शेयर बाजार किस प्रकार के हैं

शेयर बाजार में ग्रुप
स्टॉक ब्रोकर क्या है और शेयर ब्रोकर के प्रकार (Stock Broker in Hindi)
Stock शेयर बाजार किस प्रकार के हैं Broker Kya Hai In Hindi: अगर आप शेयर मार्केट के बारे में सीखना चाहते हैं तो इससे जुड़े छोटे – छोटे टर्म के बारे में जानकारी प्राप्त करें, इनके बारे में जानकारी होना आपके वित्तीय बुद्धि को मजबूत बनाती है. शेयर बाजार से जुडी एक ऐसी ही टर्म है जो कि बहुत महत्वपूर्ण है वह है स्टॉक ब्रोकर. जिसके बारे में हम आपको आज के लेख में जानकारी देंगे.
आज के इस लेख में आपको जानने को मिलेगा कि Stock Broker क्या है, स्टॉक ब्रोकर कितने प्रकार के होते हैं, स्टॉक ब्रोकर कैसे काम करता है और स्टॉक ब्रोकर कैसे बनें.
शेयर बाजार क्या है
शेयर बाजार में काम के घंटों में ब्रोकर अपने ग्राहकों के लिए उनके द्वारा दिए गए आर्डर टर्मिनल में डाल देते हैं. इसके बदले में ब्रोकर को ब्रोकरेज या दलाली मिलती है। शेयर बाजार के बारे में अधिक जानकारी ओर अन्य पहलुओं को जानने के लिये Share Market information in Hindi विस्तार से पढ़ें।
हम कह सकते हैं कि मुख्यतः शेयर बाजार की तीन कड़ियाँ हैं स्टॉक एक्सचेंज, ब्रोकर और निवेशक. ब्रोकर स्टॉक एक्सचेंज के सदस्य होते है और केवल वे ही उस स्टॉक एक्सचेंज में ट्रेडिंग कर सकते हैं. ग्राहक सीधे जाकर शेयर खरीद या बेच नहीं सकते उन्हें केवल ब्रोकर के जरिए ही जाना पड़ता है. ऐसा नहीं है कि शेयर बाजार में निवेश करने के लिये कोई मोटी राशि कि जरुरत है, यहां पढिये शेयर बाजार में कम से कम कितने पैसे लगा सकते हैं।
शेयर बाजार क्या है – भारत के प्रमुख स्टॉक एक्स्चेंज
देश में मुख्यतः BSE यानी मुंबई स्टॉक एक्सचेंज और NSE यानी नेशनल स्टॉक एक्सचेंज हैं जिन पर शेयरों का कारोबार होता है. BSE और NSE दुनिया के बड़े स्टॉक एक्सचेंज हैं. अधिकतर कंपनियां जिनके शेयर मार्केट में ट्रेड होते हैं इन दोनों स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड है मगर यह भी हो सकता है कि कोई कंपनी इन दोनों में से किसी एक ही एक्सचेंज पर लिस्टेड हों.
देश के मुख्यता सभी बड़े बैंक या उनकी सबसिडी कंपनियां और अन्य बड़ी वित्तीय कंपनियां इन एक्सचेंजों में ब्रोकर के तौर पर काम करती हैं. ग्राहक इन ब्रोकर कम्पनियों के पास जाकर अपने डीमैट अकाउंट की जानकारी देकर अपना खाता ब्रोकर के पास खुलवा सकता है. इस प्रकार ग्राहक का डीमैट एकाउंट ब्रोकर के अकाउंट से जुड़ जाता है और खरीदी अथवा बेची गई शेयर्स ग्राहक के डीमैट अकाउंट से ट्रांसफर हो जाती हैं. इसी प्रकार ग्राहक शेयर बाजार किस प्रकार के हैं अपना बैंक खाता भी ब्रोकर के खाते के साथ जोड़ सकता है जिससे खरीदे अथवा बेचे गए शेयरों की धनराशि ग्राहक के खाते में ट्रांसफर की जाती है.
डीमैट अकाउंट से जुड़ता है ट्रेडिंग अकाउंट
ग्राहक द्वारा खरीदे गए शेयर इलेक्ट्रॉनिक रूप में उसके डीमैट एकाउंट में पड़े रहते हैं जब भी कोई कंपनी डिविडेंड की घोषणा करती है तो डीमैट अकाउंट से जुड़े बैंक खाते में डिविडेंड की राशि पहुंच जाती है. इसी प्रकार यदि कंपनी बोनस शेयरों की घोषणा करती है तो बोनस शेयर भी शेयरहोल्डर के डीमैट अकाउंट में पहुंच जाते हैं. ग्राहक जब शेयर बेचता है तो उसी डीमैट अकाउंट से वह शेयर ट्रान्सफर हो जाता है.
शेयरों में कारोबार करने के लिए एक निवेशक शेयर बाजार किस प्रकार के हैं के पास डीमैट अकाउंट, ब्रोकर के पास ट्रेडिंग अकाउंट और उससे जुडा एक बैंक खाता होना जरूरी है. कई बैंक इसके लिए थ्री इन वन खाता खोलने की सुविधा भी देते हैं. अधिकतर ब्रोकर हाउस आपको ऑनलाइन शेयर ट्रेडिंग की सुविधा भी प्रदान करते हैं इसके अलावा आप फोन करके भी अपने ऑर्डर दे सकते है.
यदि आप भी शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं तो शेयर बाजार क्या है और शेयर बाजार कैसे काम करता है यह आपके लिए समझना बहुत आवश्यक है.
शेयर बाजार क्या है
शेयर बाजार क्या है और यह कैसे काम करता है शेयर मार्केट की जानकारी, शेयर कैसे खरीदें हिंदी में विस्तार से शेयर मार्किट गाईड आसान भाषा में। जब भी हम किसी बाज़ार की कल्पना करते है तो हमारे दिमाग में किसी ऐसी जगह की इमेज बनती है जहाँ बहुत-सी दुकानें होंगी या कोई मॉल जहां जाकर आप खरीदारी कर सकते हैं मगर शेयर बाजार ऐसा बाजार नहीं है. शेयर बाजार शेयर बाजार किस प्रकार के हैं शेयर बाजार किस प्रकार के हैं में खरीदने और बेचने का काम पूरी तरह से कंप्यूटर द्वारा ऑटोमेटिक तरीके से होता है. कोई भी शेयर खरीदने या बेचने वाला अपने ब्रोकर के द्वारा एक्सचेंज पर अपना आर्डर देता है और पलक झपकते ही पेंडिंग आर्डरों के अनुसार ऑटोमेटिकली सौदे का मिलान हो जाता है.
शेयर बाजार क्या है
शेयर बाजार में काम के घंटों में ब्रोकर अपने ग्राहकों के लिए उनके द्वारा दिए गए आर्डर टर्मिनल में डाल देते हैं. इसके बदले में ब्रोकर को ब्रोकरेज या शेयर बाजार किस प्रकार के हैं दलाली मिलती है। शेयर बाजार के बारे में अधिक जानकारी ओर अन्य पहलुओं को जानने के लिये Share Market information in Hindi विस्तार से पढ़ें।
हम कह सकते हैं कि मुख्यतः शेयर बाजार की तीन कड़ियाँ हैं स्टॉक एक्सचेंज, ब्रोकर और निवेशक. ब्रोकर स्टॉक एक्सचेंज के सदस्य होते है और केवल वे ही उस स्टॉक एक्सचेंज में ट्रेडिंग कर सकते हैं. ग्राहक सीधे जाकर शेयर खरीद या बेच नहीं सकते उन्हें केवल ब्रोकर के जरिए ही जाना पड़ता है. ऐसा नहीं है कि शेयर बाजार में निवेश करने के लिये कोई मोटी राशि कि जरुरत है, यहां पढिये शेयर शेयर बाजार किस प्रकार के हैं बाजार में कम से कम कितने पैसे लगा सकते हैं।
शेयर बाजार क्या है – भारत के प्रमुख स्टॉक एक्स्चेंज
देश में मुख्यतः BSE यानी मुंबई स्टॉक एक्सचेंज और NSE यानी नेशनल स्टॉक एक्सचेंज हैं जिन पर शेयरों का कारोबार होता है. BSE और NSE दुनिया के बड़े स्टॉक एक्सचेंज हैं. अधिकतर कंपनियां जिनके शेयर मार्केट में ट्रेड होते हैं इन दोनों स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड है मगर यह भी हो सकता है कि कोई कंपनी इन दोनों में से किसी एक ही एक्सचेंज पर लिस्टेड हों.
देश के मुख्यता सभी बड़े बैंक या उनकी सबसिडी कंपनियां और अन्य बड़ी वित्तीय कंपनियां इन एक्सचेंजों में ब्रोकर के तौर पर काम करती हैं. ग्राहक इन ब्रोकर कम्पनियों के पास जाकर अपने डीमैट अकाउंट की जानकारी देकर अपना खाता ब्रोकर के पास खुलवा सकता है. इस प्रकार ग्राहक का डीमैट एकाउंट ब्रोकर के अकाउंट से जुड़ जाता है और खरीदी अथवा बेची गई शेयर्स ग्राहक के डीमैट अकाउंट से ट्रांसफर हो जाती हैं. इसी प्रकार ग्राहक अपना बैंक खाता भी ब्रोकर के खाते के साथ जोड़ सकता है जिससे खरीदे अथवा बेचे गए शेयरों की धनराशि ग्राहक के खाते में ट्रांसफर की जाती है.
डीमैट अकाउंट से जुड़ता है ट्रेडिंग अकाउंट
ग्राहक द्वारा खरीदे गए शेयर इलेक्ट्रॉनिक रूप में उसके डीमैट एकाउंट में पड़े रहते हैं जब भी कोई कंपनी डिविडेंड की घोषणा करती है तो डीमैट अकाउंट से जुड़े बैंक खाते में डिविडेंड की राशि पहुंच जाती है. इसी प्रकार यदि कंपनी बोनस शेयरों की घोषणा करती है तो बोनस शेयर भी शेयरहोल्डर के डीमैट अकाउंट में पहुंच जाते हैं. ग्राहक जब शेयर बेचता है तो उसी डीमैट अकाउंट से वह शेयर ट्रान्सफर हो जाता है.
शेयरों में कारोबार करने के लिए एक निवेशक के पास डीमैट अकाउंट, ब्रोकर के पास ट्रेडिंग अकाउंट और उससे जुडा एक बैंक खाता होना जरूरी है. कई बैंक इसके लिए थ्री इन वन खाता खोलने की सुविधा भी देते हैं. अधिकतर ब्रोकर हाउस आपको ऑनलाइन शेयर ट्रेडिंग की सुविधा भी प्रदान करते हैं इसके अलावा आप फोन करके भी अपने ऑर्डर दे सकते है.
यदि आप भी शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं तो शेयर बाजार क्या है और शेयर बाजार कैसे काम करता है यह आपके लिए समझना बहुत आवश्यक है.
शेयर बाजार में ग्रुप
शेयर बाजार में ग्रुप A, B, T और शेयर बाजार किस प्रकार के हैं Z क्या हैं और इनका वर्गिकरण कैसे होता है। क्यों अलग अलग श्रेणियों में बांटा जाता है BSE के शेयरों को। मुम्बई स्टॉक एक्सचेंज के शेयरों को ट्रेडिंग के उद्देश्य से अलग अलग श्रेणियों में बांटने के क्या कारण हैं, कौन कौन सी श्रेणियां हैं और इनमें क्या अंतर हैं। आईये समझते हैं बॉम्बे शेयर बाजार में शेयरों के वर्गिकरण क्यों और कैसे किया जाता है।
शेयर बाजार में ग्रुप
शेयर बाजार में ग्रुप – वर्गिकरण का आधार
मुम्बई स्टॉक एक्सचेंज में सभी शेयरों को ग्रुप A, B, T और Z में बांटा गया है। हालांकि यह वर्गिकरण ट्रेडिंग की सुविधा के लिये किया गया है मगर कौन सा शेयर किस कैटेगरी में है यह उसकी विकास क्षमता और उसके गुणों के बारे में भी बहुत कुछ कहता है। बीएसई पर कारोबार की गई सिक्योरिटीज को विभिन्न समूहों में वर्गीकृत किया गया है।
बीएसई ने निवेशकों के मार्गदर्शन और लाभ के लिए इक्विटी सेगमेंट में सिक्योरिटीज को ‘ए’, ‘बी’, ‘टी’ और ‘जेड’ समूहों में कुछ गुणात्मक और मात्रात्मक मानकों के आधार पर वर्गीकृत किया है।
ग्रुप A
शेयर मार्केट में ग्रुप ए में सबसे लोकप्रिय शेयर शामिल हैं। स्टॉक जो सक्रिय रूप से कारोबार कर रहे हैं वे A ग्रुप में आते हैं। ‘ए’ समूह में मुख्यत मार्केट कैपिटलाईजेशन, टर्नोवर और लिक्विडिटी के आधार पर टॉप 300 शेयरों को रखा जाता है। A ग्रुप के शेयर सबसे ज्यादा लिक्विड शेयर होते हें। लिक्विड शेयर का मतलब शेयर की तरलता से है। आसान भाषा में समझें तो ऐसे शेयरों में हमेशा खरीदार और बेचने वाले उपलब्ध रहते हें और शेयर खरीदने या बेचने में आसानी रहती है। A श्रेणी के शेयरों में तुलनात्मक रूप से ट्रेडिंग वॉल्युम (व्यापार की मात्रा) हाई रहता है। A श्रेणी के शेयरों में ट्रेड सैटलमेंट नॉर्मल ट्रेडिंग सैटलमेंट की प्रक्रिया से की जाती है। अधिकतर ब्लू चिप और FMCG शेयर इसी ग्रुप में मिलते हैं। यहां पढ़ें किस कंपनी का शेयर खरीदें हमारी साइट पर।
टी समूह के तहत आने वाले शेयरों को एक्सचेंज के ट्रेड टु ट्रेड सैटलमेंट प्रणाली के रूप में माना जाता है। इस समूह में प्रत्येक ट्रेड को अलग लेनदेन के रूप में देखा जाता है और रोलिंग सिस्टम में ट्रेड की तरह कोई नेट-आउट नहीं होती है। व्यापारियों जो इस ग्रुप के शेयर खरीदने इस समूह की स्क्रिप्ट को बेचने के लिए, टी + 2 दिनों तक राशि का भुगतान करना या शेयर देना होगा। उदाहरण के लिए, आपने टी समूह के 100 शेयर खरीदे और उसी दिन 100 अन्य शेयर बेचे। फिर, आपके द्वारा खरीदे गए शेयर, आपको उन शेयरों की कीमत शेयर बाजार किस प्रकार के हैं शेयर बाजार किस प्रकार के हैं दो दिनों में चुकानी पड़ेगी। और आपके द्वारा बेचे गए शेयरों के लिए, आपको टी + 2 दिनों के शेयरों को डिलीवरी करना होगा, ताकि एक्सचेंज समय पर निपटान कर सके।
ग्रुप Z
जेड ग्रुप में इक्विटी स्टॉक शामिल हैं जिन्हें एक्सचेंज नियमों और विनियमों का पालन न करने के लिए ब्लैकलिस्ट किया गया है या निवेशक शिकायतों या ऐसे किसी कारण से लंबित है।
बी श्रेणी में ऐसे स्टॉक शामिल हैं जो उपर्युक्त इक्विटी समूहों में से किसी एक का हिस्सा नहीं बनते हैं।
इसके अतिरिक्त बीएसई में एफ समूह भी है जो ऋण बाजार खंड को दर्शाता है।
यह थी हमारी कोशिश कि आप भारतीय शेयर बाजार में प्रवेश करने से पहले शेयरों के वर्गीकरण को सीखें लें जिससे आपको पता चल जाये कि शेयर बाजार में ग्रुप किस आधार पर बनाये जाते हैं और उनका क्या महत्व है।
EPS (Earning Per Share) क्या होता है?
EPS को हिंदी में किसी भी कंपनी का प्रति शेयर आय और अंग्रेजी में Earning per share कहते हैं। दूसरे शब्दों में आप कह सकते हैं कि या किसी भी कंपनी का शुद्ध लाभ का प्रत्येक शेयर के हिस्से में जो आय आती है। उसे EPS कहते हैं। इसकी गणना आप कुछ इस तरह कर सकते हैं।
प्रति शेयर आय= कुल शुद्ध लाभ/कुल शेयरों की संख्या
EPS = total net profit/total number of shares
यानी कि किसी भी कंपनी के शेयर की EPS Earning Per Share, निकालने के लिए आपको उस कंपनी के शुद्ध लाभ को कंपनी के कुल शेयर से विभाजित करना पड़ता है।
चलिए हम इसे एक उदाहरण के जरिए समझते हैं। मान लीजिए कि कोई कंपनी xyz की कुल पूंजी लगभग 1 करोड़ रुपए है। हम यह मान लेते हैं कि प्रदीप शेयर की कीमत ₹100 शेयर बाजार किस प्रकार के हैं है। इस स्थिति में उस कंपनी के पास लगभग 1 लाख शेयर होंगे। माना कि किसी भी वित्तीय वर्ष में उस कंपनी ने 50 लाख का मुनाफा कमाया है। तब उस कंपनी के प्रति शेयर आय या Earning per share होगा