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कारखाना विदेशी मुद्रा पश्चिम बंगाल

कारखाना विदेशी मुद्रा पश्चिम बंगाल
पश्चिम बंगाल: दक्षिण 24 परगना के काकद्वीप में एक बर्फ के कारखाने में गैस का रिसाव हुआ। मौके पर दमकल की गाड़ियां मौजूद हैं। pic.twitter.com/vcW1Ccq0UP— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 25, 2022

पश्चिम बंगाल: कारखाना विदेशी मुद्रा पश्चिम बंगाल दक्षिण 24 परगना के काकद्वीप में एक बर्फ के कारखाने में गैस का रिसाव हुआ। . - Latest Tweet by ANI Hindi News

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पश्चिम बंगाल: दक्षिण 24 परगना के काकद्वीप में एक बर्फ के कारखाने में गैस का रिसाव हुआ। मौके पर दमकल की गाड़ियां मौजूद हैं। pic.twitter.com/vcW1Ccq0UP— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 25, 2022

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भारतीय जूट उद्योग

भारत में जूट का प्रथम कारखाना सन 1859 में स्कॉटलैंड के एक व्यापारी जार्ज ऑकलैंड ने बंगाल में श्रीरामपुर के निकट स्थापित किया और इन कारखानों की संख्या 1939 तक बढ़कर 105 हो गई। देश के विभाजन से यह उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुआ। जूट के 112 कारखानों में से 102 कारखाने ही भारत के हिस्से में आये।

भारतीय अर्थव्यवस्था में जूट उद्योग का महत्त्वपूर्ण स्थान है। 19वीं शताब्दी तक यह उद्योग कुटी एवं लघु उद्योगों के रूप में विकसित था एवं विभाजन से पूर्व जूट उद्योग के मामले में भारत का एकाधिकार था। विशेष रूप से कच्चा जूट भारत से स्कॉटलैंड भेजा जाता था। जहाँ से टाट-बोरियाँ बनाकर फिर विश्व के विभिन्न देशों में भेजी जाती थीं, जोकि विदेशी मुद्रा का प्रमुख स्रोत थी। यह निर्यात व्यापार जूट उद्योग का जीवन रक्त था। दुनिया के प्रायः सभी देशों में जूट निर्मित उत्पादों की माँग हमेशा बनी रहती है। अतः आज भी भारत में जूट को ‘सोने का रेशा’ कहा जाता है।

प्रथम तथा द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान युद्ध स्थलों पर खाद्य तथा आयुध सामग्री पहुँचाने के लिये जूट से निर्मित उत्पादों की माँग में हुई अप्रत्याशित वृद्धि से इस उद्योग की तेजी से कारखाना विदेशी मुद्रा पश्चिम बंगाल प्रगति हुई। भारत में जूट का प्रथम कारखाना सन 1859 में स्कॉटलैंड के एक व्यापारी जार्ज ऑकलैंड ने बंगाल में श्रीरामपुर के निकट स्थापित किया और इन कारखानों की संख्या 1939 तक बढ़कर 105 हो गई। देश के विभाजन से यह उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुआ। जूट के 112 कारखानों में कारखाना विदेशी मुद्रा पश्चिम बंगाल से 102 कारखाने भारत के हिस्से में आये। भारत में जूट उद्योग के विकास के लिये यह चुनौती भरा कार्य था। साथ ही 1949 में भारतीय रुपये के अवमूल्यन के कारण भारतीय कारखानों के लिये पाकिस्तान का कच्चा जूट बहुत महँगा हो गया। पाकिस्तान ने इन बदलती हुई परिस्थितियों का भरपूर कारखाना विदेशी मुद्रा पश्चिम बंगाल लाभ उठाया लेकिन भारत सरकार के प्रोत्साहन एवं प्रयासों के कारण शीघ्र ही इस समस्या का निदान कर लिया गया। पश्चिम बंगाल, असम, बिहार इत्यादि राज्यों के किसानों ने इस चुनौती को स्वीकार करते हुये जूट के उत्पादन में अथक परिश्रम किया और वे अपने लक्ष्य में सफल रहे।

आज भारत में 9 लाख 70 हजार हेक्टेयर भूमि पर जूट का उत्पादन किया जा रहा है। जूट मिलों की संख्या 73 है। इनमें से 59 मिलें पश्चिम बंगाल में हैं। सार्वजनिक क्षेत्र में 5 इकाईयाँ कार्यरत हैं। प्रतिवर्ष लगभग 14 लाख टन जूट का उत्पादन किया जा रहा है। अनुकूल जलवायु के कारण 90 प्रतिशत जूट पश्चिम बंगाल, बिहार एवं असम राज्यों में उतपन्न होता है। पश्चिम बंगाल में नित्यवाही नदियों के कारण बहता हुआ साफ पानी उपलब्ध हो जाता है जिससे जूट को साफ, चमकीले एवं मजबूत रेशों में परिवर्तित किया जाता है। जूट उद्योग में 3 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला हुआ है, तथा जूट उत्पादन से 40 लाख परिवार अपना जीविकोपार्जन करते हैं। वर्तमान में करघों की संख्या बढ़कर लगभग 40,500 हो गई है। विश्व के जूट उत्पाद का 40 प्रतिशत भारत एवं 50 प्रतिशत बांग्लादेश से उपलब्ध होता है।

नियोजित विकास

विभिन्न पँचवर्षीय योजनाओं में देश में जूट के उत्पादन में निरन्तर वृद्धि की प्रवृत्ति रही है। पहली योजना के अन्तिम वर्ष में भारत में जूट का उत्पादन 42 लाख गाँठे था, जो 1996-97 में बढ़कर एक करोड़ गाँठें हो गया। जूट का उत्पादन एवं जूट से निर्मित उत्पादों को तालिका-1 में दर्शाया गया हैै।

तालिका - 1

कच्चे जूट का उत्पादन (लाख गाँठें)

जूट निर्मित माल (लाख टन)

कोरोना काल में फॉरेक्स रिजर्व लबालब, पहली बार 600 अरब डॉलर के पार पहुंचा भंडार

कोरोना महामारी से जूझ रही अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर है. देश का विदेशी मुद्रा भंडार पहली बार 600 अरब डॉलर को पार कर गया है. जानें इस हफ्ते कितना बढ़ा विदेशी मुद्रा भंडार.

देश का विदेशी मुद्रा भंडार रिकॉर्ड स्तर पर (Photo : Getty)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 12 जून 2021,
  • (अपडेटेड 12 जून 2021, 12:41 PM IST)
  • FCA में बढ़त का दिखा असर
  • स्वर्ण भंडार में आई कमी
  • IMF में भी गिरा SDR

कोरोना महामारी से जूझ रही अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर है. देश का विदेशी मुद्रा भंडार पहली बार 600 अरब डॉलर को पार कर गया है.

हफ्ते भर में बढ़ा 6.8 अरब डॉलर
भारतीय रिजर्व बैंक हर सप्ताह विदेशी मुद्रा भंडार की स्टेटस रिपोर्ट जारी करता है. 4 जून को समाप्त सप्ताह में इसमें 6.42 अरब डॉलर की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई. रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को ये रिपोर्ट जारी की.

FCA ने पहुंचाया 600 अरब कारखाना विदेशी मुद्रा पश्चिम बंगाल डॉलर के पार
समीक्षावधि में विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (FCA) में बढ़ोत्तरी ने विदेशी मुद्रा भंडार को पहली बार 600 अरब डॉलर के पार पहुंचाया. इस दौरान FCA में 7.36 अरब डॉलर की बढ़त कारखाना विदेशी मुद्रा पश्चिम बंगाल दर्ज की गई और यह 560.89 अरब डॉलर रहा.
भले देश के FCA को डॉलर में व्यक्त किया जाता हो, लेकिन इसमें यूरो, पौंड, येन जैसी कई अन्य अंतरराष्ट्रीय मुद्राएं शामिल होती हैं, कारखाना विदेशी मुद्रा पश्चिम बंगाल और उनके मूल्य की गणना डॉलर में की जाती है. ये कुल विदेशी मुद्रा भंडार का एक मुख्य अवयव होता है.
देश का कुल विदेशी मुद्रा भंडार 4 जून को समाप्त सप्ताह में 605 अरब डॉलर रहा. FCA विदेशी मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा होता है.
इस दौर

स्वर्ण भंडार में आई कमी
समीक्षावधि में देश का स्वर्ण भंडार 50.2 करोड़ डॉलर घटकर 37.60 अरब डॉलर रह गया. ये भी विदेशी मुद्रा भंडार का हिस्सा है. इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से भारत को मिला विशेष आहरण अधिकार (SDR) 10 लाख डॉलर घटकर 1.51 अरब डॉलर और IMF के पास जमा विदेशी मुद्रा भंडार 1.6 करोड़ डॉलर गिरकर 5 अरब डॉलर रह गया.

बीते सप्ताह इतना था फॉरेक्स रिजर्व
इससे पहले 28 मई को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 598.कारखाना विदेशी मुद्रा पश्चिम बंगाल 16 अरब डॉलर रहा था. भले देश के विदेशी मुद्रा भंडार को डॉलर में व्यक्त किया जाता हो, लेकिन इसमें यूरो, पौंड, येन जैसी कई अन्य अंतरराष्ट्रीय मुद्राएं शामिल होती हैं, और उनके मूल्य की गणना डॉलर में की जाती है.

मानवाधिकारों की चिंता छोड़ टोयोटा मोटर ने म्यांमार में चालू कर दिया कारखाना

कार निर्माता कंपनी टोयोटा मोटर ने मानव अधिकारों की चिंता छोड़ कर म्यांमार में अपने कारखाने को चालू कर दिया है। इस तरह उसने म्यांमार पर पश्चिमी देशों की तरफ से लगाए गए प्रतिबंधों की अनदेखी करने का निर्णय लिया है। इन प्रतिबंधों के कारण बीते एक साल यूरोप की कई कंपनियों ने म्यांमार में अपना कारोबार समेट लिया या कारोबार में कटौती की। लेकिन टोयोटा ने उनके विपरीत रुख लिया है।

वेबसाइट निक्कईएशिया.कॉम की एक विशेष खबर के मुताबिक टोयोटा कंपनी ने अपना नया कारखाना यंगून के करीब थिलवा में शुरू किया है। इस प्रोजेक्ट पर कंपनी सैनिक तख्ता कारखाना विदेशी मुद्रा पश्चिम बंगाल पलट के पहले से काम कर रही थी। कारखाना फरवरी 201 में ही चालू होना था। लेकिन एक फरवरी 2021 को हुए तख्ता पलट के बाद टोयोटा ने वहां काम रोक दिया। मगर अब 19 महीने बाद उसने कारखाना चालू कर दिया है। म्यांमार की सेना ने फरवरी 2021 में निर्वाचित प्रतिनिधियों को शासन संभालने से रोक कर सत्ता पर कब्जा जमा लिया था। तब से देश पर म्यांमार पर पश्चिमी देशों ने प्रतिबंध लगा रखे हैं।

टोयोटा का थिलवा प्लांट वहां स्थित स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन (एसईजेड) में स्थित है। पर्यवेक्षकों ने कहा है कि म्यांमार इस गहरे सामाजिक और आर्थिक उथल-पुथल के दौर में है। देश के कई इलाकों में बागी गुटों की गतिविधियां तेज हो जाने से गृह युद्ध जैसी स्थिति बनी हुई है। विद्रोहियों में नस्ल आधारित हथियार बंद कुछ समूहों के साथ-साथ नोबेल शांति पुरस्कार विजेता आंग सान सू ची की पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) के समर्थक भी कारखाना विदेशी मुद्रा पश्चिम बंगाल शामिल हैँ। लेकिन इस हाल को नजरअंदाज कर टोयोटा ने कारखाना चालू किया है।

अब मिली जानकारियों के मुताबिक टोयोटा ने इस साल अगस्त में एसईजेड के अधिकारियों को लिखित सूचना दी थी कि वह अपने कारखाने को चालू करने जा रही है। सितंबर में वहां उत्पादन शुरू हो गया। इस कारखाने में हिलुक्स पिकअप ट्रकों का उत्पादन होगा। ऐसी संभावना है कि यहां हर महीने कई दर्जन ऐसे ट्रक तैयार होंगे। खबरों के मुताबिक टोयोटा कंपनी इन ट्रकों की सप्लाई के लिए म्यांमार स्थित डीलरों से ऑर्डर स्वीकार करना शुरू कर चुकी है। हालांकि सीमित उत्पादन क्षमता के कारण कंपनी डीलरों को ऑर्डर की सप्लाई की निश्चित तारीख अभी नहीं बता रही है।

इस प्रोजेक्ट का एलान मई 2019 में हुआ था। तब बताया गया था कि टोयोटा इस कारखाने में पांच करोड़ 26 लाख डॉलर का निवेश करेगी। तब यहां हर साल ढाई हजार हिलुक्स ट्रकों के निर्माण का लक्ष्य रखा गया था।

इस वर्ष से जनवरी से अगस्त के बीच म्यांमार में मोटर वाहनों की कुल बिक्री लगभग 6,500 रही। सैनिक तख्ता पलट के पहले की तुलना में यह आधे से भी कम है। जानकारों के मुताबिक देश में वाहनों की पर्याप्त आपूर्ति ना होने के कारण बिक्री में गिरावट आई है। म्यांमार कारखाना विदेशी मुद्रा पश्चिम बंगाल सरकार ने विदेशी मुद्रा बचाने की कोशिश में विदशों से मोटर वाहन आयात करने पर सीमा लगा रखी है। म्यांमार इस समय आर्थिक संकट में है। उसकी मुद्रा क्यात के भाव में हाल में और गिरावट आई है। लेकिन इन हालात के बीच भी टोयोटा ने जोखिम उठाने का फैसला किया है।

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