समर्थन क्या है

क्या है MSP या मिनिमम सपोर्ट प्राइज?
MSP वह न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी गारंटेड मूल्य है जो किसानों को उनकी फसल पर मिलता है। भले ही बाजार में उस फसल की कीमतें कम हो। इसके पीछे तर्क यह है कि बाजार में फसलों की कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव का किसानों पर असर न पड़े। उन्हें न्यूनतम कीमत मिलती रहे।
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 2022-23: नई सूची, Minimum Support Price लॉगिन
Minimum Support Price 2022-23 | आइये जाने न्यूनतम समर्थन मूल्य क्या है और Minimum Support Price का अर्थ व परिभाषा क्या है | MSP List कैसे चेक करे और डाउनलोड करे, Niyuntam Samarthan Mulya 2022 Online Check | सरकार द्वारा किसानों का विकास करने का निरंतर प्रयास किया जाता है। जिसके लिए सरकार विभिन्न प्रकार की योजनाएं संचालित करती है। भारत सरकार द्वारा फसल की खरीद पर एक न्यूनतम मूल्य का भुगतान किया जाता है। इस मूल्य को न्यूनतम समर्थन मूल्य कहा जाता है।
इस लेख के माध्यम से आज आप को Minimum Support Price से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की जाएगी। आप इस लेख को पढ़कर जान सकेंगे कि MSP 2022-23 क्या होता है। इसके अलावा आपको इसका उद्देश्य, लाभ, विशेषताएं, सूची, पात्रता आदि से संबंधित जानकारी भी प्रदान की जाएगी। तो यदि आप Niyuntam Samarthan Mulye का पूरा ब्यौरा प्राप्त करना चाहते हैं तो आप से निवेदन है कि आप हमारे इस लेख को अंत तक पढ़े।
Minimum Support Price 2022-23
न्यूनतम समर्थन मूल्य किसी भी फसल के लिए न्यूनतम मूल्य होता है जिसे सरकार किसानों को प्रदान करती है। इस मूल्य से कम कीमत पर सरकार द्वारा फसल को नहीं खरीदा जा सकता। सरकार द्वारा न्यूनतम मूल्य पर फसल की खरीद की जाती है। केंद्र सरकार द्वारा वर्तमान में 23 फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य का भुगतान किया जाता है। जिसमें 7 अनाज (धान, गेहूं, मक्का, बाजरा, ज्वार रागी और जौ), 5 दाले (चना, अरहर, उड़द, मूंग और मसूर), 7 तिलहन (रेपसीड-सरसों, मूंगफली, सोयाबीन, सूरजमुखी, तिल, कुसुम नाइजरसीड्) एवं 4 व्यवसायिक फसल (कपास, गन्ना, खोपरा और कच्चा जूट) शामिल है। किसान सम्मान निधि लिस्ट में अपना नाम देखें
Minimum Support Price किसानों एवं उपभोक्ताओं के लिए एक रियायती मूल्य सुनिश्चित करता है। कृषि लागत और मूल्य आयोग की सिफारिशों के आधार पर सरकार द्वारा प्रत्येक वर्ष अनाज, दलहन, तिलहन और वाणिज्यिक फसलों जैसे कृषि फसलों के लिए संबंधित राज्य सरकारों एवं केंद्रीय विभागों द्वारा विचार करने के पश्चात एमएससी की घोषणा की जाती है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य में की गई वृद्धि
जैसे कि आप सभी लोग जानते हैं सरकार द्वारा न्यूनतम मूल्य पर किसानों से फसल समर्थन क्या है की खरीद की जाती है। जिससे कि किसी भी किसान की फसल खराब ना हो। सरकार द्वारा प्रत्येक फसल के लिए एक मूल्य निर्धारित किया गया है। जिससे नीचे उस फसल की खरीद नहीं की जाती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के द्वारा रबी सीजन 2022- 23 के अंतर्गत रबी फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। जिससे कि किसानों को अधिक आय की प्राप्ति हो सके। यह आदेश फसलों के विधिकरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लिया गया है। मसूर, चना, जौ और कुसुम के फूलों के लिए किसानों को उनकी उत्पादन लागत की तुलना में अधिक मूल्य प्राप्त होगा। इसके अलावा तिलहन, दलहन और मोटे अनाज के पक्ष में न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया गया है।
एमएसपी के माध्यम से किसानों के लिए उत्पादन लागत पर कम से कम 50% का लाभ सुनिश्चित किया जाता है। इसके अलावा यदि किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए अनुकूल शर्तें मिलती है या एमएसपी से बेहतर कीमत मिलती है तो वह गैर सरकारी दलों को अपनी फसल बेचने के लिए स्वतंत्र है। इस योजना को 1966 में आरंभ किया गया था। प्रतिवर्ष सरकार द्वारा 25 प्रमुख कृषि फसलों के लिए एमएसपी की घोषणा की जाती है। जिसमें खरीफ सीजन में 14 फसलें और रबी सीजन में 7 फसलें शामिल होती हैं। 2020-21 में इस योजना के माध्यम से 2.04 करोड़ किसान लाभवंती हुए हैं। यह योजना किसानों को उनकी फसल का सही दाम दिलवाने के उद्देश्य से आरंभ की गई थी। इस योजना के माध्यम से देशभर के किसान सशक्त एवं आत्मनिर्भर बनेंगे एवं उनके जीवन स्तर में भी सुधार आएगा।
पिछले वर्ष की तुलना में इस बार मूंग खरीद का लक्ष्य कम
बता दें कि पिछले वर्ष मध्यप्रदेश में किसानों से ग्रीष्मकालीन मूंग की एमएसपी पर खरीद इस वर्ष की तुलना में अधिक की गई थी। पिछले वर्ष के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2021 में केंद्र ने 1 लाख 39 हजार टन मूंग खरीदने का लक्ष्य निर्धारित किया था, जिसे बाद में बढ़ाकर 2 समर्थन क्या है लाख 47 हजार टन कर दिया गया था। जबकि सरकारी खरीद इससे अधिक 4 लाख टन की हुई थी। राज्य कृषि मंत्री कमल पटेल ने किसानों को आश्वास्त किया है कि उनकी मूंग की फसल की अधिक से अधिक खरीद सरकार करेगी।
राज्य के कृषि मंत्री कमल पटेल ने बताया कि पूर्व में भारत सरकार ने 25 क्विंटल मूंग फसल खरीदी लिमिट के आदेश जारी किए थे। इसके बाद कृषि मंत्री किसानों की फसल खरीदी लिमिट 40 क्विंटल करने के लिए बीते सप्ताह दिल्ली में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के मार्गदर्शन में, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, केंद्रीय कृषि सचिव भारत सरकार से मिले थे और किसान भाइयों की मांग उनके सामने रखी थी। मोदी सरकार ने इस मांग पर सहमति देते हुए किसानों से 40 क्विंटल मूंग की खरीदी के आदेश जारी कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने किसानों का पक्ष रखते हुए केंद्र सरकार को बताया था कि लिमिट बढ़ाने से किसानों को फायदा होगा। समय की बचत के साथ उनके आर्थिक नुकसान की भरपाई भी हो सकेगी।
किसानों से मूंग का एक-एक दाना खरीदा जाएगा
कृषि मंत्री कमल पटेल ने किसानों से अपील करते हुए कहा है कि किसानों से सरकार मूंग फसल की पूरी खरीदी समर्थन मूल्य पर करेगी। किसान भाइयों को परेशान होने की जरूरत नहीं है। किसी किसान के पास 120 से लेकर 200 क्विंटल मूंग फसल की पैदावार हुई है तो भी सरकार उनकी फसल का एक-एक दाना खरीदेगी। एक बार जो एसएमएस आया है वही मान्य होगा।
अब राज्य के किसानों से एमएसपी पर प्रतिदिन 40 क्विंटल मूंग की खरीद की जाएगी। यानि एक बार में किसानों से 40 क्विंटल मूंग खरीदा जाएगा। इस हिसाब से पहले, दूसरे, तीसरे और चौथे, पांचवे दिन तक भी सरकार किसानों से इसी हिसाब से खरीदी करेगी। कृषि मंत्री ने कहा कि एक बात जो किसानों के लिए महत्वपूर्ण है। जो मैं किसान भाइयों को बताना चाहता हूं कि जिन किसानों को एस एमएस मिले और मिलने के बाद भी उनकी फसल खरीदी का नंबर नहीं आया तो उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है। उन किसान भाइयों की फसल अब पुन: एसएमएस भेज कर खरीदी की जाएगी और पहले इसकी अवधि 7 दिन होती थी। जिसको बढ़ाकर 10 दिन कर दी गई है। मतलब अब किसानों को डबल फायदा है। एसएमएस की अवधि भी बढ़ गई और उनकी प्रतिदिन खरीदी की लिमिट सरकार ने बढ़ा दी है।
किसानों को बाजार में एमएसपी से कम मिल रहा है मूंग का भाव
जानकारों का कहना है कि इस बार ज्यादा उत्पादन के कारण बाजार में मूंग का रेट इसके न्यूनतम समर्थन मूल्य से काफी कम है। किसान खुले बाजार में 4500 से 5500 रुपए प्रति क्विंटल तक के दाम पर ही इसे बेचने के लिए मजबूर हैं। इसलिए वो चाहते हैं कि मूंग की ज्यादा से ज्यादा खरीद सरकार करे। क्योंकि मूंग की एमएसपी 7275 रुपए प्रति क्विंटल तय की गई है। जबकि बाजार में किसानों को इससे कम दाम ही मिल रहा हैं।
मूंग की खरीद के लिए राज्य में 741 केंद्र बनाए गए हैं। सूबे के 32 जिलों में मूंग की खरीद हो रही है। मूंग की फसल बेचने के लिए 234749 किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया है। उन्होंने इस बार 6 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में मूंग की फसल का उत्पादन लिया है।
कृषि मंत्री ने किया उपार्जन केंद्रों का निरीक्षण
मध्य प्रदेश में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मूंग की खरीद जारी है। बीते दिन राज्य के कृषि मंत्री कमल पटेल ने देवास जिले में स्थित कन्नौद के ग्राम ननासा में ग्रीष्मकालीन मूंग उपार्जन केंद्र का निरीक्षण किया। उन्होंने तुलाई के इंतजाम का अवलोकन भी किया। पटेल ने पूरे प्रदेश में मूंग उपार्जन में फ्लेट तौल-कांटे से तुलाई करने के निर्देश दिए हैं ताकि किसानों को कोई परेशानी नहीं हो। इसी प्रकार कृषि मंत्री ने हरदा जिले के ग्राम कड़ोला में भी समर्थन मूल्य पर ग्रीष्मकालीन मूंग उपार्जन केंद्र का निरीक्षण किया। उन्होंने उपार्जन केंद्रों पर किसानों के लिए की गई व्यवस्थाओं का अवलोकन भी किया। पटेल ने कहा कि व्यवस्थाओं में किसी भी प्रकार की कमी न रहे।
केंद्र सरकार की ओर से हर खरीफ और रबी सीजन के लिए सूचीबद्ध फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया गया है। इसी मूल्य के अनुसार ही सभी राज्यों में किसानों से एमएसपी पर फसलों की खरीद होती है। इस बार मूंग का समर्थन मूल्य 7275 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया है। किसानों से इसी भाव समर्थन क्या है पर मूंग की सरकारी खरीद की जा रही है। जबकि इसके उलट खुले बाजार में मूंग के भाव एमएसपी से कम है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद: चना की खरीद की समर्थन क्या है अंतिम तिथि बढ़ाई
रबी फसलों की खरीद का अंतिम दौर चल रहा है। कई जगहों पर रबी की फसलों की खरीद को बंद कर दिया गया है और कई स्थानों पर इसकी अंतिम को तिथि बढ़ाया गया है। इसी क्रम में मध्यप्रदेश सरकार की ओर से चने की खरीद की अंतिम तिथि को बढ़ा दिया गया है। अब राज्य में किसानों से 7 जून तक चने की खरीद की जाएगी। राज्य सरकार के इस फैसले से चना उत्पादक किसानों को काफी राहत मिलेगी।
क्यों बढ़ाई चने की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर समर्थन क्या है खरीद की तिथि
राज्य में बहुत से किसान से अभी तक चने की एमएसपी पर खरीद का काम बकाया था। कई किसान एमएसपी पर चना बचना चाहते थे लेकिन खरीद की अंतिम तिथि 31 मई थी। उसके बाद चने की खरीद बंद होनी थी, लेकिन राज्य सरकार ने किसानों के हित में निर्णय लेते हुए इस तिथि को आगे बढ़ाकर 7 जून तक कर दिया है। इस संंबंध में किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री कमल पटेल ने बताया है कि सरकार ने किसानों के हित में निर्णय लेते हुए समर्थन मूल्य पर चना उपार्जन की तिथि को 7 जून तक बढ़ा दिया है। उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का प्रदेश के किसानों की ओर से किसान हितेषी निर्णय के लिए आभार व्यक्त किया है। मंत्री पटेल ने बताया कि किसानों की सुविधा को देखते हुए 31 मई तक के लिये उपार्जन की तिथि को एक सप्ताह के लिये और बढ़ाया गया है। मंत्री श्री पटेल ने किसानों से अपील की है कि वे 7 जून तक चने की फसल को समर्थन मूल्य पर विक्रय के लिए निर्धारित स्थान पर ले जाएं।
क्या है चने का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2022-23
केंद्र सरकार प्रति वर्ष खरीफ तथा रबी फसलों को मिलाकर कुल 23 फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य जारी करती है। इस मूल्य पर ही सभी सरकारी एजेंसियां फसलों की खरीदी करती है। रबी वर्ष 2022-23 के लिए चने का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5230 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया है। बता दें कि इसमें चने की क्वालिटी के हिसाब से चने की खरीद की जाएगी।
मध्यप्रदेश में एक किसान एक दिन में 40 क्विंटल तक चना बेच सकता है। बता दें कि इस वर्ष किसानों से एक दिन में चने की खरीद सीमा में वृद्धि कर दी है। पहले राज्य के किसानों से अधिकतम 25 क्विंटल चना ही खरीदा जाता था समर्थन क्या है जिसे सरकार ने बढ़ाकर अब 40 क्विंटल कर दिया है। उपार्जन सीमा का निर्धारण इस शर्त के साथ किया गया है कि चना उपार्जन हेतु किसानों की उत्पादकता एवं भूमि अभिलेखों की मैपिंग की गई हो।
अब तक राज्य में कितनी हुई चने की खरीद
इस बार मध्यप्रदेश सरकार ने आठ लाख 67 हजार मीट्रिक टन चना खरीदी का लक्ष्य रखा है, लेकिन न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अभी तक 5230 रुपए प्रति क्विंटल की दर से 7 लाख टन चना खरीद की गई है। अभी चने की खरीदी का सरकारी लक्ष्य पूरा नहीं हुआ है। किसानों की मांग को देखते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उपार्जन अवधि में वृद्धि करने का निर्णय लिया है। इससे यहां के किसानों को काफी राहत मिली है। अब वे किसान भी चना बेच पाएंगे जो अभी तक चना नहीं बेच पाए हैं। बता दें कि मध्यप्रदेश का चना उत्पादन राज्यों में दूसरा स्थान है।
राज्य के होशंगाबाद, नरसिंहपुर, विदिशा, उज्जैन, मंदसौर, धार, भिंड, मुरैना, शिवपुरी तथा रीवा, नीमच, गुना, शाजापुर, देवास, रतलाम, झाबुआ, जबलपुर, ग्वालियर, सीहोर, छिंदवाड़ा जिले में चने की खेती की जाती है। इसके अलावा यहां के बुंदेल खंड क्षेत्र के टीकमगढ़, छत्तरपुर, दमोह, दतिया, पन्ना, सागर में भी चने की खेती होती है। इस कारण चने की तिथि बढ़ाना यहां के किसानों के लिए महत्वपूर्ण निर्णय है। सरकार की ओर से की जा किसान ऑनलाइन देख सकते हैं भुगतान की स्थिति- रही चने की सरकारी खरीद का भुगतान किसानों JIT (जेआईटी) पोर्टल के माध्यम से किया जा रहा है। यदि किन्ही कारणों से किसानों को 72 घंटे के अंदर भुगतान नहीं होता है तो किसान ऑनलाइन पोर्टल http://www.jit.nic.in/PFMS/Default.asp& के माध्यम से देख सकते हैं। या किसान 0752551474 पर फोन करके भुगतान संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
न्यूनतम समर्थन मूल्य क्या है
न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी): भारत सरकार ने किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार करने हेतु, प्रत्येक वर्ष नई – नई योजनाएं लागू करती है, जिससे की किसानों की आय में बढ़ोत्तरी हो सके | केंद्र सरकार का लक्ष्य 2022 तक किसानों की आय दुगुना करना है | इसी कड़ी में किसानों के अनाज का उचित मूल्य दिलाने के सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि कि एमएसपी (MSP) योजना लागू कर रखा है | इसके जरिये सरकार प्रतिवर्ष किसानों के अनाज के मूल्य में बढ़ोत्तरी करेगी |
इससे किसानों को अपनी फसल का उचित मूल्य प्राप्त हो सकेगा | भारत में माध्यम और निम्न वर्ग के किसानों कि स्थिति पहले से ही दयनीय रही है, लेकिन सरकार द्वारा जारी की रही वर्तमान में योजनाओं इसमें सुधार देखने को मिला है | यदि आप भी न्यूनतम समर्थन मूल्य क्या है, एमएसपी फुल फॉर्म, निर्धारण और किस-किस फसल पर एमएसपी मिलता है इसके बारे में जानना चाहते है तो यहां पर जानकारी उपलब्ध कराई गई है |
एमएसपी (MSP) क्या है [What is MSP in Hindi] ?
Table of Contents
Nyuntam Samarthan Mulya Kya Hota Hai: एमएसपी (MSP) को मंजूरी 24 दिसंबर 1964 को दी गई थी, परन्तु उसी समय इसे लागू नहीं किया गया था। उस समय के भारत सरकार के सचिव पद पर रहे बी शिवरामन ने 19 अक्टूबर 1965 को इस पर अंतिम मुहर लगाई थी, जिसके बाद 1966-67 में पहली बार गेहूं के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि कि एमएसपी (MSP) की घोषणा की गई थी। जिसके बाद से प्रत्येक वर्ष सरकारों ने फसलों हेतु न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा के साथ शुरुआत की गई थी। समर्थन मूल्य की घोषणा फसलों की बुवाई से ठीक पहले घोषणा की जाती है।
एमएसपी (MSP) का फुल फॉर्म
MSP Full Form in Agriculture: MSP का फुल फॉर्म “Minimum Support Price” होता है, इसका शाब्दिक उच्चारण ‘मिनिमम सपोर्ट प्राइस’ होता है | इसका हिंदी में अर्थ “न्यूनतम समर्थन मूल्य” होता है | भारत एक कृषि प्रधान देश है, एमएसपी (MSP) का सम्बन्ध किसान की फसल के निम्नतम मूल्य से है | इसके द्वारा सरकार द्वारा प्रतिवर्ष अनाज के मूल्य बढ़ाने का नियम रखा गया है |
- देश के अलग-अलग क्षेत्रों में किसी भी फसल की प्रति हेक्टेयर लागत के अनुसार निर्धारित की जाती है |
- सरकारी और सार्वजनिक एजेंसियों जैसे एफसीआई और नेफेड की स्टोरेज क्षमता को देखकर MSP का निर्धारण होता है|
- देश के अलग-अलग इलाकों समर्थन क्या है में प्रति क्विंटल अनाज की पूरी लागत के अनुसार तय होता है |
- प्रति क्विंटल अनाज उगाने में होने वाले खर्च और आने वाले वर्ष में किया जाने वाले बदलाव के मुताबिक किया जाता है|
- अनाज का मार्केट में मूल्य और अगले एक वर्ष में किया जाने वाला औसत बदलाव के अनुसार |
- किसान के बुवाई से लेकर बेचने तक के खर्च के अनुसार निर्धारण होता है |
- एक परिवार पर खपत होने वाले अनाज के मुताबिक होता है |
- इसके अलावा अनाज के भंडारण, लाने ले जाने का खर्च, लगने वाले टैक्स, बाजार की मंडियों का टैक्स और अन्य फायदे और नुक्सान के मुताबिक |
- विश्व बाजार (World Market) में उस अनाज की मांग और उसकी उपलब्धता को देखते किया जाता है |
एमएसपी (MSP) के लाभ
- एमएसपी (MSP) का नई तकनीकी को किसानों में लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है |
- न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के समर्थन क्या है द्वारा निर्धन व्यक्तियों का आय का हस्तांतरण होता है |
- इससे कृषि व्यापर की शर्तो को उचित स्तर पर बनाकर रखा जा सकता है | इसके द्वारा क्रॉपिंग पैटर्न को ऐच्छिक दिशा में ले जाने में मदद मिलती है | से निपटारे हेतु गेहूं , चावल ,आदि के क्षेत्र में क्रॉपिंग पैटर्न में बदलाव देखने को मिला है |
- इसके द्वारा भारत में खाद्द्यान उत्पादन में आत्मपूर्णता की स्थिति बनाई जा सकी है |
- इसके माध्यम से खाद्द्यान और अन्य फसलों की मार्केट में कीमत स्थिरता को लागू किया जाता है |
MSP Crops List in Hindi: भारत सरकार द्वारा किसानो को 4 प्रकार की फसलो पर एमएसपी दिया जाता है : –
रबी फसलों की MSP में बढ़ोतरी: कैबिनेट बैठक में गेहूं का समर्थन मूल्य 2,125 रुपए प्रति क्विंटल किया, अन्य फसलों में दाम में भी इजाफा
केंद्र सरकार ने दिवाली से पहले किसानों को बड़ा तोहफा देते हुए रबी की फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढ़ोतरी की मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज कैबिनेट की बैठक में ये फैसला लिया गया है। गेहूं का समर्थन मूल्य 110 रुपए प्रति क्विंटल बढ़कर 2,125 रुपए प्रति क्विंटल किया गया है। गेहूं, और दालों के साथ-साथ केंद्र सरकार ने रबी की 6 अन्य फसलों की MSP में बढ़ोतरी की है।
मसूर के MSP में 500 रुपए का इजाफा
कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) ने गेहूं समेत सभी रबी फसलों की MSP में 3 से 9% बढ़ोतरी की सिफारिश की थी। सरकार ने गेहूं की MSP में 110, जौ में 100, चना में 105, मसूर मे 500, सरसों में 400 और कुसुम में 209 रुपए की वृद्धि की है।