूखेपन की समस्या में काफी राहत मिलती है.

हरे सेब में चीनी लाल सेब से काफी कम होती बाजार ज़ोखिम है. साथ ही फाइबर की मात्रा काफी होती है. इसलिये हरा सेब डायबिटीज़ की समस्या में बहुत राहत दिलाता है. खासकर डायबिटीज़ के टाइप -2 स्टेज पर.

फेफड़ों की सेहत के लिए हरा सेब

हरे सेब में पाये जाने वाले फ़्लेवोनॉयड्स हमारे फेफड़ों को मजबूती देते हैं और अस्थमा का ज़ोखिम भी काफी-कुछ कम करते हैं. इसलिये फेफड़ों की सेहत के लिये नियमित तौर पर हरे सेब का सेवन करना काफी मुफ़ीद रहता है, खासतौर पर सर्दियों के दौरान.

पाचन-तंत्र के लिए हरा सेब

हरे सेब में फाइबर की भरपूर मात्रा पाई जाती है. इसलिये इसे खाने से हमारी पाचन-क्रिया सही बनी रहती है और इससे हमें कब्ज व पेट की अन्य समस्याओं में भी काफी आराम मिलता है. साथ ही इसमें पाया जाने वाला पेक्टिन नामक तत्व हमारी आंतों में अच्छे बैक्टीरिया के विकास में काफी मददगार साबित होता है. इसलिये अपने पाचन-तंत्र को दुरुस्त बनाये रखने के लिये हमें हरे सेब का नियमित तौर पर सेवन करना चाहिये.

हड्डियों की मजबूती

हरे सेब में पाये जाने वाले कैल्शियम और पोटैशियम जैसे मिनरल्स हड्डियों की मजबूती के लिये बहुत कारगर होते हैं. इसके साथ ही हरे सेब में विटामिन – के भी पाया जाता है. जो महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस की रोकथाम करने के लिये अहम है. इसलिये हड्डियों की मजबूती के लिये हमें हरे सेब का रोजाना सेवन करना चाहिये.

त्वचा के लिए

हरा सेब सेहत के साथ-साथ हमारी त्वचा के लिये भी बहुत फ़ायदेमंद है. इसमें विटामिन-सी भरपूर होता है जो हमारी त्वचा को जवां बनाये रखता है. इसके अलावा हरे सेब में विटामिन – के और ए के साथ ही बहुत सारे एंटी-ऑक्सीडेन्ट्स पाये जाते हैं. जो त्वचा पर से बढ़ती उम्र का असर कम करते हैं. इस तरह हरे सेब का सेवन आपको जवां बनाये रखने में काफी अहम भूमिका अदा करता है.(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)

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बाजार ज़ोखिम

सुरक्षा और पोर्टफोलियो विश्लेषण के लिए उपाय

सुरक्षा और पोर्टफोलियो विश्लेषण के लिए कुछ उपाय इस प्रकार हैं:

अल्फा
बीटा
शार्प अनुपात
Treynor अनुपात

अल्फा रिटर्न के खिलाफ जोखिम के उपाय करता है और बताता है कि एक विशेष कोष जोखिम है कि इसे ले जा रही है को न्यायोचित ठहरा रिटर्न का उत्पादन किया गया है. वास्तविक वापसी और बीटा से भविष्यवाणी की वापसी - यह दो आंकड़े की तुलना द्वारा किया जाता है.

अल्फा चयन जोखिम का एक उपाय भी अवशिष्ट जोखिम कहा जाता है] बाजार के संबंध में एक सुरक्षा की है. एक सकारात्मक अल्फा अतिरिक्त अतिरिक्त जोखिम लेने के बजाय बाजार वापसी को स्वीकार करने के लिए निवेशक को सम्मानित वापसी है.

अल्फा भी फंड प्रबंधक के प्रदर्शन के एक उपाय के रूप में देखा जा सकता है - राशि है क्या निधि से अधिक और ऊपर [या कम] क्या यह करने के लिए कमाने की उम्मीद थी, यह दर्शाता है जोड़ा मूल्य [या घटाया] अर्जित किया है पर पहुंचे फंड प्रबंधक निवेश निर्णय.

इंडेक्स फंड की तरह निष्क्रिय धन, कि एक बेंचमार्क सूचकांक ट्रैक हमेशा है या 0 के एक अल्फा होना चाहिए. सक्रिय धन के मामले में, अल्फा फंड प्रबंधक की गतिविधि रिटर्न कोष के लिए योगदान दिया बाजार ज़ोखिम है का एक उपाय है.

अल्फा के लिए सूत्र नीचे दी गई है -

[(Y का योग) - ((x का योग) ख)] / n

n टिप्पणियों की संख्या
b फंड के बीटा =
वापसी की एक्स = बाजार की दर
y निधि की वापसी की दर =

एक सकारात्मक अल्फा इंगित करता है कि फंड उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया है, जबकि एक नकारात्मक अल्फा इंगित करता है कि फंड या पोर्टफोलियो जोखिम का एक ही स्तर पर underperformed है.

बीटा अस्थिरता या बाजार के लिए सम्मान या बेंचमार्क के साथ एक सुरक्षा की कीमत में परिवर्तन के उपाय है. यह बाजार की वापसी बनाम एक साधन पर वापसी के बीच संबंध का प्रतिनिधित्व करता है. यह एक सुरक्षा बाजार जोखिम उपायों और बाजार के संबंध में एक सुरक्षा की अस्थिरता से पता चलता है. बीटा इंगित करता है कितना जोखिम भरा एक सुरक्षा है अगर सुरक्षा एक अच्छी तरह से विविध पोर्टफोलियो में आयोजित किया जाता है.

एक म्यूचुअल फंड के मामले में, बीटा के रूप में गणना की जा सकता है - एनएवी में बेंचमार्क इंडेक्स में परिवर्तन / पोर्टफोलियो प्रतिशत का प्रतिशत परिवर्तन

बीटा के लिए आदेश में प्रभावी होने के लिए, वहाँ सूचकांक और फंड के बीच एक संबंध होना चाहिए. सूचकांक जड़ना निधि में आंदोलनों के साथ कोई संबंध नहीं भालू, उदाहरण के लिए, अगर बीटा एक मिड - कैप सूचकांक के खिलाफ एक बड़े कैप फंड के लिए गणना की है, जिसके परिणामस्वरूप मूल्य कोई अर्थ नहीं है निधि के आंदोलन के बाद से नहीं होगा सूचकांक के साथ मिलकर.

बीटा की अपनी सीमाएं हैं. बीटा केवल एक ऐतिहासिक उपकरण है जो नई जानकारी शामिल नहीं करता है. चूंकि बीटा अतीत की गतिविधियों पर निर्भर करता है, यह नए स्टॉक है कि एक विश्वसनीय डेटा की स्थापना के लिए अपर्याप्त इतिहास की कीमत के लिए नहीं इस्तेमाल किया जा सकता है. अंत में, बीटा सिर्फ एक संकेत है. यह अतीत की कीमत आंदोलनों कि भविष्य आंदोलनों की एक उचित predictors नहीं किया जा सकता है पर निर्भर करता है.

एक पोर्टफोलियो के प्रदर्शन ग्रहण जोखिम करने के लिए सम्मान के साथ विचार किया जाना चाहिए. निवेश और उच्च रिटर्न अस्थिरता के उच्च डिग्री के साथ जुड़े रहे हैं के नकारात्मक पक्ष जोखिम मौजूद है. शार्प अनुपात जोखिम की इकाई के प्रति किए गए, एक पोर्टफोलियो से उत्पन्न वापसी का आकलन. यहाँ, जोखिम पोर्टफोलियो मानक विचलन है जो सुरक्षा के रिटर्न में उतार - चढ़ाव का संकेत है के लिए लिया जाता है. एक कम मानक विचलन रिटर्न में अस्थिरता की एक छोटी राशि का तात्पर्य.

गणितीय, यह अनुपात एक जोखिम मुक्त निवेश पोर्टफोलियो के मानक विचलन, नीचे दिए गए विभाजित पर अर्जित वापसी पर पोर्टफोलियो रिटर्न के बीच अंतर है -

(पोर्टफोलियो के रिटर्न - जोखिम मुक्त प्रतिफल की दर) / पोर्टफोलियो का मानक विचलन

इस प्रकार, एक उच्च शार्प अनुपात बेहतर है क्योंकि यह एक उच्च जोखिम के प्रति यूनिट उत्पन्न वापसी का प्रतिनिधित्व करता है. शार्प राशन केवल एक तुलनात्मक उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है और अलगाव में कोई मतलब नहीं है.

Treynor अनुपात शार्प अनुपात है है कि रिटर्न लिया जोखिम के प्रति यूनिट अर्जित उपायों की तरह एक और अनुपात है. हालांकि, फर्क यह है कि Treynor अनुपात शार्प अनुपात द्वारा इस्तेमाल मानक विचलन विपरीत बेंचमार्क के रूप में पोर्टफोलियो बीटा का उपयोग करता है. Treynor अनुपात की गणना निम्न प्रकार है -

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