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किस समय सीमा का उपयोग करें

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जहर मुक्त अनाज की आस

14 नवम्बर 2022, भोपालजहर मुक्त अनाज की आस – अब यह कोई दुराव-छिपाव की बात नहीं है कि हमारे आम-फहम जीवन में लगातार गिरावट आती जा रही है और इसकी वजह भी हम खुद ही है। आखिर किस तरह हम अपनी इस बदलाही से पार पा सकते हैं? किन तौर-तरीकों से हम अपने जीवन को खुशहाल बना सकते हैं? प्रस्तुत है इसी पर प्रकाश डालता यह लेख।

क्या हमने कोरोना के दौर से कुछ सीख ली? क्या हमने जलवायु-परिवर्तन के कारण आ रही आपदाओं से कुछ सबक सीखा? क्या हमने अपनी दिनचर्या में प्रकृति के हित में कोई बदलाव किया? क्या हमने रसायनिक खादों और कीटनाशकों के कारण हो रही बीमारियों के चलते होने वाली मौतों से कुछ सबक सीखा? इन सारे सवालों का एक ही जवाब है-नहीं। और इस ‘नहीं’ का कारण यह है कि हम सबको रोजमर्रा के काम आने वाली चीजें आसानी से मिल रही हैं, बल्कि कह सकते हैं कि आपके द्वार तक पहुंच रही हैं। फिर भला कोई क्यों प्रकृति की चिंता करेगा? फिर भला कोई क्यों जलवायु परिवर्तन की बात करेगा? फिर भला कोई क्यों बात करेगा कि इतने महँगे कीटनाशकों और रसायनिक खादों के इस्तेमाल के बावजूद खेतों में उत्पादन कम हो रहा है? हम सबको तकनीक और आधुनिकता के कारण जो आसानी हो रही है असल में उसके कारण प्रकृति को बहुत परेशानी हो रही है। क्या आपने कभी सोचा है कि जो चीजें हमें आसानी से मिल रही हैं उनको हम तक पहुंचाने वालों को कितनी परेशानी होती है? क्या आपने कभी इस बारे में विचार किस समय सीमा का उपयोग करें किया है कि जो बिजली हमको मिल रही है उसके लिए जिन किसानों की उपजाऊ जमीन छिन गई उनको कितनी परेशानी हो रही है? बड़े-बड़े बांधों को बनाने में कितने जंगल नष्ट हो गए हैं क्या इस पर विचार किया है?

जिन लोगों की जेब में पैसा भरा पड़ा है, उन्हें क्या लेना-देना इन सब परेशानियों से, उनके लिए तो पैसा है तो सब आसान है। किस समय सीमा का उपयोग करें उन्हें इस बात से भी गुरेज नहीं है कि वे जो भोजन खा रहे हैं उसमें कितना जहर मिला हुआ है, उनके घर पर जो पानी आ रहा है वो कितना प्रदूषित है और तो और, उन्हें इस बात की भी परवाह नहीं है कि जिस वातावरण में वे रह रहे हैं उसकी हवा भी प्रदूषित है। सिर्फ वायु-प्रदूषण से ही विश्व भर में हर साल 70 लाख लोग मर जाते हैं, फिर भी किसी पर असर नहीं हो रहा है। क्या कभी कोरोना की तरह वायु-प्रदूषण का भी हल्ला होगा? क्या वायु-प्रदूषण को कम करने के लिए भी कभी लॉकडाउन लगेगा? ये ऐसे कुछ सवाल हैं जिनके जवाब न तो नीति निर्धारकों के पास हैं और न उस जनता के पास, जिसे आसानी से सब कुछ प्राप्त करने की आदत हो गई है। भले ही इनके कारण कोई मर जाए या बीमारियों की सुनामी आ जाए, इससे किसी को कुछ लेना-देना नहीं है, परन्तु यह उदासीनता आगे चलकर बहुत महंगी पडऩे वाली है। जलवायु किस समय सीमा का उपयोग करें परिवर्तन के कारण इस बार फसलों का उत्पादन कम हुआ है जिस कारण महंगाई भी बढ़ रही है और आसानी से उपलब्ध होने वाली चीजें भी महंगी हो चुकी हैं। सभी क्षेत्रों में महंगाई ने जनता की कमर तोड़ दी है। अब जब आपको आसानी से उपलब्ध सस्ते जहरयुक्त अनाज, दाल, तेल, और मसालों की आदत हो गई है, तो अब यही सामान आपको लेना पड़ेगा, क्योंकि आपके पास कोई विकल्प नहीं है। उसी प्रकार से किसानों को भी अपने खेत में रसायनिक खादों और कीटनाशकों के इस्तेमाल की आदत हो गई है। इनके इस्तेमाल के बावजूद उत्पादन गिर रहा है, फिर भी रसायनिक खादों और कीटनाशकों का बेतहाशा इस्तेमाल करने वाले किसानों की आंखें नहीं खुल रहीं। उन्हें इतना समझ नहीं आ रहा कि उत्पादन का सीधा सम्बन्ध वातावरण से है, न कि रसायनिक खादों से। उत्पादन प्रकृति की एक व्यवस्था है जो कि आसपास के वातावरण पर निर्भर है।

यदि आपके यहाँ का वातावरण प्रदूषण रहित रहेगा और विविधता रहेगी तो उत्पादन भी अच्छा रहेगा। चाहे जनता हो, नीति-निर्धारक हों या चाहे किसान, सभी को जो चीजें आसानी से मिल रही हैं उनको पहुँचाने वाले लोगों को कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ता है? इस बात को समझें और प्रकृति को हो रहे नुकसान से बचाने के लिए, जलवायु परिवर्तन के कारण आ रहीं अनिमंत्रित आपदाओं से निजात पाने के लिए और किसानों को जहरीले कीटनाशकों से निजात दिलाने के लिए जमीनी परिवर्तन करें।

उन किसानों के बारे में सोचें जो आपको जहरमुक्त अनाज उपलब्ध कराने की कोशिश में लगे हुए हैं। साथ ही उन किसानों के बारे में भी सोचें जो सस्ता, परंतु जहरयुक्त अनाज उपलब्ध कराने के लिए कितना रसायन अपने खेत में डाल रहे हैं, अंधाधुंध कीटनाशक इस्तेमाल कर रहे हैं और ढेरों बीमारियों को आमंत्रित कर रहे हैं। इन किसानों के बारे में सोचें, ताकि ये किसान भी इस रसायनिक खाद और कीटनाशक वाली व्यवस्था से बाहर निकल सकें। इन किसानों से जनता जहरमुक्त अनाज, फल व सब्जियों की मांग कर सकती है, क्योंकि बिना मांग के भला कोई क्यों उत्पादन करेगा। जब जहरयुक्त अनाज ही आसानी से बिक रहा है तो भला क्यों किसान जहरमुक्त अनाज उत्पादन करने की परेशानी झेलेगा? अगर जनता खुद चाहेगी कि उसको जहरयुक्त अनाज नहीं खाना तो किसान भी जहरमुक्त अनाज के उत्पादन की ओर नहीं जाएगा। नहीं तो यह जहरयुक्त खेती यूं ही चलती रहेगी, बल्कि और तेजी से बढ़ेगी और उसी गति से बढ़ेंगी बीमारियां भी। यह मानकर चलिए कि आपको बीमारियां तो होंगी ही और यह भी ध्यान रखिये कि आप सोना, चांदी, पैसा या सुविधा को खा नहीं सकते, खाने का काम तो खाना ही करेगा। इसलिए अभी भी वक्त है परेशानियों को खत्म करने का। कोरी बातें करने का समय अब निकल चुका है, अब समय है आसानी से हो रही परेशानियों से बचने के लिए जमीनी काम करने का।

सभी ट्विटर यूजर्स को करनी पड़ सकती है जेब ढीली, मस्‍क का है फ्री सर्विस खत्‍म करने का प्‍लान

हाल ही में एक मीटिंग में मस्क ने कर्मचारियों के साथ इस विचार पर चर्चा की थी.

Elon Musk का इरादा सभी ट्विटर यूजर्स (Twitter Users) पैसे लेने का है. आने वाले दिनों में इस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग करने के लिए फीस (Twitter Subscription Fee) चुकानी पड़ सकती है. फ्री में ट्विटर के उपयोग की समय सीमा तय हो सकती है.

  • News18Hindi
  • Last Updated : November 09, 2022, 16:57 IST

हाइलाइट्स

ट्विटर को रोजाना 40 लाख डॉलर (32.77 करोड़ रुपए) का नुकसान हो रहा है
कंपनी पर भारी भरकम कर्ज भी है, जिसे मस्‍क जल्‍द चुकाना चाहते हैं.
एलन मस्‍क ट्विटर खरीदने के बाद इसमें कई बदलाव कर चुके हैं.

नई दिल्‍ली. जब से एलन मस्‍क (Elon Musk) ने ट्विटर (Twitter) का अधिग्रहण किया है, वे रोज इसमें कोई न कोई बदलाव कर रहे हैं. अब खबरें आ रही है कि एलन का मस्‍क का इरादा सभी ट्विटर यूजर्स से इसके इस्‍तेमाल के लिए पैसे लेने का है. प्‍लेटफॉर्मर की एक रिपोर्ट के अनुसार एलन मस्क सब्सक्रिप्शन फीस (Twitter Subscription Fee) चार्ज करने का प्लान कर रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि हाल ही में एक मीटिंग में मस्क ने कर्मचारियों के साथ इस विचार पर चर्चा की थी.

मस्‍क की योजना है कि यूजर्स को बस कुछ समय के लिए ही ट्विटर सर्विस फ्री में उपलब्‍ध कराई जाए. तय समय सीमा के समाप्‍त होने के बाद जो यूजर्स ट्विटर का प्रयोग करना चाहते हैं, उनसे इसके लिए कुछ रुपये लिए जाएं हालांकि अभी यह साफ नहीं है कि नया नियम कब लागू होगा और मस्‍क इसको लेकर कितने गंभीर है. प्‍लेटफॉर्मर की रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनी की टीम फिलहाल नए वेरिफिकेशन सब्सक्रिप्शन फीचर पर काम कर रही है.

धड़ाधड़ कर रहे हैं बदलाव
ट्विटर का अधिग्रहण करने के बाद एलन मस्‍क ट्विटर में धड़ाधड़ बदलाव कर रहे हैं. वे बड़ी संख्‍या में कंपनी से कर्मचारियों की छुट्टी कर चुके हैं. उन्‍होंने वेरिफाइड अकाउंट यानी किस समय सीमा का उपयोग करें ब्लू टिक के लिए सब्सक्रिप्शन चार्ज लेना शुरू कर दिया है. सब्सक्रिप्शन चार्ज लेने की शुरुआत अभी कनाडा, अमेरिका, यूके, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में हुई है. ट्विटर ब्लू के लिए सब्सक्रिप्शन चार्ज 7.99 डॉलर है. अगर लोग इसे नहीं खरीदते हैं, तो वे अपना वेरिफाइड चेकमार्क खो देंगे. भारतीय यूजर्स को एक महीने बाद यह सब्सक्रिप्शन देना पड़ सकता है. इसके लिए यहां करीब 200 रुपए खर्च करने पड़ सकते हैं.

ट्विटर को हो रहा है घाटा
ट्विटर में कर्मचारियों की छंटनी का बचाव करते हुए मस्क ने कहा था कि जब कंपनी को रोजाना 40 लाख डॉलर (32.77 करोड़ रुपए) का नुकसान हो रहा है, तो हमारे पास कर्मचारियों को हटाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. जानकारों का कहना है कि ट्विटर की फ्री सर्विस को समाप्‍त करने के पीछे कई कारण है. सबसे पहला कारण तो कंपनी का घाटे में होना है. ट्विटर को मस्‍क ने 44 बिलियन डॉलर में खरीदा है. एलन मस्‍क इस रकम की भरपाई जल्‍द से जल्‍द करना चाहते हैं. इसके अलावा ट्विटर पर भारी कर्ज है. मस्‍क इस कर्ज से भी जल्‍द छुटकारा पाना चाहते हैं और इसके लिए वे विज्ञापनदाताओं पर निर्भर नहीं रहना चाहते.

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किस समय सीमा का उपयोग करें

कुलपति व अन्य

कुलपति व अन्य

बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में पर्यावरण एवं सतत विकास पर अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस आयोजित

झांसी, 14 नवम्बर(हि. स.)। वैश्विक स्तर पर जिस प्रकार आज विभिन्न देशों के बीच अनिश्चितता का माहौल है। दो देशों के मध्य चल रहे युद्ध ने सभी देशों को अपनी विदेश नीति बदलने पर विवश किया है। ऐसे में वही राष्ट्र आज महाशक्ति के रूप में उभरेगा जो अपनी ऊर्जा आपूर्ति के लिए किसी पर निर्भर ना हो। वैकल्पिक ऊर्जा आज की जरूरत है।

उक्त विचार बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर मुकेश पांडे ने पर्यावरण विभाग, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय एवं इटालियन नेशनल एजेंसी फॉर न्यू टेक्नोलॉजी, एनर्जी एंड सस्टेनेबल इकोनामिक डेवलपमेंट द्वारा रोल ऑफ एप्लाइड साइंस एंड इंजीनियरिंग इन द डेवलपमेंट एंड एडॉप्शन ऑफ ग्रीन टेक्नोलॉजीस इन एनर्जी ट्रांजिशन एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट विषय पर आयोजित एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस में व्यक्त किए।

उन्होंने कहा कि भारत एक ऐसा देश है जहां 365 दिन में 360 दिन लगभग 10 घंटे सूरज की उपलब्धता रहती है। किस प्रकार इस सौर एनर्जी का वैकल्पिक ऊर्जा ग्रुप में हम अधिकतम उपयोग कर सकते हैं इस पर छात्रों को कार्य करना होगा।

मुख्य अतिथि डॉक्टर आलोक अधोलिया, फाउंडर सीईओ ऑफ उमाहरलिक, सेंट लुइस ने कहाकि पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों पर आधारित विकास एक समय सीमा के बाद स्वयं में समस्या बन जाएगा। वर्तमान में संपूर्ण विश्व दो भागों में बंटा हुआ है। कई प्रकार के देश प्राकृतिक ऊर्जा के बल पर धन संपदा बढ़ाते जा रहे हैं वह दूसरे देश तेल आपूर्ति के लिए उन पर निर्भर है। यह असंतुलन ही वैश्विक स्तर पर कई प्रकार की गतिरोधों के लिए जिम्मेदार है।

विशिष्ट अतिथि डॉ एके त्रिपाठी, डिवीजन हेड, मिनिस्ट्री ऑफ न्यू एंड रिन्यूएबल एनर्जी, नई दिल्ली ने कहा कि भारत सौर ऊर्जा एवं इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दे रहा है। हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने एशिया के सबसे बड़े सौर ऊर्जा पार्क का उद्घाटन किया। जहां एक गांव तो अपने संपूर्ण ऊर्जा स्रोतों के लिए सौर ऊर्जा उत्पादन कर रहा है।

मुख्य वक्ता डॉ विनोद कुमार शर्मा, ईएनईए, रिसर्च सेंटर, ट्रीसाइया, इटली ने विषय की प्रस्तावना रखते हुए वैश्विक स्तर पर पर्यावरण चुनौतियों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा किए जा रहे प्रयासों से भी अभी कुछ समाधान निकलता नहीं दिख रहा है। कार्यक्रम में पर्यावरण एवं सतत विकास के क्षेत्र में कार्य करने वाले अनेक वैज्ञानिकों एवं उत्कृष्ट शोध करने वाले छात्रों को विभिन्न पुरस्कार प्रदान किए गए। साथ ही कॉन्फ्रेंस स्मारिका का विमोचन किया गया। अतिथियों का स्वागत डॉक्टर अमित पाॅल ने किया।

KBC 14: कर्मयोगी किस टेक्नोक्रैट की जीवनी है, जिन्होंने कोंकण रेलवे के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी?

KBC 14 Daily Play Along Quiz

KBC 14 Play Along 14 November, Kaun Banega Crorepati 14, Episode 72: कर्मयोगी किस टेक्नोक्रैट की जीवनी है, जिन्होंने कोंकण रेलवे के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी?

KBC 14 Play Along 14 November, Kaun Banega Crorepati 14, Episode 72: कर्मयोगी किस टेक्नोक्रैट की जीवनी है, जिन्होंने कोंकण रेलवे के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी?

C. नृपेंद्र मिश्रा

उत्तर:A. ई श्रीधरन

कर्मयोगी ई श्रीधरन टेक्नोक्रैट की जीवनी है, जिन्होंने कोंकण रेलवे के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. ई श्रीधरन भारत के एक प्रख्यात सिविल इंजीनियर हैं. वे 1995 से 2012 तक दिल्ली मेट्रो के निदेशक रहे. उन्हें भारत के 'मेट्रो मैन' के रूप में भी जाना जाता है. भारत सरकार ने उन्हें 2001 में पद्म श्री तथा 2008 में पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया. केरलवासी श्रीधरन की कार्यशैली की सबसे बड़ी खासियत है एक निश्चित योजना के तहत निर्धारित समय सीमा के भीतर काम को पूरा कर दिखाना. समय के बिलकुल पाबंद श्रीधरन की इसी कार्यशैली ने भारत में सार्वजनिक परिवहन को चेहरा ही बदल दिया. 1963 में रामेश्वरम और तमिलनाडु को आपस में जोड़ने वाला पम्बन पुल टूट गया था. रेलवे ने उसके पुननिर्माण के लिए छह महीन का लक्ष्य तय किया, लेकिन उस क्षेत्र के इंजार्च ने यह अवधि तीन महीने कर दी और जिम्मेदारी श्रीधरन को सौंपी गई.

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बुखार और तापमान कैसे मापें

3 महीने से अधिक उम्र के बच्चों के लिए, बुखार को इस प्रकार परिभाषित किया जा किस समय सीमा का उपयोग करें सकता है:

  • 100.9°F (38.3°C) या इससे अधिक का मुँह का (मुँह से) तापमान
  • 100.4°F (38.0°C) या इससे अधिक का मुँह का तापमान जो एक घंटे तक रहे
  • बांह के नीचे (कांख) में 99.9°F (37.7°C) का तापमान
  • बांह के नीचे 99.4°F (37.4°C) या इससे अधिक का तापमान, जो एक घंटे तक रहे

तीन महीने से कम उम्र के बच्चों में, अगर कांख में मापा गया तापमान 99.4°F (37.4°C) या इससे अधिक हो, तो इसे बुखार माना जाता है।

बुखार के कारण क्या हैं?

बुखार का सबसे आम कारण कीटाणु या विषाणुओं से होने वाला संक्रमण है। बुखार के अन्य कारणों में गर्मी में बाहर निकलना, कैंसर, ऑटोइम्यून विकार, कुछ दवाइयां या टीकाकरण शामिल हो सकते हैं।

कैंसर से पीड़ित बच्चों में संक्रमण का खतरा अधिक होता है, क्योंकि कैंसर और इसके इलाज से प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो सकती है। अपने चिकित्सक से पूछें कि यदि आपके बच्चे को बुखार हो जाए, तो क्या करना है। बचपन में होने वाले कैंसर में बुखार और संक्रमण के लक्षण के बारे में और पढ़ें।

बुखार के लक्षण क्या हैं?

बुखार के लक्षणों में शामिल हैं:

  • स्पर्श करने पर त्वचा गर्म महसूस होना
  • गाल फूलना (लाल या गुलाबी रंग का होना)
  • ठंड लगना
  • सिरदर्द और शरीर में दर्द
  • कम ऊर्जावान या अच्छी तरह महसूस न होना

मैं तापमान कैसे लूं?

तापमान मापने का सबसे अच्छा तरीका, डिजिटल रीडिंग वाले थर्मामीटर का उपयोग करना है। डिजिटल थर्मामीटर त्वरित और उपयोग में आसान होते हैं। कांच के पारा युक्त थर्मामीटर का उपयोग न करें। अगर पारा वाला थर्मामीटर टूटा, तो यह विषाक्त हो सकता है।

डिजिटल थर्मामीटर का उपयोग करने के लिए सामान्य सुझाव

  • अपने / अपने बच्चे के शरीर का सामान्य तापमान जानने के लिए बेसलाइन जानें। जब आप अच्छा महसूस कर रहे हों, तो कुछ दिनों तक सुबह और शाम का तापमान मापें। इससे आपको अंदाजा हो जाएगा कि आपके लिए क्या सामान्य है।
  • बीप्स और प्रदर्शित प्रतिकों अर्थ जानने के लिए निर्देश पढ़ें।
  • सुनिश्चित करें कि स्क्रीन पर पुरानी रीडिंग न हो।
  • बीप होने तक थर्मामीटर को जगह पर लगाए रखें।
  • किसी की निगरानी न होने पर, बच्चों को उनका तापमान मापने न दें।
  • प्रत्येक उपयोग से पहले और बाद में थर्मामीटर को साफ करें। निर्माता द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करें।

मुँह से तापमान लेना (मुँह का तापमान)

मुँह का (मुँह से) तापमान लेना, आमतौर पर 4 या 5 वर्ष की आयु के बच्चों में तापमान को मापने का सबसे अच्छा तरीका है। बच्चे निर्देशों को समझने और उनका पालन करने के लिए पर्याप्त बड़े होने चाहिए।

  • गर्म या ठंडे पेय पीने के किस समय सीमा का उपयोग करें बाद कम से कम 15 मिनट तक प्रतीक्षा करें। सुनिश्चित करें कि आपके बच्चे के मुँह में कैंडी, चुइंग गम या भोजन न हो।
  • थर्मामीटर की नोक को जीभ के नीचे, मुँह के किस समय सीमा का उपयोग करें पीछे की ओर रखें।
  • होठों को मजबूती से दबाएं। थर्मामीटर को दांतों से न दबाएं।
  • थर्मामीटर में से बीप की आवाज आने तक पकड़कर रखें।
  • मुँह से थर्मामीटर निकालें, तापमान पढ़ें और रिकॉर्ड करें।

बांह के नीचे तापमान लेना (बगल या कांख में रखकर तापमान लेना)

कांख में थर्मामीटर रखकर कांख से तापमान लिया जाता है। किसी भी उम्र के व्यक्ति के लिए इस पद्धति का उपयोग किया जा सकता है। हालांकि, एक कांख से लिया जाने वाला तापमान अन्य उपायों की तरह विश्वसनीय नहीं होता है। कांख के तापमान को बुखार जांचने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है, लेकिन सटीक रीडिंग नहीं मिलती है।

  • कपड़ों को निकालें या इस तरह से हटाएं ताकि थर्मामीटर को कांख में सुरक्षित रूप से रखा जा सके।
  • थर्मामीटर की नोक को कांख के केंद्र में रखें।
  • बांह को शरीर के बगल में दबाकर थर्मामीटर को पकड़कर रखें।
  • थर्मामीटर में से बीप की आवाज आने तक दबाकर रखें।
  • मुँह से थर्मामीटर निकालें, तापमान पढ़ें और रिकॉर्ड करें।

टेम्पोरल आर्टरी थर्मामीटर का उपयोग करके माथे का तापमान लेना

शंख धमनी से निकलने वाली गर्मी को मापने वाले थर्मामीटर का उपयोग करके तापमान लिया जा सकता है। यह धमनी माथे पर, त्वचा के नीचे होती है। किसी भी उम्र के व्यक्ति के लिए टेम्पोरल आर्टरी थर्मामीटर का उपयोग किया जा सकता है। हालांकि, यह 3 महीने से छोटे शिशुओं में उतना विश्वसनीय नहीं हो सकता है। माथे पर इस्तेमाल किए जाने वाले थर्मामीटर विभिन्न प्रकार के होते हैं। कुछ उपकरण माथे की सतह पर थर्मामीटर को घुमाने पर काम करते हैं। कुछ डिवाइस में सेंसर का इस्तेमाल होता है, जो माथे को स्पर्श नहीं करता है।

ईयर थर्मामीटर (टिंपेनिक थर्मामीटर) का उपयोग करके तापमान लेना

कान की बाह्य नलिका से निकलने वाली गर्मी को मापने वाले थर्मामीटर का उपयोग करके तापमान लिया जा सकता है। हालांकि, किस समय सीमा का उपयोग करें यह पद्धति अक्सर विश्वसनीय नहीं होती है। तापमान रीडिंग, थर्मामीटर रखने की स्थिति पर निर्भर हो सकती है। कान की बाह्य नलिका का आकार और कान में मैल होने पर भी रीडिंग प्रभावित हो सकती है। ईयर थर्मामीटर 6 महीने से कम उम्र के शिशुओं का तापमान मापने के लिए विश्वसनीय नहीं हैं।

तापमान मापने का सबसे अच्छा तरीका क्या है?

बुखार जांचने के लिए मुँह से किस समय सीमा का उपयोग करें तापमान मापना, आमतौर पर सबसे सटीक और सुविधाजनक तरीका है। यदि बच्चा बहुत छोटा है या उसके मुँह में छाले है, तो कांख से तापमान मापें।

बचपन में होने वाले कैंसर के अधिकांश मरीजों के लिए मुँह और कांख से तापमान मापना, ये दो अनुशंसित तरीके हैं। किसी भी अन्य विधि का उपयोग करने से पहले अपने चिकित्सक से बात करें, जैसे कि टेम्पोरल आर्टरी (माथे) थर्मामीटर या टिंपेनिक (कान) थर्मामीटर, क्योंकि वे कम सटीक हो सकते हैं। पेसिफ़ायर थर्मामीटर और माथे पर लगाने वाली पट्टी से बचें, क्योंकि ये विश्वसनीय नहीं हैं और सटीक रीडिंग नहीं देते हैं।

सावधान: मलाशय क्षेत्र (नीचे से) तापमान मापना, बचपन में होने वाले कैंसर के रोगियों के लिए जोखिम हो सकता है। कैंसर के रोगियों में अक्सर प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है और गुदा व तल के आसपास चकत्ते या घाव हो सकते हैं। रेक्टल थर्मामीटर गुदा क्षेत्र की पतली त्वचा को नुकसान पहुंचा सकता है और संक्रमण का जोखिम बढ़ा सकता है। इसलिए, आमतौर पर कैंसर से पीड़ित बच्चों में बुखार की जांच के लिए रेक्टल तापमान का उपयोग नहीं किया जाता है।

शिशुओं और छोटे बच्चों के लिए, जिन्हें कैंसर नहीं है और जो स्वस्थ हैं, बच्चों के चिकित्सक रेक्टल तापमान की सलाह दे सकते हैं। रेक्टल थर्मामीटर अक्सर शरीर के तापमान की सबसे सटीक रीडिंग देते हैं। बुखार को मापने के तरीके के बारे में हमेशा अपने चिकित्सक के निर्देशों का पालन करें।

मैं डिजिटल थर्मामीटर को कैसे साफ करूं?

अधिकांश थर्मामीटर को साबुन और पानी का उपयोग करके साफ किया जा सकता है। आप सतह (मुँह में डालने से पहले साफ करें) को पोंछने के लिए रबिंग अल्कोहल (70% आइसोप्रोपिल अल्कोहल) का भी उपयोग कर सकते हैं। साफ कपड़े से पोंछें।

थर्मामीटर को पानी में उबालें या डुबाए नहीं। डिशवॉशर में साफ न करें। हमेशा निर्माता के निर्देशों का पालन करें।

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