साथ अंदर के पैटर्न का व्यापार

ETHUSDT OKX के लिए अभी यही एकमात्र पैटर्न मायने रखता है: TradingShot – TradingView द्वारा ETHUSDT – Technische Analyse – 2022-12-01 17:22:02
यह विचार 1डी समय-सीमा पर है जहां ईटीएच को 10 नवंबर 2021 के ऑल टाइम हाई (एटीएच) के बाद से अपने दीर्घकालिक चैनल डाउन के भीतर व्यापार करते हुए दिखाया गया है, व्यावहारिक रूप से वह पैटर्न जो पूरे भालू चक्र को निर्धारित करता साथ अंदर के पैटर्न का व्यापार रहा है।
चैनल के फिबोनाची क्षेत्रों का महत्व स्पष्ट से अधिक है। 14 अगस्त के उच्च स्तर के बाद से जो आंतरिक पैटर्न सामने आया है, वह ब्लू चैनल डाउन है, जो कम आक्रामक है और जबकि इसे 04 नवंबर को लंबी अवधि के चैनल डाउन के शीर्ष (Fib 1.0) पर भारी रूप से खारिज कर दिया गया था, यह व्यापार करना जारी रखता है। दूसरी ओर 905.00 साथ अंदर के पैटर्न का व्यापार सपोर्ट (18 जून लो) से ऊपर। यह मूल रूप से पहली बार है कि एथेरियम व्यावहारिक रूप से दो क्षेत्रों (0.618 – 1.000) के भीतर इतने लंबे समय से व्यापार कर रहा है।
यह बाजार के उच्च स्तर का सम्मान करने का संकेत है मांग क्षेत्र और एक लंबी अवधि के तल का संकेत। 1डी एमएसीडी एक त्रिकोण के अंदर व्यापार से पता चलता है कि एक अंतिम निम्न (उच्चतर निम्न) के लिए जगह है, लेकिन कीमत लंबी अवधि के चैनल डाउन के शीर्ष के करीब होने के कारण, टूटने की उच्च संभावनाएं हैं।
तकनीकी रूप से, 1D MA200 (नारंगी ट्रेंड-लाइन) के ऊपर एक ब्रेक चैनल डाउन के ऊपर भी एक ब्रेक (मोमबत्ती बंद) होगा और कीमत 2035 प्रतिरोध 1 (14 अगस्त उच्च) को लक्षित करेगी। दूसरी ओर, 905 सपोर्ट के नीचे बंद होने वाली 1डी कैंडल, 0.618 फाइबोनैचि स्तर को लक्षित करते हुए एक विक्रय संकेत होगा, जो 07 अगस्त को सिंग का समर्थन करता रहा है।
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विदेश व्यापार से जुड़े मुद्दों को एेसे सुलझाएगी सरकार
नई दिल्ली: सरकार ने विदेश व्यापार से जुड़े सभी मुद्दों के समाधान के लिए ऑनलाइन सुविधा की पेशकश की है। इस सेवा का इस्तेमाल आयातकों और निर्यातकों द्वारा विदेशी व्यापार से जुड़े मुद्दों के हल के लिए किया जा सकता है। वाणिज्य मंत्रालय के तहत आने वाले साथ अंदर के पैटर्न का व्यापार विदेश व्यापार महानिदेशालय (डी.जी.एफ.टी.) ने सभी निर्यातकों और आयातकों से अपने मामलों को सुलझाने के लिए इस प्रणाली का इस्तेमाल करने को कहा है।
वे कॉन्टैक्ट डी.जी.एफ.टी. पर इस संबंध में संपर्क कर सकते हैं। व्यापारी इस सुविधा के जरिए निदेशालय या केंद्र अथवा राज्य की अन्य एजैंसियों से संबंधित सभी मामले उठा सकते हैं। इस सुविधा को डी.जी.एफ.टी. की वैबसाइट पर चालू किया गया है।
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जमशेदपुर -प्रधानमंत्री श्री मोदी द्वारा पारदर्शी पारदर्शीी की घोषणा का कैट ने किया स्वागत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पारदर्शी कर निर्धारण प्रणाली के लिए आज की गई घोषणा का कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने स्वागत करते हुए कहा की फेसलेस मूल्यांकन और फेसलेस अपील के मूल सिद्धांत को कर प्रणाली से जोड़ना देश के व्यापार के लिए सरकार का एक बड़ा कदम है ! कैट ने कहा की देश में करदाताओं को आम तौर पर नौकरशाही के निचले स्तर से परेशान और पीड़ित किया जाता है जो लोगों को कराधान प्रणाली से दूर रहने के लिए प्रेरित करता है। इस दृष्टि से प्रधानमंत्री श्री मोदी की आज की घोषणा से देश का व्यापारिक समुदाय आशवस्त है की पारदर्शी प्रणाली के जरिये अब व्यापारियों को अधिकारियों के रहमो करम पर नहीं रहना पड़ेगा ! कैट ने यह भी कहा साथ अंदर के पैटर्न का व्यापार की व्यापारियों को देश के लिए कर संग्रहकर्ता के रूप में मान्यता मिलनी चाहिए और कर विभाग को उसी के अनुसार व्यापारियों को उचित सम्मान देना चाहिए ! कैट ने यह भी कहा की वो सरकार के साथ हाथ मिलाकर काम करते हुए व्यापारियों की समस्याओं को हल कराने तथा गैर उत्तरदायी नौकरशाही से निकालने और कर दायरे को विकसित करने में सरकार की सहायता करने का इच्छुक है जिससे सरकार को अधिक राजस्व मिल सके !
कैट के राष्ट्रीय सचिव सुरेश सोन्थलिया ने प्रधानमंत्री मोदी की आज की घोषणाओं को देश में सुगम व्यापार के लिए एक “क्रांतिकारी कदम” बताते हुए कहा की प्रधानमंत्री की आज की गई घोषणा एक लम्बे समय से व्यापार करने में आने वाले कर के रोडो को हटाने तथा देश में व्यापार करने में आसानी और बेहतर अवसर सुनिश्चित करेगी ! उन्होंने कहा की हम प्रधानमंत्री से अनुरोध करते हैं व्यापार पर लागू सभी प्रकार के लाइसेंस को समाप्त कर आधार कार्ड के पैटर्न पर एक लाइसेंस की व्यवस्था करने बहुत जरूरी है !इसके साथ ही उन्होंने प्रधान मंत्री से केंद्रीय कर नियमों के मामले में सर्वोच्च न्यायालय के सेवविव्रत न्यायाधीश के रूप में एक “कर लोकपाल” की नियुक्ति करने और राज्य कराधान नियमों के लिए राज्यों में एक उच्च न्यायालय के सेवानिवृत न्यायाधीश के रूप में कर लोकपाल नियुक्त करने का अनुरोध किया।
श्री सोन्थलिया ने कहा कि व्यापारियों की मुख्य समस्या कि उन्हें व्यापार करने के लिए बहुत सीमित समय मिलता है जबकि अधिकांश समय वैधानिक दायित्वों का पालन करने में खपत होता है को ख़त्म करने की दिशा में प्रधानमंत्री श्री मोदी की घोषणा बेहद महत्वपूर्ण है ! प्रस्तावित सुधार कारोबारी समुदाय को इस विभिन्न वैधानिक पालना के अनावश्यक बोझ से राहत देंगे। । फेसलेस सिस्टम से भ्रष्टाचार को काफी हद तक खत्म किया जा सकता है। हालांकि, सरकार को यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी बहाने से कोई कर अधिकारी व्यापारियों को व्यक्तिगत पेशी के लिए मजबूर न करे जैसा की अब तक हो रहा है !
ये मेरा कानपुर है. कैसे छोड़ दूं.
अभिषेक गुप्ता, कानपुर। कानपुर के बेकनगंज और रजबी रोड मोहल्लों की तंग.
अभिषेक साथ अंदर के पैटर्न का व्यापार गुप्ता, कानपुर।
कानपुर के बेकनगंज और रजबी रोड मोहल्लों की तंग गलियों में रहने वाले हजारों परिवारों में से एक परिवार मिर्जा मोहम्मद अहमद का भी था। यूपी टेनरी में चीफ टेक्नीशियन अहमद साहब तीन बेटियों साथ अंदर के पैटर्न का व्यापार और एक बेटे से गुलजार पांच लोगों का परिवार पालते थे। 1951 में शिकार का शौक भारी साथ अंदर के पैटर्न का व्यापार पड़ गया और एक गोली ने उनके हाथ को चीर दिया। इसके साथ परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा क्योंकि वही एकमात्र कमाने वाले थे। अलीगढ़ में फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स से 12वीं की पढ़ाई कर रहे उनके इकलौते बेटे इरशाद को बीच में ही कानपुर लौटना पड़ा। 16 साल के इरशाद के सामने बेपनाह चुनौतियां थीं। एक तरफ पैसे का संकट तो दूसरी तरफ बिस्तर पर लेटे अब्बू की देखभाल। दो साल बाद अब्बू ठीक तो हो गए लेकिन हाथ से काम नहीं कर सकते थे, इसलिए बेटे इरशाद को टेनरी लेकर जाने लगे। वहां उन्होंने टेनिंग का काम सीखा। वहीं से नींव पड़ी भविष्य के टेनरी किंग की, जिन्हें आज पद्मश्री इरशाद मिर्जा के नाम से जाना जाता है।
घर की जिम्मेदारियां बांटने के लिए इरशाद ने नौकरी की ओर रुख किया। सन 1953 में 18 बरस के इरशाद मिर्जा को अब्बू के दोस्त लाल अब्दुल हक ढाका ले गए। वहां ढाका हाइड एंड टेनिंग इंडस्ट्री में उन्होंने टेक्नीशियन की पहली नौकरी की। पगार थी 400 रुपये महीने। 1954 में इरशाद वापस हिन्दुस्तान आ गए। उसी साल नवम्बर में निकाह हो गया। यहां हिन्दुस्तान टेनरी में नौकरी कर ली। मिर्जा साहब का मन नहीं लगा तो एक साल बाद ही बाटा कंपनी चले गए। पोस्टिंग मिली बिहार के मोकामा जिले में, वहीं तीन बच्चों के पिता बने।
अंग्रेजों ने किया पक्षपात, डाली कारोबार की नींव
कानपुर की याद सताई तो घर-बार समेटकर अपने शहर आ गए और कानपुर टेनरी में लग गए। यहां भी मन नहीं रमा और दो साल बाद नौकरी छोड़ दी। इस बीच बाटा साथ अंदर के पैटर्न का व्यापार से तकनीकी पद का ऑफर मिला तो फिर जुड़ गए। वहां जूनियर अंग्रेज कर्मचारी को ज्यादा सुविधाएं और भत्ते देने से नाराज होकर मिर्जा साहब ने इस्तीफा दे दिया। साथ ही नौकरी न करने का मन भी बना लिया। अपने कारोबार की हसरत पाली लेकिन पास में थे कुल दस हजार रुपये। फैक्टरी डालने के लिए उनके दोस्त केदारनाथ कमल ने बीस हजार रुपये दिए। मिर्जा साहब ने एक बार बताया था कि दोस्त से रुपये उसे पार्टनर बनाने की शर्त पर लिए थे।
जूही में साथ अंदर के पैटर्न का व्यापार लिया मिर्जा टेनरी ने जन्म, आज बनी वटवृक्ष
इसी पूंजी के साथ जूही परमपुरवा में छोटे से कारखाने का जन्म हुआ। 1961 में जाजमऊ में भारत टेनरी लगाई। औद्योगिक अशांति में टेनरी बंद हो गई। मिर्जा साहब फिर सड़क पर आ गए। ये उनकी साख का कमाल था कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने सिर्फ उनकी जुबान पर लोन दे दिया। 1979 में मिर्जा टेनरी का जन्म कंपनी के रूप में हुआ। छोटी सी टेनरी से शुरू की गई मिर्जा इंटरनेशनल आज फिनिश्ड लेदर में देश की सबसे बड़ी कंपनी बन चुकी है। इरशाद मिर्जा की दूरदर्शिता का ही परिणाम है कि आज उनके उत्पाद 37 देशों में अपनी पहचान बना चुके हैं। छह मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट हैं। कई टेनरी हैं। सालाना 5.5 करोड़ से ज्यादा फुटवियर बनाने की क्षमता है। दुनियाभर में 1000 से ज्यादा मल्टीब्रांड्स में साथ अंदर के पैटर्न का व्यापार मिर्जा के उत्पाद छाये हैं। भारत में 188 शहरों में 350 शोरूम रेड टेप के हैं।
कानपुर नहीं छोड़ा, यहीं ली अंतिम सांस
मिर्जा साहब को अपने शहर से बेपनाह मोहब्बत थी। देश के तीसरे सर्वोच्च पुरस्कार पद्मश्री से सम्मानित होने के बाद उन्होंने कहा था कि इस सफलता की नींव में हमारे कर्मचारी और तिरंगे से मोहब्बत है। कहते थे कि अपने शहर से उन्हें अथाह प्यार है, इसीलिए यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका और अमेरिका में मिर्जा इंटरनेशनल की जड़ें जमाने वाले मिर्जा साहब ने कानपुर को आखिरी सांस तक नहीं छोड़ा। ऐसा क्या है आपके कानपुर में? 15 साल पहले यूरोप के एक बड़े ग्राहक ने ट्रेन से कानपुर आने के बाद जब मिर्जा साहब से यह सवाल पूछा तो उन्होंने जवाब दिया था, इसी शहर ने फर्श से उठाकर अर्श पर बैठाया है। इसकी मिट्टी-पानी ने मुझे सींच कर इस काबिल बनाया है। ये मेरा कानपुर है. कैसे छोड़ दूं अपने इस प्यारे शहर को. ।