खास टिप्स

Options लाभ कैलकुलेटर

Options लाभ कैलकुलेटर
यह जानना आपके लिए बेहद जरूरी है कि स्टॉक मार्केट से होने वाली कमाई पर टैक्स की देनदारी कैसे बनती है.

LIC न्यू एंडोमेंट प्लान-914 सम्पूर्ण जानकारी | LIC New Endowment Plan-914 in Hindi

नमस्कार दोस्तों आज हम आपको भारतीय जीवन बीमा निगमके एक ऐसे प्लान के बारे में जानकारी देंगे जो की एक व्यक्तिगत प्लान है। हम बात कर रहे है LIC के न्यू एंडोमेंट प्लान 914 के बारे में पहले इस प्लान की टेबल 814 थी लेकिन 1 फरवरी 2020 से lic के सभी प्लान्स में चेंज किया गया है तब इस प्लान में भी कुछ बदलाव हुए थे।

Table of Contents

LIC न्यू एंडोमेंट प्लान क्या है ?

LIC का न्यू एंडोमेंट प्लान एक रेगुलर प्रीमियम गैर लिंक्ड व्यक्तिगत जीवन बीमा प्लान है जो पॉलिसीधारकों को बचत और सुरक्षा दोनों प्रदान करता है। यह पॉलिसीधारक को पॉलिसी पूरी होने पर या पॉलिसी के दौरान पॉलिसीधारक की मौत होने पर पॉलिसीधारक के परिवार को वित्तीय सहायता प्रदान करता है। साथ ही साथ इस योजना में पॉलिसीधारक को ऋण की सुविधा भी मिलते है। पॉलिसी के पूरी होने Options लाभ कैलकुलेटर पर पॉलिसीधारक को एक मोटी रकम की प्राप्ति होती है।

एंडोमेंट प्लान क्या होते है?

एंडोमेंट बेसिक रूप से जीवन बीमा प्लान ही होते है जो एक बीमाधारक को उसकी लाइफ सुरक्षा के साथ साथ एक नियमित रूप से बचत के लिए भी प्रेरित करते है। एक निश्चित अवधि के बाद बीमाधारक को एक अच्छी रकम का भुगतान कर दिया जाता है।

न्यू एंडोमेंट प्लान के लाभ – LIC New Endowment Plan-914 Benefits

1.मृत्यु का लाभ

पॉलिसी में निहित सामान्य बोनस और फाइनल बोनस दोनों में से जो भी हो मृत्यु लाभ के साथ पॉलिसीधारक को पॉलिसी अवधि के दौरान उसकी की मौत होने पर नामित व्यक्ति को दिया जाता है।
मृत्यु लाभ से यहाँ मतलब है वार्षिक प्रीमियम का 7x गुणा या मृत्यु तक भुगतान किया प्रीमियम का कम से कम 105% देय होगा।

2. मैच्योरिटी पर लाभ

पॉलिसी में निहित सामान्य बोनस और फाइनल बोनस दोनों में से जो भी हो मैच्योरिटी बीमा राशि पॉलिसी अवधि के दौरान बीमाधारक के जीवित रहने की स्थिति में देय होगा। यहाँ मैच्योरिटी बीमा राशि से मतलब है पॉलिसी पर मूल बीमा राशि के बराबर के रूप में माना गया है।

3. लाभ भागीदारी

यह पॉलिसी एलआईसी के मुनाफे में भागीदारी की पेशकश करेगी और इसलिए, योजना अवधि के दौरान एलआईसी द्वारा घोषित साधारण बोनस का भुगतान जायेगा इस पॉलिसी के अंतर्गत।

4. ऋण लाभ सुविधा

इस योजना में पॉलिसीधारक ऋण सुविधा का लाभ उठा सकता हैं, लेकिन उसे प्रीमियम का भुगतान कम से कम 2 पूर्ण वर्षों के लिए किया गया हो और एलआईसी द्वारा निर्दिष्ट अन्य नियमों और शर्तों के अधीन हो। ऋण के लिए ब्याज दर और ऋण की पूरी अवधि IRDI द्वारा स्वीकार के आधार पर एलआईसी द्वारा घोषित दरों के अनुसार लागू होगी।
पॉलिसी पूरी होने या मृत्यु लाभ लेने के समय कोई भी बकाया ऋण या ब्याज दावा आय से वसूल किया जाएगा।

5. समर्पण लाभ

इस योजना में पॉलिसी को किसी भी समय सरेंडर किया जा सकता है लेकिन कम से कम प्रीमियम का भुगतान पूरे 2 वर्षों के लिए किया गया हो तो बीमाधारक पॉलिसी को सरेंडर करवा सकता है। सरेंडर करने पर, एलआईसी गारंटीड सरेंडर वैल्यू या स्पेशल सरेंडर वैल्यू दोनों में से जो ज्यादा होगी उसका भुगतान करेगा।

न्यू एंडोमेंट प्लान की पात्रता शर्तें

न्यूनतम अधिकतम
प्रवेश की आयु 8 वर्ष55 वर्ष
मैच्योरिटी आयु N/A 75 वर्ष
पॉलिसी अवधि12 वर्ष35 वर्ष
मूल बीमा राशि1 लाख रु. कोई सीमा नहीं

एंडोमेंट प्लान में कोनसे राइडर ऑप्शन उपलब्ध है

बीमाधारक के पास मूल पॉलिसी के साथ कुछ एक्स्ट्रा राइडर्स लेने का विकल्प भी दिया है। 5 Optional राइडर्स हैं जिन्हें पॉलिसी का जो मूल प्रीमियम होता है उसके साथ एक्स्ट्रा प्रीमियम का भुगतान करके खरीदा जा सकता है। बीमाधारक उपलब्ध options में से अधिकतम 4 राइडर्स का विकल्प चुन सकता है क्योंकि कोई केवल एलआईसी के एक्सीडेंटल डेथ एंड डिसेबिलिटी बेनिफिट राइडर और एलआईसी के एक्सीडेंट बेनिफिट राइडर में से किसी एक को चुन सकता है।

  • एलआईसी की दुर्घटना मृत्यु और विकलांगता हितलाभ
  • राइडर या एलआईसी का दुर्घटना हितलाभ राइडर
  • टर्म एश्योरेंस राइडर
  • एलआईसी का नया गंभीर बीमारी लाभ राइडर
  • एलआईसी का प्रीमियम छूट लाभ राइडर

मृत्यु लाभ भुगतान Option

यह पॉलिसी अगर पॉलिसीधारकों चाहे तो उनके नामांकित किये व्यक्ति के लिए किश्तों में मृत्यु लाभ भुगतान प्राप्त करने का विकल्प चुनने का विकल्प भी प्रदान करती है। मृत्यु लाभ का भुगतान एकमुश्त राशि के बजाय 5,10, या 15 साल की अवधि में किया जा सकता है। पॉलिसीधारक की मृत्यु पर देय आंशिक या पूर्ण मृत्यु लाभ के लिए किस्त भुगतान का विकल्प चुना जा सकता है।

एंडोमेंट प्लान प्रीमियम भुगतान Options

  • मासिक
  • त्रैमासिक
  • अर्ध-वार्षिक
  • वार्षिक

एंडोमेंट प्लान में छूट

यह पॉलिसी पॉलिसीधारकों को अधिक बीमित राशि के मामले में प्रीमियम पर और एक निश्चित किस्त मोड पर किए गए प्रीमियम भुगतान के लिए छूट भी प्रदान करती है।

1.उच्च बीमित राशि छूट

मूल बीमा राशि छूटबीएसए के% के रूप में
1 लाख से Options लाभ कैलकुलेटर 1.95 लाख0
2 लाख से 4.95 लाख2%
5 लाख से 9.95 लाख3%

2.भुगतान मोड के अनुसार प्रीमियम में छूट

ModeRebate
त्रैमासिक, मासिक और वेतन कटौती मोड शून्य0
अर्धवार्षिक1%
वार्षिक2%

3.प्रीमियम भुगतान टाइम में छूट

इस पॉलिसी में अगर फर्स्ट प्रीमियम के बाद जो भी आपका प्रीमियम भुगतान मोड़ है उसके अनुसार आपको अवधि की छूट मिलती है।

  • जैसे अगर आपका भुगतान मोड़ वार्षिक,अर्ध-वार्षिक या त्रैमासिक है तो आपको आपकी Due Date से आपको 30 दिनों का ग्रेस Period मिलेगा जिसमे आपके कोई भी पेनल्टी नहीं लगेगी।
  • यदि आपका भुगतान मोड़ Options लाभ कैलकुलेटर मासिक आधार पर है तो आपको Due Date से आपको 15 दिनों का Grece Period छूट मिलेगी।
  • इस अवधि के दौरान बिना किसी रुकावट के जोखिम कवरेज के साथ पॉलिसी को सक्रिय माना जाएगा।

4. न्यू एंडोमेंट टैक्स छूट

LIC के न्यू एंडोमेंट प्लान के लिए भुगतान किये गए प्रीमियम को आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत छूट प्रदान की गयी है। साथ ही साथ मैच्योरिटी लाभ भी आयकर अधिनियम की धारा 10(10D) के तहत फ्री है।

एंडोमेंट पॉलिसी Revival Period

अगर पॉलिसी की due date से 6 महीने तक पॉलिसी प्रीमियम का भुगतान नहीं किया गया है तो 6 महीने बाद पॉलिसी lapse हो जाती है।
ऐसी lapse पॉलिसी को बीमाधारक बकाया प्रीमियम के साथ अगले 5 वर्षो में कभी भी दौबारा चालू करवाया जा सकता है। पॉलिसी को वापस चालू करवाने के बाद बीमाधारक का जोखिम कवर वापस से चालू हो जाता है।

फ्री लुक पीरियड

  • फ्री लुक पीरियड से यहाँ मतलब है की पॉलिसीधारक के पास पॉलिसी के नियमों और शर्तों से संतुष्ट नहीं होने की स्थिति में पॉलिसी खरीद की तारीख से 15 दिनों के भीतर एलआईसी को पॉलिसी वापस करने की सुविधा है।
  • पॉलिसीधारक द्वारा असंतोष के कारणों को बताते हुए पॉलिसी दस्तावेज एलआईसी को वापस भेज सकता है।
  • पॉलिसी प्राप्त होने पर, एलआईसी पॉलिसी को रद्द कर देगा और पॉलिसीधारक द्वारा भुगतान की गई राशि को चिकित्सा परीक्षण, विशेष रिपोर्ट, या किसी भी स्टांप शुल्क शुल्क जैसे खर्चों में कटौती के बाद वापस कर देगा।

न्यू एंडोमेंट प्लान के जरुरी Documents

  • पहचान प्रमाण – एक पासपोर्ट साइज फोटो और कोई भी सरकारी आईडी जैसे आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस आदि।
  • बैंक विवरण – रद्द किया गया चेक, बैंक पास बुक
  • आयु प्रमाण – बोर्ड परीक्षा अंक तालिका, जन्म प्रमाण पत्र,पैन कार्ड

आत्महत्या का दावा

यदि बीमित व्यक्ति चाहे समझदार हो या पागल जोखिम शुरू होने की तारीख के 12 महीनों के भीतर किसी भी समय आत्महत्या से मर जाता है, तो एलआईसी पॉलिसी अवधि के दौरान भुगतान किए गए कुल प्रीमियम के 80% को छोड़कर किसी भी दावे के भुगतान के लिए उत्तरदायी नहीं होगा।

Gratuity Calculator | ग्रेच्युटी की गणना कैसे करें | Formula and Calculation in Hindi

ग्रेच्युटी के मौजूदा नियमों के मुताबिक, अगर आपने किसी कंपनी या संस्थान में 5 साल तक नौकरी पूरी कर ली है, तो आपको ग्रेच्युटी मिलनी चाहिए। नौकरी के दौरान कर्मचारी की मौत होने पर या विकलांग हो जाने पर इससे कम अवधि पर भी Gratuity पाने का अधिकार होता है। आपको ग्रेच्युटी कितनी मिलेगी, इसकी गणना के लिए एक निर्धारित फॉर्मूला होता है। उसमें अपनी सैलरी और नौकरी की अवधि रखकर आप अपनी ग्रेच्युटी की रकम पता कर सकते हैं। आपका काम आसान करने के लिए हमने इस लेख में ग्रेच्युटी Options लाभ कैलकुलेटर कैलकुलेटर पेश किया है। इसकी मदद से ग्रेच्युटी की गणना करने का तरीका बताया है। इसके बाद यह भी जानकारी दी है कि ग्रेच्युटी फॉर्मूला की मदद से ग्रेच्युटी की गणना कैसे करें?

Gratuity Formula and Calculation in Hindi.

पूरा लेख एक नजर में

ग्रेच्युटी की गणना कैसे करें
How to calculate Gratuity

अगर आपकी कंपनी या संस्थान ग्रेज्युटी एक्ट के तहत रजिस्टर्ड है तो Gratuity की गणना करने का फॉर्मूला इस तरह होगा।

ग्रेच्युटी की रकम= अंतिम सैलरी * नौकरी के वर्ष * 15/26

उदाहरण

मान लिया कि रमेश एक कर्मचारी है, जिसे जिसका 30 हजार रुपए प्रतिमाह मूल वेतन है। उसने 10 साल 8 महीने काम करने के बाद नौकरी छोड़ दी है। ऐसे में उसकी नौकरी के वर्ष 21 माने जाएंगे। इस प्रकार उसकी Gratuity की गणना इस प्रकार होगी

ग्रेच्युटी = अंतिम सैलरी X नौकरी के वर्ष X 15/26

= 30,000 X 11X 15/ 26 = 1.90 लाख रुपए

नौकरी की अवधि में रखें ध्यान

अगर नौकरी का अंतिम वर्ष पूरा नहीं हुआ है, लेकिन उसके 6 महीने आपने पूरे कर लिए हैं तो फिर उसे भी एक पूरा वर्ष माना जाएगा। ऐसे में 10 साल 8 महीने को 21 वर्ष माना जाएगा। अगर ये अतिरिक्त महीने 5 होते तो फिर 10 साल 5 महीनों को सिर्फ 10 साल गिना जाता।

फॉर्मूला में 15/26 का उपयोग क्यों? दरअसल, कर्मचारी को नौकरी के हर वर्ष के एवज में, आधे महीने की सैलरी Gratuity के रूप में मिलती है। लेकिन, यहां यह माना जाता है कि कर्मचारी को पूरे महीने की सैलरी 26 दिन काम करने के बदले मिलती है। Sundays की छुटि्टयां निकाल देने के कारण। इसलिए फॉर्मूले में आधे महीने की सैलरी रखने के लिए 15/30 की बजाय 15/26 का उपयोग किया जाता है।​

ग्रेच्युटी एक्ट में न आने वाले कर्मचारियों के लिए फॉर्मूला अलग है

अगर कंपनी या संस्थान Gratuity Act के तहत रजिस्टर्ड नहीं है तो भी वह चाहे तो अपने कर्मचारी को ग्रेच्युटी दे सकता है। लेकिन ऐसी स्थिति में Gratuity तय करने का फॉर्मूला थोड़ा अलग होगा। ऐसे में Gratuity की मात्रा, हर साल के लिए आधे महीने की सैलरी के बराबर होगी। ही होगी। लेकिन महीने भर काम करने के दिनों की संख्या 30 दिन मानी जाएगी, 26 नहीं।

तब ग्रेच्युटी की गणना का फॉर्मूला होगा—

ग्रेच्युटी = अंतिम सैलरी* नौकरी के वर्ष * 15/30

यहां भी सैलरी की गणना में मूल वेतन, महंगाई भत्ता और कमीशन शामिल किए जाएंगे। लेकिन, नौकरी के वर्षों की गणना के लिए सिर्फ वही वर्ष गिने जाएंगे जो कि पूरे हो चुके हैं। जो महीने अतिरिक्त होंगे, उनकी गणना नहीं की जाएगी।

हमारे उदाहरण में रमेश की नौकरी को 10 साल 8 महीने हुए हैं। यहां पर गणना में सिर्फ 20 साल शामिल किए जाएंगेे, 7 महीनों को नहीं। इस तरह नौकरी के वर्ष 20 माने जाएंगे, 21 नहीं।

इस फॉर्मूले के हिसाब से रमेश की ग्रेच्युटी होगी

अंतिम सैलरी* नौकरी के वर्ष * 15/30

30,000 * 10* 15/30 = 1.50 लाख रुपए

मतलब यह कि आपको कुल 1 लाख 50 हजार रुपए ग्रेच्युटी के रूप में मिलने चाहिए।

नियोक्ता चाहे तो अधिक भी दे सकता है ग्रेच्युटी

ग्रेच्युटी कम से कम कितनी मिलेगी, इसे तय करने के लिए तो फॉर्मूला है। लेकिन अधिक देने के लिए कोई प्रतिबंध नहीं है। नियोक्ता चाहे तो इससे अधिक भी ग्रेच्युटी दे सकता है। हालांंकि, नियम Options लाभ कैलकुलेटर के मुताबिक अधिकतम 20 लाख रुपए से अधिक ग्रेच्युटी नहीं दी जा सकती।

गणना के लिए ग्रेच्युटी कैलकुलेटर की ले सकते हैं मदद

ग्रेज्युटी की गणना के लिए भारत सरकार के इनकम टैक्स विभाग ने एक Online Gratuity Calculator की सुविधा भी दे रखी है। नीचे दिए Options लाभ कैलकुलेटर गए लिंक पर क्लिक करके आप इसका प्रयोग कर सकते हैं— https://www.incometaxindia.gov.in/Pages/tools/Gratuity-calculator.aspx

कर्मचारी की मौत पर ग्रेच्युटी की गणना का तरीका अलग है

नौकरी के दौरान किसी कर्मचारी की मौत होने पर Gratuity तय करने का फॉर्मूला अलग होता है। ऐसे Options लाभ कैलकुलेटर मामले में Gratuity उसकी सेवा अवधि और मूल वेतन (Basic Pay) के आधार पर बनती है। नीचे दी गई टेबल से आप इस तथ्य को आसानी से समझ सकते हैं—

अधिकतम कितनी ग्रेच्युटी मिल सकती है

वर्तमान ग्रेच्युटी नियमों के मुताबिक किसी कर्मचारी को अधिकतम 20 लाख रुपए तक ही Gratuity मिल सकती है। भले ही कर्मचारी की तनख्वाह (salary) या सेवा अवधि (service tenure) कितनी भी अधिक रही हो, उसे 20 लाख रुपए से अधिक ग्रेच्युटी नही दी जा सकती। 29 मार्च 2018 के बाद से यह लिमिट लागू Options लाभ कैलकुलेटर है। इसके पहले अधिकतम ग्रेच्युटी की लिमिट 10 लाख रुपए थी, जिसे बढ़ाकर 20 लाख तक कर दिया गया है।

ग्रेच्युटी एक्ट किस पर लागू होता है? ग्रेच्युटी एक्ट उन सभी कंपनियों और संस्थानों पर लागू होता है, जहां पर 10 या इससे अधिक कर्मचारी काम करते हों। सभी तरह की फैक्टरियों, खानों (mines), ऑयल फील्ड्स, प्लांटेशन, बंदरगाहों, रेलवे, मोटर परिवहन, कंपनियों, दुकानों और प्रतिष्ठानों (establishments) पर यह नियम लागू होता है।

ग्रच्युटी पर टैक्स छूट कितनी मिलती है?

वर्तमान में 20 लाख रुपए तक की ग्रेच्युटी पर टैक्स छूट लागू कर दी है। 29 मार्च 2018 के बाद रिटायर होने वाले या नौकरी छोड़ने वाले कर्मचारियों को इस टैक्स छूट का लाभ मिल सकता है। इसके पहले तक 10 लाख रुपए की ग्रेच्युटी को ही टैक्स फ्री रखा गया था। 8 मार्च 2019 को एक अधिसूचना ( Notification ) जारी करके, सरकार ने टैक्स छूट की सीमा को बढ़ाकर 20 लाख तक की ग्रेच्युटी पर लागू कर दिया है। Income Tax Act के Section 10(10) के तहत, यह टैक्स छूट मिलती है।

फॉर्मूले से ज्यादा ग्रेच्युटी मिली है तो अतिरिक्त रकम पर टैक्स लगेगा

अगर किसी कर्मचारी को दी जाने वाली रकम उस पर लागू ग्रेच्युटी फॉर्मूला से अधिक है तो फिर अतिरिक्त ग्रेच्युटी रकम को अपनी टैक्स गणना में शामिल करना होगा। भले ही उसे 20 लाख रुपए से कम ग्रेच्युटी मिली हो। उदाहरण के लिए, किसी कर्मचारी को ग्रेच्युटी फॉर्मूले के मुताबिक 11 लाख 20 हजार रुपए ग्रेच्यूटी बनती है। लेकिन कंपनी ने उसे 15 लाख रुपए ग्रेच्युटी के रूप में दे दिए। तो फिर इसे फॉर्मूला से ज्यादा मिले 3 लाख 80 हजार रुपए पर टैक्स की गणना करनी होगी। हालांकि, ऐसा होता बहुत कम है।

ग्रेच्युटी एक्ट से बाहर के कर्मचारियों को टैक्स छूट सिर्फ 10 लाख पर

लेकिन जिन कंपनियों में इससे कम कर्मचारी काम करते हैं और वे ग्रेच्युटी एक्ट के तहत नहीं आती है, वे भी चाहें तो अपने कर्मचारियों को ग्रेच्युटी दे सकते हैं। लेकिन,, ग्रेच्युटी एक्ट के बाहर वाले ऐसे कर्मचारियों को टैक्स छूट सिर्फ 10 लाख रुपए तक की ग्रेच्युटी पर मिल सकती है। उन्हें 20 लाख तक की ग्रेच्युटी पर टैक्स छूट का फायदा नहीं मिल सकता।

20 लाख रुपए की ग्रेच्युटी पर टैक्स छूट का फायदा सिर्फ उन कर्मचारियों को मिलता है, जोकि ऐसी कंपनी या संस्थान में काम करते हो, जिन पर सरकार का ग्रेच्युटी एक्ट लागू होता है।

एक बार ग्रेच्युटी एक्ट लागू होने के बाद, बाहर नहीं हो सकती कंपनी

जी हां! यह बात जरूर ध्यान में रखें कि एक बार किसी कंपनी या संस्थान पर ग्रेच्यूटी एक्ट लागू होने के बाद, आगे कभी कर्मचारियों की संख्या कम होने पर भी Gratuity को खत्म नहीं किया जा सकता। भले ही उसके कर्मचारी घटकर 10 से भी कम हो जाएं, उसे ग्रेच्युटी के नियमों का पालन करना होगा।

तो दोस्तों ये थी ग्रेच्युटी निकालने के फॉर्मूला और गणना करने के तरीके की जानकारी। रुपयों-पैसों से जुड़ी अन्य उपयोगी जानकारियों के लिए देखें हमारे लेख-

Stock Market: स्टॉक मार्केट से होने वाली कमाई पर कैसे लगता है इनकम टैक्स, जानिए क्या हैं इससे जुड़े नियम

अगर आप स्टॉक मार्केट में निवेश करते हैं तो आपके लिए यह जानना जरूरी है कि इससे होने वाली कमाई पर टैक्स की देनदारी कैसे बनती है.

Stock Market: स्टॉक मार्केट से होने वाली कमाई पर कैसे लगता है इनकम टैक्स, जानिए क्या हैं इससे जुड़े नियम

यह जानना आपके लिए बेहद जरूरी है कि स्टॉक मार्केट से होने वाली कमाई पर टैक्स की देनदारी कैसे बनती है.

Stock Market: हम सभी जानते हैं कि सैलरी, रेंटल इनकम और बिजनेस से होने वाली कमाई पर हमें टैक्स देना होता है. इसके अलावा, आप शेयरों की बिक्री या खरीद से भी मोटी कमाई कर सकते हैं. ऐसे में यह जानना आपके लिए बेहद जरूरी है कि स्टॉक मार्केट से होने वाली कमाई पर टैक्स की देनदारी कैसे बनती है. कई गृहिणी और रिटायर्ड लोग स्टॉक मार्केट में निवेश के ज़रिए मुनाफा कमाते हैं लेकिन उन्हें यह नहीं पता होता कि इस मुनाफे पर टैक्स कैसे लगाया जाता है. इक्विटी शेयरों की बिक्री से होने वाली इनकम या लॉस ‘कैपिटल गेन्स’ के तहत कवर होता है.

कैपिटल गेन टैक्स दो तरह के होते हैं- Options लाभ कैलकुलेटर शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म. यह वर्गीकरण शेयरों की होल्डिंग पीरियड के अनुसार किया जाता है. होल्डिंग पीरियड का मतलब है- निवेश की तारीख से बिक्री या ट्रांसफर की तारीख. आइए जानते हैं कि यह क्या है.

LIC New Endowment Plan: एलआईसी के इस प्लान में रोज बचाएं सिर्फ 71 रुपये, मैच्‍योरिटी पर मिलेंगे 48.75 लाख रुपये

लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स (LTCG)

अगर शेयर मार्केट में लिस्टेड शेयरों को खरीदने से 12 महीने के बाद बेचने पर मुनाफा होता है तो इस पर LTCG के तहत टैक्स देना Options लाभ कैलकुलेटर पड़ता है. 2018 के बजट में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स को फिर से शुरू किया गया था. इससे पहले इक्विटी शेयरों या इक्विटी म्यूचुअल फंड ( Equity Mutual funds) की यूनिटों की बिक्री से होने वाले मुनाफे पर टैक्स नहीं लगता था. इनकम टैक्स रूल्स (Income tax Rules) के सेक्शन 10 (38) के तहत इस पर टैक्स से छूट मिली हुई थी.

2018 के बजट में शामिल किए गए प्रावधान में कहा गया कि अगर एक साल के बाद बेचे गए शेयरों और इक्विटी म्यूचुअल फंड की यूनिटों की बिक्री पर एक लाख रुपये से ज्यादा का कैपिटेल गेन हुआ है तो इस पर 10 फीसदी टैक्स लगेगा.

शॉर्ट टर्म कैपिटेल गेन्स टैक्स (STCG)

अगर आप शेयर मार्केट में लिस्टेड किसी शेयर को खरीदने के 12 महीनों के अंदर बेचते हैं, तो इस पर आपको 15 फीसदी की दर से टैक्स देना होगा. भले ही आप इनकम टैक्स देनदारी के 10 फीसदी के स्लैब में आते हों या 20 या 30 फीसदी के स्लैब के तहत, आपने शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन किया है तो इस पर 15 फीसदी का ही टैक्स लगेगा.

अगर आपकी टैक्सेबल इनकम ढाई लाख रुपये से कम है तो शेयर बेचने से हासिल लाभ को इससे एडजस्ट किया जाएगा और फिर टैक्स कैलकुलेट होगा. इस पर 15 फीसदी टैक्स के साथ 4 फीसदी सेस लगेगा.

सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स (STT)

स्टॉक एक्सचेंज में बेचे और खरीदे जाने वाले शेयरों पर सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स यानी STT लगता है. जब भी शेयर बाजार में शेयरों की खरीद-बिक्री होती है, इस पर यह टैक्स देना पड़ता है. शेयरों की बिक्री पर सेलर को 0.025 फीसदी टैक्स देना पड़ता है. यह टैक्स शेयरों के बिक्री मूल्य पर देना पड़ता है. डिलीवरी बेस्ड शेयरों या इक्विटी म्यूचुअल फंड की यूनिट्स की बिक्री पर 0.001 फीसदी की दर से टैक्स लगता है.

इंट्रा-डे, फ्यूचर-ऑप्शन ट्रेडिंग पर टैक्स

अगर आप इंट्रा-डे ट्रेडिंग या फ्यूचर-ऑप्शन के ज़रिए ट्रेडिंग करते हैं तो इस पर होने वाली कमाई पर भी टैक्स देनदारी बनती है. इंट्रा-डे ट्रेडिंग से होने वाली कमाई को स्पेक्युलेटिव बिजनस इनकम कहते हैं. इसके अलावा, फ्यूचर और ऑप्शन ट्रेडिंग से हुई कमाई को नॉन-स्पेक्युलेटिव बिजनस इनकम कहा जाता है. इनसे होने वाली कमाई पर आपको टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स देना पड़ता है. इसका मतलब है कि स्लैब के अनुसार, 2.5 लाख रुपये तक की कमाई पर टैक्स नहीं लगेगा. इसके ऊपर की कमाई पर टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगेगा.

LIC न्यू जीवन आनन्द (815) पालिसी

LIC न्यू जीवन आनन्द (815) पालिसी एक सबसे ज्यादा बिकने वाला जीवन बीमा प्लान है जो परिपक्वता (Maturity) के बाद भी जिंदगी भर सुरक्षा प्रदान करता है | यह प्लान दुर्घटना लाभ राइडर के साथ और भी लाभदायक हो जाता है | इस प्लान को एक उद्दाहरण के द्वारा समझाया गया है | उद्दाहरण से पहले इस प्लान से संबंधित आवश्यकतायें एवं लाभ को संछिप्त में विवरण कर लेते हैं |

प्लान के लिय योग्यता एवं अन्य बिवरण

परिपक्वता लाभ (Maturity)

पालिसी अवधि के पूरा होने पर परिपक्वता राशि बीमा धारक को दी जायेगी जो की बीमा राशि (Sum Assured) + साधारण प्रत्यावर्ती बोनस (Bonus)+ अंतिम अतिरिक्त बोनस (FAB) के बराबर होगी है | परिपक्वता के बाद, किसी भी समय पालिसी धारक मृत्यु होने पर Nominee को बीमा राशि के बराबर मृत्यु दावा राशि दी जायेगी |

मृत्यु लाभ (Death Claim)

पालिसी अवधि के दौरान मृत्यु होने पर मृत्यु दावा nominee को दी जायेगी, जो की बीमा राशि (Sum Assured) का 125 % + मृत्यु के समय तक निहित साधारण प्रत्यावर्ती बोनस (Bonus)+ अंतिम अतिरिक्त बोनस (FAB) के बराबर होगी |

समझने के लिए एक उद्दाहरण

एक व्यक्ति जिनकी उम्र 26 वर्ष है और निम्नलिखित विवरण का न्यू जीवन आनन्द पालिसी खरीदता है |

बीमा राशि (रू)5,00,000
पालिसी अवधि (वर्ष)25
उम्र (वर्ष)25
पालिसी लेने का वर्ष :2016
वार्षिक प्रीमियम (रू)22,277
कुल पेय प्रीमियम (लगभग)(रू)5,47,277

अपने उम्र, अवधि व बीमा राशि के हिसाब से जानने के लिए प्रीमियम कैलकुलेटर और Maturity कैलकुलेटर का प्रयोग करें |

पालिसी लेने के बाद 2 सम्भावनाये हो सकती है | पहली संभावना, पालिसी धारक 25 साल पूरा करे और अपना परिपक्वता राशि ले या पालिसी धारक की मृत्यु 25 साल से पहले हो और nominee को मृत्यु दावा राशि मिले | दोनों दशा के लाभ को नीचे बताया गया है |

परिपक्वता राशि (Maturity)

पालिसी धारक के 21 साल पूरा करने पर बीमा राशि (Sum Assured) + साधारण प्रत्यावर्ती बोनस (Bonus)+ अंतिम अतिरिक्त बोनस (FAB) मिलेगी जो की नीचे टेबल में दर्शायी गयी है |

परिपक्वता वर्ष2041
परिपक्वता के समय उम्र50
बीमा राशि (रू)5,00,000
बोनस (लगभग)837500
परिपक्वता राशि (लगभग)1337500

परिपक्वता राशि (maturity) लेने के बाद जीवन आनन्द प्लान जिंदगी भर बीमा प्रदान करता रहेगा. अर्थात् maturity के बाद मृत्यु की दशा में nominee को बीमा की राशि फिर से दी जायेगी|

वर्ष अंतराल उम्र अंतराल बीमा राशि
2041 से आगे 50 से आगे 500000

मृत्यु लाभ (Death Claim)

पालिसी धारक के 21 साल से पहले मृत्यु की दशा में बीमा राशि (Sum Assured) का 125 % + मृत्यु के समय तक निहित साधारण प्रत्यावर्ती बोनस (Bonus)+ अंतिम अतिरिक्त बोनस (FAB) nominee को दी जायेगी. उम्र- वार और साल-वार मृत्यु दावा राशि अगले टेबल में दी गयी है | अगर मृत्यु किसी दुर्घटना से होती है Options लाभ कैलकुलेटर तो बीमा राशि के बराबर राशि और दी जायेगी नीचे टेबल में इसे दुर्घटना लाभ के रूप में दर्शाया गया है |

Options लाभ कैलकुलेटर
वर्ष उम्र वर्ष-वार व उम्र-वार मृत्यु दावा राशि (लगभग) वर्ष-वार व उम्र-वार दुर्घटना मृत्यु दावा राशि (लगभग)
2016 25 649500 1149500
2017 26 674000 1174000
2018 27 698500 1198500
2019 28 723000 1223000
2020 29 747500 1247500
2021 30 772000 1272000
2022 31 796500 1296500
2023 32 821000 1321000
2024 33 845500 1345500
2025 34 870000 1370000
2026 35 894500 1394500
2027 36 919000 1419000
2028 37 943500 1443500
2029 38 968000 1468000
2030 39 1007500 1507500
2031 40 1034500 1534500
2032 41 1064000 1564000
2033 42 1093500 1593500
2034 43 1135500 1635500
2035 44 1165000 1665000
2036 45 1214500 1714500
2037 46 1274000 1774000
2038 47 1338500 1838500
2039 48 1388000 1888000
2040 49 1462500 1962500

उपर दिया गया उदाहरण एक समझने के उद्देश्य से बनाया गया है | अधिक जानकारी हेतु LIC के वेबसाइट पर जाए |

SIP VS RD: निवेश का ये विकल्प है सबसे बेस्ट, 5 साल बाद देगा बंपर रिजल्ट…देखें कैलकुलेशन

SIP VS RD: लंबी अवधि में धन उत्पन्न करने के लिए एक निवेशक जिन दो जगह निवेश कर सकता है, वे इक्विटी और डेट इंस्ट्रूमेंट हैं (Equities, Debt Instruments)। इक्विटी में निवेश एक निवेशक को एक कंपनी में स्वामित्व देता है, जबकि ऋण निवेश को उधार के रूप में माना जाता है, जिसमें कंपनी या बैंक आपको पैसा देंगे।

RD क्या है?

RD – आवर्ती जमा (Recurring deposit) एक विशिष्ट समय सीमा के लिए आवधिक बैंक या डाकघर जमा हैं। एक निवेशक के रूप में, आप छह महीने से लेकर 10 साल तक की अवधि के लिए हर महीने एक आरडी में निवेश कर सकते हैं। पोस्ट ऑफिस आरडी को 10 रुपये से शुरू किया जा सकता है, जबकि बैंकों में 100 रुपये से शुरू किया जा सकता है।

आरडी एक प्रकार का फिक्स्ड डिपॉजिट उत्पाद है जो कम जोखिम रखता है और एक स्थिर रिटर्न प्रदान करता है। जमा की अवधि के आधार पर ब्याज दर भिन्न होती है।

SIP क्या है?

जब निवेश की आवधिकता की बात आती है तो SIP – व्यवस्थित निवेश योजनाएं (Systematic investment plans) आरडी की तरह होती हैं। हालांकि, बैंक में जमा के बजाय, निवेश म्यूचुअल फंड योजनाओं में होता है। निवेश की आवृत्ति दैनिक निवेश से वार्षिक निवेश में भिन्न होती है। फ्रैंकलिन टेम्पलटन के एसआईपी में न्यूनतम निवेश राशि 500 रुपये से शुरू होती है। निवेशक अपने एसआईपी निवेश पर रिटर्न की गणना और अनुमान लगाने के लिए एसआईपी कैलकुलेटर का उपयोग कर सकते हैं।

उच्च जोखिम क्षमता वाले निवेशक और विशिष्ट वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने के लिए लोग एसआईपी के माध्यम से निवेश कर सकते हैं। वे इक्विटी के लिए एक्सपोजर प्रदान करते हैं लेकिन ऋण-विशिष्ट या संयोजन भी हो सकते हैं।

बता दें कि प्रत्येक निवेश मार्ग के अपने लाभ हैं और निवेशकों के एक निश्चित समूह को आकर्षित करते हैं।

RD के लाभ

  • गारंटीड रिटर्न
  • फ्लेक्सिबल टाइम होराइजन
  • आसान निवेश
  • वरिष्ठ नागरिक लाभ

SIP के लाभ

  • लिक्विडिटी
  • फ्लेक्सिबिलिटी
  • अधिक रिटर्न
  • टैक्स ब्रेक
  • मार्केट टाइमिंग

SIP vs RD – कौन सा बेहतर है?

चूंकि दोनों निवेशों के अलग-अलग लाभ हैं, उपयुक्तता एक निवेशक के रूप में आवश्यकताओं पर निर्भर करेगी। हालांकि, जोखिम से बचने वाले उन निवेशकों के लिए RD एक अच्छा निवेश विकल्प है जो हर महीने पैसा निवेश करना चाहते हैं। आरडी शॉर्ट-टर्म और लॉन्ग-टर्म दोनों लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करते हैं।

वहीं, वैकल्पिक रूप से, एसआईपी उन निवेशकों के लिए हैं जो संभावित रूप से अधिक रिटर्न के लिए उच्च जोखिम लेने को तैयार हैं।

5 साल बाद क्या होगा? चेक करें कैलकुलेशन

RD: यदि पोस्‍ट ऑफिस की आरडी में हर महीने 500 रुपये का निवेश करते हैं तो पांच साल बाद आपको मैच्‍योरिटी पर 69,694 रुपये मिलेंगे। इसमें आपका कुल निवेश 60,000 रुपये होगा और 9,694 रुपये आपको ब्‍याज से इनकम होगी। ऐसे ही ज्यादा निवेश करेंगे तो ज्यादा फायदा।

SIP: यदि म्‍यूचुअल फंड में 1,000 रुपये मंथली SIP शुरू करते हैं। औसतन 12 फीसदी सालाना रिटर्न रहता है, तो 5 साल बाद आपको 82,486 रुपये मिल सकते हैं। इसमें आपका निवेश 60,000 रुपये और 22,486 रुपये का ब्याज शामिल होगा। ऐसे ही ज्यादा निवेश करेंगे तो ज्यादा फायदा।

देश और दुनिया की ताज़ा खबरें सबसे पहले न्यूज़ 24 पर फॉलो करें न्यूज़ 24 को और डाउनलोड करे - न्यूज़ 24 की एंड्राइड एप्लिकेशन. फॉलो करें न्यूज़ 24 को फेसबुक, टेलीग्राम, गूगल न्यूज़.

रेटिंग: 4.31
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 502
उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा| अपेक्षित स्थानों को रेखांकित कर दिया गया है *