रूस दलालों

रूस की फौजें पूर्वी यूक्रेन के दो शहरों में घुसी, जंग का हो गया आगाज?
रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने कल रात पूर्वी यूक्रेन के डोनबास क्षेत्र के दो इलाकों डोनेत्स्क और लुहांस्क को अलग देश घोषित कर दिया.इतना ही नहीं रूस ने इलाकों में शांति सेना के नाम पर टैंक और मिसाइलें भेज दी. रूस के इस कदम को यूक्रेन ने अपने ऊपर हमला बताया है. ऐसे में आज के सात सवाल रूस-यूक्रेन रूस दलालों मुद्दे पर ही होंगे.
Russian President Putin declared Donetsk and Luhansk in eastern Ukraine as separate countries. Russia sent tanks and missiles in the name of peace forces in the areas. Ukraine has described this move of Russia as an attack on itself. Watch the video to know more.
Russia-Ukraine War: रूस-यूक्रेन युद्ध 142 DAYS, रूस के हमले जारी
Russia-Ukraine War: रूस-यूक्रेन युद्ध 142 DAYS, रूस के हमले जारी
शुभांकर मिश्रा
- नई दिल्ली,
- 16 जुलाई 2022,
- अपडेटेड 7:57 AM IST
Russia-Ukraine War: रूस-यूक्रेन युद्ध का आज 142वां दिन है. पिछले करीब 5 महीनों से रूस यूक्रेन पर ताबड़तोड़ हमले कर रहा है. रूस ने यूक्रेन रूस दलालों रूस दलालों के विनित्सिया शहर पर मिसाइल से हमला किया. मिसाइल हमले में 23 लोगों की मौत जबकि 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है. यूक्रेन की स्टेट इमरजेंसी सर्विस (एसईएस) ने हमले की पुष्टि की है.देखिए Russia Ukraine War Update.
कहीं आपका भी टिकट तो पाकिस्तानी और रूसी सॉफ्टवेयर के जरिए नहीं बुक हुआ! रेलवे ने किया बड़ा खुलासा
वेस्टर्न रेलवे के राजकोट डिवीजन की RPF ने इंटेलिजेन्स की मदद से दलालों के एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है जो सुरक्षा के लिहाज से भी बेहद चौकाने वाला है।
Image Source : PTI Indian Railway
Highlights
- टिकट बुकिंग को लेकर भारतीय रेलवे का बड़ा खुलासा
- पाकिस्तानी और रूसी सॉफ्टवेयर के जरिए दलाल बुक करते थे टिकट
- जीआरपी ने कई दलालों को किया गिरफ्तार
वेस्टर्न रेलवे के राजकोट डिवीजन की RPF ने इंटेलिजेन्स की मदद से दलालों के एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है जो सुरक्षा के लिहाज से भी बेहद चौकाने वाला है। रैकेट में पकड़े गए आरोपियों से पूछताछ के बाद पता चला कि ये दलाल पाकिस्तानी और रूसी सॉफ्टवेयर की मदद से एक बार में एक मेल ID से 144 टिकट बुक कर लेते थे। जबकि IRCTC की रजिस्टर्ड मेल ID से सिर्फ 6 टिकट ही कानूनन बुक हो सकता है। जांच में इन आरोपियों से 74500 मेल ID की जानकारी RPF को पता चली है।
अभी तक 28 करोड़ के टिकट बेचने की जानकारी भी सामने आई है। ये आंकड़ा और भी बढ़ सकता है। गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में ये नेटवर्क ऑपरेट हो रहा था। फिलहाल अभी तक 3 राज्यो से 6 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। ग्राहकों से टिकट निकालने के लिए व्हाट्सएप और टेलीग्राम की मदद ली जाती थी। कोविड-19, कोविड-एक्स, एएनएमएसबीएसीके, ब्लैक टाइगर जैसे नाम के सॉफ्टवेयर इसमें इस्तेमाल होता था। जो जानकारी सामने आई है उसके मुताबिक दलालों ने पाकिस्तानी और रूसी सॉफ्टवेयर की मदद से 28 करोड़ से ज्यादा की कमाई की है। इन आरोपियों के पास से 43 लाख रुपए से ज्यादा के टिकट भी बरामद किए गए हैं।
पेमेंट क्रिप्टो करेंसी के जरिये करते थे
भारतीय रेल के लम्बी दूरी की ट्रेनो में सीज़न के समय रिज़र्व टिकट बुक करना बड़ी चुनौती है। एक बार में एक login से 6 टिकट बुक किया जा सकता है। आरोपी स्पेशल सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर रेलवे के साथ जहां ठगी कर रहे थे, वहीं ग्राहकों को इसकी भनक तक नही लगती थी। पाकिस्तान और रूस के एंगल पर अब जांच एजेंसियों का फोकस है, सबसे अहम बात ये की सॉफ्टवेयर खरीदने के लिए दलाल इसकी पेमेंट क्रिप्टो करेंसी के जरिये करते थे।
दलाल इस सॉफ्टवेयर को डार्क नेट से ख़रीदते थे जो की पाकिस्तान और रुस से ख़रीदे जाते थे। इस पाकिस्तानी और रूसी सॉफ्टवेयर में टिकट बुकिंग की कई प्रक्रिया को करने की ज़रूरत नहीं होती थी। जब आम ग्राहक ऑनलाइन टिकट बुक करते हैं तो उन्हें 6 लोगों के नाम, केपचा भरना, पेमेंट के समय OTP भरने की प्रक्रिया होती है, जिसमें समय लगता है और कुछ मिनटों के प्रक्रिया के बाद 6 लोगों का टिकट बुक होता है। लेकिन इस पाकिस्तानी और रूसी सॉफ्टवेयर से एक बार में 144 लोगों के लिए रिज़र्व टिकट बुक हो जाते थे और केपचा या OTP भरने की ज़रूरत नहीं होती है। इसी कन्फ़र्म टिकट के लिए दलाल मनचाही क़ीमत पर ज़रूरतमंद यात्रियों को बेचते थे।
फर्जी वर्चुअल नंबर और फर्जी यूजर आईडी भी देते थे
ये आरोपी लोगों को आईआरसीटीसी के फर्जी वर्चुअल नंबर और फर्जी यूजर आईडी प्रदान करने के साथ-साथ सोशल मीडिया यानी टेलीग्राम, व्हाट्सएप आदि का उपयोग करके इन अवैध सॉफ्टवेयरों के विकास और टिकट बिक्री में शामिल थे। इन आरोपियों के पास नकली आईपी पते बनाने वाले सॉफ्टवेयर थे, जिनका इस्तेमाल ग्राहकों पर प्रति आईपी पते की सीमित संख्या में टिकट प्राप्त करने के लिए लगाए गए प्रतिबंध को दूर करने के लिए किया जाता था। उन्होंने डिस्पोजेबल मोबाइल नंबर और डिस्पोजेबल ईमेल भी बेचे हैं, जिनका उपयोग आईआरसीटीसी की फर्जी यूजर आईडी बनाने के लिए ओटीपी सत्यापन के लिए किया जाता है।
अभिषेक ही मास्टरमाइंड बताया गया है
ह्यूमन इंटेलिजेंस द्वारा डिजिटल इनपुट के आधार पर दी गई जानकारी के आधार पर आरपीएफ की टीम ने राजकोट के मन्नान वाघेला (ट्रैवल एजेंट) को पकड़ने में सफलता हासिल की, जो बड़ी मात्रा में रेलवे टिकटों को हथियाने के लिए अवैध सॉफ्टवेयर यानी कोविड-19 का उपयोग कर रहा था। इसके अलावा, एक अन्य व्यक्ति कन्हैया गिरी (अवैध सॉफ़्टवेयर कोविड-एक्स, एएनएमएसबीएसीके, ब्लैक टाइगर आदि के सुपर विक्रेता) को वाघेला द्वारा प्रदान की गई जानकारी के आधार पर मुंबई से गिरफ्तार किया गया है।
पूछताछ के दौरान गिरी ने अन्य सहयोगियों और वापी के एडमिन/डेवलपर अभिषेक शर्मा के नामों का खुलासा किया, जिन्हें गिरफ्तार किया गया था। अभिषेक शर्मा ने इन सभी अवैध सॉफ्टवेयर्स के एडमिन होने की बात कबूल की है अभी तक कि जांच में अभिषेक ही मास्टरमाइंड बताया गया है। गिरफ्तार रूस दलालों आरोपियों द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी के आधार पर, 3 और आरोपी व्यक्तियों- अमन कुमार शर्मा, वीरेंद्र गुप्ता और अभिषेक तिवारी को क्रमशः मुंबई, वलसाड (गुजरात) और सुल्तानपुर (यूपी) से गिरफ्तार किया गया। आरपीएफ इस मामले में शामिल कुछ और संदिग्धों की तलाश कर रही है।
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पाकिस्तानी और रूसी सॉफ्टवेयर से रेल टिकट की कालाबाजारी, RPF ने 6 दलालों को दबोचा
रेलवे के सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तानी और रूसी सॉफ्टवेयर के जरिए आईआरसीटीसी के 24 यूजर्स की आईडी को एक साथ इस्तेमाल किया जा सकता है. इस प्रकार एक बार में 144 सीटों की बुकिंग की जा सकती है. आम यात्री जब तक रिजर्वेशन फॉर्म भरता है और बैंक से भुगतान की प्रक्रिया पूरी करता है तब तक इन ताकतवर विदेशी सॉफ्टवेयरों की मदद से दलाल आईआरसीटीसी वेबसाइट पर ट्रेन में खाली दिखा रहीं सीटें बुक कर लेते हैं.
- News18Hindi
- Last Updated : September 06, 2022, 14:33 IST
हाइलाइट्स
इन सॉफ्टवेयरों से IRCTC साइट में लॉगइन के लिए कैप्चा की जरूरत नहीं पड़ती
पाकिस्तान और रूस के सॉफ्टवेयर से एक साथ IRCTC की 24 IDs का इस्तेमाल
इन साॅफ्टवेयरों की मदद से दलाल एक बार में 144 सीटों की बुकिंग कर सकते हैं
मुंबईः भारत में बैठे दलाल पाकिस्तानी और रूसी सॉफ्टवेयरों की मदद से रेल टिकटों की कालाबाजारी कर रहे हैं. ये विदेशी सॉफ्टवेयर को किराये पर चलाते हैं, इसके एवज में डेवलपर्स को सालाना लाखों का भुगतान क्रिप्टोकरंसी में करते हैं. विदेशी सॉफ्टवेयर इतने ताकतवर होते हैं कि आईआरसीटीसी वेबसाइट की सिक्योरिटी को चंद सेकेंड में तोड़कर कन्फर्म टिकट बुक कर लेते हैं. वहीं, रेलवे की टिकट बुकिंग साइट पर विजिट करने वाले आम आदमी को वेटिंग टिकट से संतोष करना पड़ता है. रेलवे सुरक्षा बल ने अभियान चलाकर 8 मई, 2022 को राजकोट के मन्नान बाघेला को टिकट की कालाबाजारी करने के मामले में गिरफ्तार किया था.
इसके बाद कन्हैया गिरी को 17 जुलाई, 2022 को मुंबई से गिरफ्तार किया. इन दोनों के पास से कोविड एक्स, एएनएमएस बैंक, ब्लैक टाइगर नामक अवैध सॉफ्टवेयर बरामद किए गए थे. आरपीएफ ने देश भर के अलग अलग शहरों से पाकिस्तानी और रूस दलालों रूसी साॅफटवेयरों की मदद से रेल टिकट की कालाबाजारी करने वाले 6 दलालों को गिरफ्तार किया है. सूत्रों के मुताबिक आरपीएफ ने 2019 से लेकर जुलाई 2022 तक 375 अवैध सॉफ्टवेयर बंद कराए हैं, लेकिन कन्फर्म टिकटों की भारी मांग के चलते मार्केट में फिर नए सॉफ्टवेयर आ जाते हैं.
एक साथ 144 बर्थ की बुकिंग
रेलवे के सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तानी और रूसी सॉफ्टवेयर के जरिए आईआरसीटीसी के 24 यूजर्स की आईडी को एक साथ इस्तेमाल किया जा सकता है. इस प्रकार एक बार में 144 सीटों की बुकिंग की जा सकती है. आम यात्री जब तक रिजर्वेशन फॉर्म भरता है और बैंक से भुगतान की प्रक्रिया पूरी करता है तब तक इन ताकतवर विदेशी सॉफ्टवेयरों की मदद से दलाल आईआरसीटीसी वेबसाइट पर ट्रेन में खाली दिखा रहीं सीटें बुक कर लेते हैं.
लॉगइन के लिए कैप्चा की जरूरत नहीं
इन सॉफ्टवेयरों से आईआरसीटीसी वेबसाइट में लॉगइन करने के लिए कैप्चा डालने की जरूरत नहीं होती. डायरेक्ट लॉगइन हो जाता है. इसके बाद पहले से भरे रिजर्वेशन फॉर्म में यात्रियों के नाम, पता, ट्रेन नंबर, तारीख, मोबाइल नंबर आदि जानकारी को जमा कर देता है. बैंक से भुगतान करने पर ओटीपी मोबाइल पर आता है, लेकिन विदेशी सॉफ्टवेयर इस ओटीपी को डायरेक्ट रीड कर लेते हैं. इससे दलाल टिकट बुकिंग की प्रक्रिया तेजी से पूरी कर लेते हैं.
प्रति माह 10 हजार किराया
सूत्रों की मानें तो 24 यूजर आईडी वाले पाकिस्तानी और रूसी सॉफ्टवेयरों का प्रतिमाह किराया 10 हजार रुपये होता है. हर माह सॉफ्टवेयर किराए का पैसा क्रिप्टोकरंसी के माध्यम से भेजा जाता है. सालाना सॉफ्टवेयर लेने पर डेवलपर्स छूट भी देते हैं. वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से पाकिस्तानी और रूसी साॅफ्टवेयर डेवलवपर्स आईआरसीटीसी वेसाइइट से जुड़े शॉर्टकट्स दलालों को सिखाए जाते हैं.
क्या कहता है रेल मंत्रालय
इस बारे में रेल मंत्रालय का कहना है कि आईआरसीटीसी (IRCTC), आरपीएफ (Railway Protection Force) और क्रिस (Centre for Railway Information Systems) संयुक्त रूप से अवैध सॉफ्टवेयर से टिकटों की कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करते हैं. बीते सात साल में 37 लाख से अधिक संदिग्ध निजी यूजर आईडी को बंद किया गया है. प्रतिदिन होने वाली टिकट बुकिंग की निगरानी भी की जाती है.
एक नजर भारतीय रेल से जुड़े आंकड़ों पर
भारतीय रेलवे की ट्रेनों में प्रतिदिन 16 लाख से अधिक आरक्षित बर्थ की बुकिंग होती है. आईआरसीटीसी में 10 करोड़ यूजर आईडी पंजीकृत हैं, इनमें 7.50 करोड़ एक्टिव हैं. करीब 5 करोड़ रूस दलालों लोग हर रोज आईआरसीटीसी की वेबसाइट पर विजिट करते हैं, आईआरसीटीसी की वेबसाइट से हर मिनट 25 हजार से अधिक टिकट बुक किए जा सकते हैं. टिकट बुकिंग से प्रतिदिन 10 करोड़ रुपये का लेन.देन होता है, देश में 13 हजार यात्री ट्रेनें रोज चलती हैं, जिनमें 2.30 करोड़ यात्री सफर करते हैं.
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कहीं आपका भी टिकट तो पाकिस्तानी और रूसी सॉफ्टवेयर के जरिए नहीं बुक हुआ! रेलवे ने किया बड़ा खुलासा
वेस्टर्न रेलवे के राजकोट डिवीजन की RPF ने इंटेलिजेन्स की मदद से दलालों के एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है जो सुरक्षा के लिहाज से भी बेहद चौकाने वाला है।
Image Source : PTI Indian Railway
Highlights
- टिकट बुकिंग को लेकर भारतीय रेलवे का बड़ा खुलासा
- पाकिस्तानी और रूसी सॉफ्टवेयर के जरिए दलाल बुक करते थे टिकट
- जीआरपी ने कई दलालों को किया गिरफ्तार
वेस्टर्न रेलवे के राजकोट डिवीजन की RPF ने इंटेलिजेन्स की मदद से दलालों के एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है जो सुरक्षा के लिहाज से भी बेहद चौकाने वाला है। रैकेट में पकड़े गए आरोपियों से पूछताछ के बाद पता चला कि ये दलाल पाकिस्तानी और रूसी सॉफ्टवेयर की मदद से एक बार में एक मेल ID से 144 टिकट बुक कर लेते थे। जबकि IRCTC की रजिस्टर्ड मेल ID से सिर्फ 6 टिकट ही कानूनन बुक हो सकता है। जांच में इन आरोपियों से 74500 मेल ID की जानकारी RPF को पता चली है।
अभी तक 28 करोड़ के टिकट बेचने की जानकारी भी सामने आई है। ये आंकड़ा और भी बढ़ सकता है। गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में ये नेटवर्क ऑपरेट हो रहा था। फिलहाल अभी तक 3 राज्यो से 6 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। ग्राहकों से टिकट निकालने के लिए व्हाट्सएप और टेलीग्राम की मदद ली जाती थी। कोविड-19, कोविड-एक्स, एएनएमएसबीएसीके, ब्लैक टाइगर जैसे नाम के सॉफ्टवेयर इसमें इस्तेमाल होता था। जो जानकारी सामने आई है उसके मुताबिक दलालों ने पाकिस्तानी और रूसी सॉफ्टवेयर की मदद से 28 करोड़ से ज्यादा की कमाई की है। इन आरोपियों के पास से 43 लाख रुपए से ज्यादा के टिकट भी बरामद किए गए हैं।
पेमेंट क्रिप्टो करेंसी के जरिये करते थे
भारतीय रेल के लम्बी दूरी की ट्रेनो में सीज़न के समय रिज़र्व टिकट बुक करना बड़ी चुनौती है। एक बार में एक login से 6 टिकट बुक किया जा सकता है। आरोपी स्पेशल सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर रेलवे के साथ जहां ठगी कर रहे थे, वहीं ग्राहकों को इसकी भनक तक नही लगती थी। पाकिस्तान और रूस के एंगल पर अब जांच एजेंसियों का फोकस है, सबसे अहम बात ये की सॉफ्टवेयर खरीदने के लिए दलाल इसकी पेमेंट क्रिप्टो करेंसी के जरिये करते थे।
दलाल इस सॉफ्टवेयर को डार्क नेट से ख़रीदते थे जो की पाकिस्तान और रुस से ख़रीदे जाते थे। इस पाकिस्तानी और रूसी सॉफ्टवेयर में टिकट बुकिंग की कई प्रक्रिया को करने की ज़रूरत नहीं होती थी। जब आम ग्राहक ऑनलाइन टिकट बुक करते हैं तो उन्हें 6 लोगों के नाम, केपचा भरना, पेमेंट के समय OTP भरने की प्रक्रिया होती है, जिसमें समय लगता है और कुछ मिनटों के प्रक्रिया के बाद 6 लोगों का टिकट बुक होता है। लेकिन इस पाकिस्तानी और रूसी सॉफ्टवेयर से एक बार में 144 लोगों के लिए रिज़र्व टिकट बुक हो जाते थे और केपचा या OTP भरने की ज़रूरत नहीं होती है। इसी कन्फ़र्म टिकट के लिए दलाल मनचाही क़ीमत पर ज़रूरतमंद यात्रियों को बेचते थे।
फर्जी वर्चुअल नंबर और फर्जी यूजर आईडी भी देते थे
ये आरोपी लोगों को आईआरसीटीसी के फर्जी वर्चुअल नंबर और फर्जी यूजर आईडी प्रदान करने के साथ-साथ सोशल मीडिया यानी टेलीग्राम, व्हाट्सएप आदि का उपयोग करके इन अवैध सॉफ्टवेयरों के विकास और टिकट बिक्री में शामिल थे। इन आरोपियों के पास नकली आईपी पते बनाने वाले सॉफ्टवेयर थे, जिनका इस्तेमाल ग्राहकों पर प्रति आईपी पते की सीमित संख्या में टिकट प्राप्त करने के लिए लगाए गए प्रतिबंध को दूर करने के लिए किया जाता था। उन्होंने डिस्पोजेबल मोबाइल नंबर और डिस्पोजेबल ईमेल भी बेचे हैं, जिनका उपयोग आईआरसीटीसी की फर्जी यूजर आईडी बनाने के लिए ओटीपी सत्यापन के लिए किया जाता है।
अभिषेक ही मास्टरमाइंड बताया गया है
ह्यूमन इंटेलिजेंस द्वारा डिजिटल इनपुट के आधार पर दी गई जानकारी के आधार पर आरपीएफ की टीम ने राजकोट के मन्नान वाघेला (ट्रैवल एजेंट) को पकड़ने में सफलता हासिल की, जो बड़ी मात्रा में रेलवे टिकटों को हथियाने के लिए अवैध सॉफ्टवेयर यानी कोविड-19 का उपयोग कर रहा था। इसके अलावा, एक अन्य व्यक्ति कन्हैया गिरी (अवैध सॉफ़्टवेयर कोविड-एक्स, एएनएमएसबीएसीके, ब्लैक टाइगर आदि के सुपर विक्रेता) को वाघेला द्वारा प्रदान की गई जानकारी के आधार पर मुंबई से गिरफ्तार किया गया है।
पूछताछ के दौरान गिरी ने अन्य सहयोगियों और वापी के एडमिन/डेवलपर अभिषेक शर्मा के नामों का खुलासा किया, जिन्हें गिरफ्तार किया गया था। अभिषेक शर्मा ने इन सभी अवैध सॉफ्टवेयर्स के एडमिन होने की बात कबूल की है अभी तक कि जांच में अभिषेक ही मास्टरमाइंड बताया गया है। गिरफ्तार आरोपियों द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी के आधार पर, 3 और आरोपी व्यक्तियों- अमन कुमार शर्मा, वीरेंद्र गुप्ता और अभिषेक तिवारी को क्रमशः मुंबई, वलसाड (गुजरात) और सुल्तानपुर (यूपी) से गिरफ्तार किया गया। आरपीएफ इस मामले में शामिल कुछ और संदिग्धों की तलाश कर रही है।
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