स्टॉक ट्रेडिंग में 30 दिन का नियम क्या है?

चूंकि नियम इस महीने यानी अक्टूबर के पहले शुक्रवार 7 अक्टूबर से लागू हो रहा है, तो उदाहरण के तौर पर देखें तो या तो ट्रेडर्स को फंड सेटलमेंट हर महीने के पहले शुक्रवार को करना होगा, या हर तिमाही (इस हिसाब से जनवरी 2023, अप्रैल 2023, जुलाई 2023, अक्टूबर, 2023) के पहले शुक्रवार को करना होगा. इसके अलावा अगर वो शुक्रवार को ट्रेडिंग नहीं हो रही है, यानी छुट्टी है तो यह सेटलमेंट उसके पहले पड़ रहे गुरुवार को ही कर लेना होगा.
इंट्राडे ट्रेडिंग टाइम
इंट्राडे ट्रेडिंग यानी की एक ही दिन के अंतराल में स्टॉक को बाय और सेल करना । लेकिन मार्केट के 6 घंटे की अवधि किस अवधि में इंट्राडे ट्रेडिंग करना फायदेमंद होता है, साथ ही इक्विटी और कमोडिटी के लिए क्या इंट्राडे ट्रेडिंग टाइम रखा गया है, ये सभी ज़रूरी बातो को यह विस्तार में जानेंगे।
अब जैसे की आप जानते है कि शेयर बाजार के नियम है जिसका पालन कर आप ट्रेड कर सकते है । सभी नियमों में से एक नियम शेयर मार्केट के समय का है जिसमे आप ट्रेड कर सकते है। इक्विटी शेयर बाजार की बात करे तो वह सुबह 9:15 से शाम 3:15 तक खुला रहता है । यह 6 घंटे की अवधि एक ट्रेडर के लिए विभिन्न अवसर लेकर आती है जिसमे ट्रेडर मुनाफा कमा सकता है।
लेकिन इंट्राडे ट्रेडिंग में मुनाफे के लिए ज़रूरी है एक सही समय का चुनाव करना । ऐसा इसलिए क्योंकि ट्रेडिंग के दौरान वोलैटिलिटी, लिक्विडिटी और अन्य कारक प्राइस में तेज़ी से उतार-चढ़ाव लाते है जिसकी वजह से एक ट्रेडर को नुकसान भी हो सकता है।
कमोडिटी इंट्राडे ट्रेडिंग टाइम
कमोडिटी मार्केट में इंट्राडे ट्रेडिंग टाइम रात को 11:55 तक खुली रहती है तो अगर किसी कमोडिटी (crude oil, cotton, natural gas, etc) में ट्रेड करते है तो आप अपनी पोजीशन को रात तक ओपन करके रख सकते है ।
लेकिन इक्विटी मार्केट की तरह यहाँ भी आपको स्क्वायर-ऑफ टाइम का ध्यान रखना है और मार्केट बंद होने से कम से कम 15 मिनट पहले अपनी पोजीशन को स्क्वायर ऑफ करना होता है ।
इंट्राडे ट्रेडिंग स्क्वायर ऑफ का समय हर ब्रोकर का अलग होता है और इसलिए आप अपने ब्रोकर से इसकी जानकारी ज़रूर प्राप्त करें ।
इंट्राडे ट्रेडिंग करने का सही समय
इंट्राडे ट्रेडिंग उन्ही स्टॉक में ज़्यादातर की जाती है जिसमे अस्थिरता ज़्यादा होती है, अब यहाँ पर अलग अलग समय में वोलैटिलिटी भी अलग होती है जिसके अनुसार इंट्राडे ट्रेडिंग समय सीमा को निम्नलिखित चरणों में बांटा गया है:
ये इंट्राडे ट्रेडिंग टाइम सबसे ज़्यादा वोलेटाइल होता है। सुबह के पहले घंटे में इंट्राडे स्टॉक में सबसे ज़्यादा अस्थिरता देखी जाती है, इसका सबसे बढ़ा कारण मार्केट बंद होने के बाद आयी कोई न्यूज़ या अन्य कोई कारण हो सकता है। ये वह समय में सबसे ज़्यादा वॉल्यूम देखि जाती है यानी की इस समय सबसे ज़्यादा ट्रेडर एक्टिव रहते है।
ये समय ट्रेडर्स के लिए मुनाफा कमाने का अवसर लेकर आता है लेकिन वोलैटिलिटी अधिक होने के कारण इस समय नुक्सान भी ज़्यादा हो सकता है और इसलिए शुरूआती ट्रेडर को इस समय इंट्राडे ट्रेड करने की सलाह नहीं दी जाती।
स्टॉक ट्रे़डिंग: ब्रोकर्स के लिए आज से SEBI का नया नियम लागू, क्लाइंट के फंड सेटलमेंट का बदला तरीका
ब्रोकर्स को क्लाइंट के रनिंग अकाउंट में जितना भी अनयूज़्ड फंड यानी बचा हुआ फंड होगा, वो क्लाइंट के बैंक अकाउंट में वापस भेजना होगा. अब क्लाइंट की पसंद के हिसाब से अकाउंट सेटलमेंट या तो हर महीने या फिर हर तिमाही के पहले शुक्रवार को करना होगा.
स्टॉक ट्रेडिंग देखने वाले ब्रोकरेज हाउसेज़ और ब्रोकर्स के लिए आज शुक्रवार, 7 अक्टूबर, 2022 को नया नियम लागू हो रहा है. Securities and Exchange Board of India (SEBI) ने क्लाइंट के फंड के सेटलमेंट का तरीका बदलने को लेकर गाइडलाइंस जारी की हैं. इसके तहत अब ब्रोकर्स को क्लाइंट के रनिंग अकाउंट में जितना भी अनयूज़्ड फंड यानी बचा हुआ फंड होगा, वो क्लाइंट के बैंक अकाउंट में वापस भेजना होगा. अब क्लाइंट की पसंद के हिसाब से अकाउंट सेटलमेंट या तो हर महीने या फिर हर स्टॉक ट्रेडिंग में 30 दिन का नियम क्या है? तिमाही के पहले शुक्रवार को करना होगा. इसका मतलब है कि ब्रोकर्स के पास क्लाइंट्स का जो भी फंड बच जाएगा, उसे दिनभर का काम निपटाकर वापस क्लाइंट के अकाउंट में ट्रांसफर करना होगा.
क्यों यह नया नियम लेकर आई है SEBI?
सेबी ने रनिंग अकाउंट्स के लिए इस साल जुलाई में यह नई गाइडलाइंस जारी की थीं. इसके लिए रेगुलेटर ने स्टॉक एक्सचेंज, इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों और सेकेंडरी मार्केट एडवाइजरी कमिटी के साथ सलाह-मशविरा किया था.
इस नियम को लेकर सेबी ने अपना एक सर्कुलर जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि सेबी यह नया नियम "क्लाइंट्स के फंड के गलत इस्तेमाल के जोखिम को कम करने के लिए एक फ्रेमवर्क तैयार करने की दिशा में" लाया जा रहा है. इस सर्कुलर में एजेंसी ने कहा कि "क्लाइंट के मैंडेट के हिसाब से ट्रेडर को फंड या सिक्योरिटी का एक्चुअल सेटलमेंट करना होगा और इसके तहत एक रनिंग अकाउंट स्टॉक ट्रेडिंग में 30 दिन का नियम क्या है? के हर सेटलमेंट के बीच कम से कम 30 दिन और अधिकतम 90 दिनों का गैप होना चाहिए."
इस नियम के साथ सेबी का लक्ष्य सिक्योरिटी निवेश में निवेशकों के हितों की सुरक्षा करना और सिक्योरिटी मार्केट के रेगुलेशन और डेवलपमेंट को प्रोटेक्ट करना भी है.
भास्कर एक्सप्लेनर: आप शेयर ट्रेडिंग करते हैं तो यह जानना आपके लिए जरूरी है; एक सितंबर से बदल रहा है मार्जिन का नियम
शेयर बाजार में एक सितंबर से आम निवेशकों के लिए नियम बदलने वाले हैं। अब वे ब्रोकर की ओर से मिलने वाली मार्जिन का लाभ नहीं उठा सकेंगे। जितना पैसा वे अपफ्रंट मार्जिन के तौर पर ब्रोकर को देंगे, उतने के ही शेयर खरीद सकेंगे। इसे लेकर कई शेयर ब्रोकर आशंकित है कि वॉल्युम नीचे आ जाएगा। आइए समझते हैं क्या है यह नया नियम और आपकी ट्रेडिंग को किस तरह प्रभावित करेगा?
सबसे पहले, यह मार्जिन क्या है?
- शेयर मार्केट की भाषा में अपफ्रंट मार्जिन सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले शब्दों में से एक है। यह वह न्यूनतम राशि या सिक्योरिटी होती है जो ट्रेडिंग शुरू करने से पहले निवेशक स्टॉक ब्रोकर को देता है।
- वास्तव में यह राशि या सिक्योरिटी, बाजारों की ओर से ब्रोकरेज से अपफ्रंट वसूली जाने वाली राशि का हिस्सा होती है। यह इक्विटी और कमोडिटी डेरिवेटिव्स में स्टॉक ट्रेडिंग में 30 दिन का नियम क्या है? ट्रेडिंग से पहले वसूली जाती है।
- इसके अलावा स्टॉक्स में किए गए कुल निवेश के आधार पर ब्रोकरेज हाउस भी निवेशक को मार्जिन देते थे। यह मार्जिन ब्रोकरेज हाउस निर्धारित प्रक्रिया के तहत तय होती थी।
- इसे ऐसे समझिए कि निवेशक ने एक लाख रुपए के स्टॉक्स खरीदे हैं। इसके बाद भी ब्रोकरेज हाउस उसे एक लाख से ज्यादा के स्टॉक्स खरीदने की अनुमति देते थे।
- अपफ्रंट मार्जिन में दो मुख्य बातें शामिल होती हैं, पहला वैल्यू एट रिस्क (वीएआर) और दूसरा एक्स्ट्रीम लॉस मार्जिन (ईएलएम)। इसी के आधार पर किसी निवेशक की मार्जिन भी तय होती है।
सेबी का नया नियम: शेयर बेचने के एक दिन के भीतर होगा निवेशकों को भुगतान, 25 फरवरी से लागू होगी टी प्लस वन व्यवस्था
शेयर बाजार में पैसे लगाने वाले निवेशकों को अगले साल से बिक्री के एक स्टॉक ट्रेडिंग में 30 दिन का नियम क्या है? दिन के भीतर ही भुगतान कर दिया जाएगा। बाजार नियामक सेबी ने सोमवार को नई सेटलमेंट व्यवस्था टी प्लस वन लागू करने का रोडमैप पेश किया। 25 फरवरी, 2022 से इस नियम को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने बताया कि शेयर बाजार एक्सचेंज, क्लीयरिंग कॉरपोरेशन और डिपॉजिटरी के संयुक्त फैसले के बाद नई व्यवस्था लागू की जा रही है। इसके तहत वास्तविक कारोबार के एक दिन के भीतर ही निवेशकों के पैसों का निपटान सुनिश्चित करना होगा। फिलहाल बीएसई पर टी प्लस टू व्यवस्था लागू है, जिसमें वास्तविक कारोबार के बाद निपटान पूरा होने में दो दिन लगते हैं।
विस्तार
शेयर बाजार में पैसे लगाने वाले निवेशकों को अगले साल से बिक्री के एक दिन के भीतर ही भुगतान कर दिया जाएगा। बाजार नियामक सेबी ने सोमवार को नई सेटलमेंट व्यवस्था टी प्लस वन लागू करने का रोडमैप पेश किया। 25 फरवरी, 2022 से इस नियम को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने बताया कि शेयर बाजार एक्सचेंज, क्लीयरिंग कॉरपोरेशन और डिपॉजिटरी के संयुक्त फैसले के बाद नई व्यवस्था लागू की जा रही है। इसके तहत वास्तविक कारोबार के एक दिन के भीतर ही निवेशकों के पैसों का निपटान सुनिश्चित करना होगा। फिलहाल बीएसई पर टी प्लस टू व्यवस्था लागू है, जिसमें वास्तविक कारोबार के बाद निपटान पूरा होने में दो दिन लगते हैं।
पहले यह व्यवस्था एक जनवरी, 2022 से लागू होनी थी, जिसे अब 25 फरवरी से चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। सबसे पहले इसमें शुरुआती 100 छोटी कंपनियों को शामिल किया जाएगा। इसके बाद मार्च से अगली 500 छोटी कंपनियों पर नई व्यवस्था लागू होगी। इसी तरह, हर महीने के आखिरी शुक्रवार को अगली 500 कंपनियों पर नियम लागू होते जाएंगे। अगर शुक्रवार को अवकाश होगा, तो अगले कारोबारी दिवस पर लागू करना होगा।
एंजल ब्रोकिंग में इंट्राडे ट्रेडिंग कैसे करें
आप ना केवल मूल्य में वृद्धि होने पर अभी तो मूल्य में गिरावट आने पर भी कमा सकते हैं। यदि शेयर का प्राइस गिर रहा है और आपको लगता है कि यह और गिरेगा तो इस स्थिति में आप शेयर बेचकर करके पैसे कमा सकते हैं।