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क्यों सरकार विदेशी बॉन्ड जारी करती है?

क्यों सरकार विदेशी बॉन्ड जारी करती है?
कराची, 3 दिसंबर (आईएएनएस)। पाकिस्तान ने शुक्रवार को निर्धारित समय से तीन दिन पहले एक परिपक्व अंतर्राष्ट्रीय सुकुक (शरिया-अनुपालन बांड) के खिलाफ सफलतापूर्वक 1 अरब डॉलर का पुनर्भुगतान कर भुगतान में चूक की धारणा को खारिज कर दिया। स्थानीय मीडिया ने यह जानकारी दी।

Sovereign Gold Bond Scheme: आज से गोल्ड बॉन्ड की बिक्री शुरू, क्या भाव मिलेगा और क्या हैं इसके फायदे?

SGB Scheme 2021-22 में कम से कम 1 ग्राम सोने का निवेश करना जरूरी है. एक बॉन्ड एक ग्राम गोल्ड को दर्शाता है. एक व्यक्ति अधिकतम 4 किलोग्राम गोल्ड का सब्सक्रिप्शन ले सकता है.

Sovereign Gold Bond Scheme: आज से गोल्ड बॉन्ड की बिक्री शुरू, क्या भाव मिलेगा और क्या हैं इसके फायदे?

Sovereign Gold Bond Scheme 2021-22: सोने में निवेश की इच्छा रखनेवालों के लिए खुशखबरी है. वित्तीय वर्ष 2021-22 का पहला सोवरेन गोल्ड बॉन्ड (Sovereign Gold Bond) का ट्रांच आज यानी 17 मई से खुल गया है. केंद्रीय बैंक आरबीआई (RBI) की ओर से जारी किया जाने वाला ये सोवरेन गोल्ड बॉन्ड 5 दिन के लिए खुला रहेगा. वित्त मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, पहला ट्रांच 17 से 21 मई के बीच खुला रहेगा और 25 मई को बॉन्ड जारी किए जाएंगे.

केंद्र सरकार की ओर से रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड जारी करती है. वित्त मंत्रालय के मुताबिक सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम 2020-21 के तहत मई से सितंबर के बीच 6 ट्रांच में गोल्ड बॉन्ड जारी किया जाएगा. वित्त वर्ष 2021-22 का सीरीज-I 17 से 21 मई तक के लिए खुला रहेगा.

क्या होता है सोवरेन गोल्ड बॉन्ड?

रिजर्व बैंक भारत सरकार की ओर से ये बॉन्ड जारी करता है. इनमें 8 साल का लॉक-इन पीरियड होता है. आपको निवेश के साथ ही हर साल 2.5 फीसदी का ब्याज भी मिलता है. बता दें कि नवंबर 2015 में फिजिकल गोल्ड की डिमांड घटाने के लिए और गोल्ड खरीदारी की बजाय इसे फाइनेंशियल सेविंग्स में बदलने के लिए सोवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम (Sovereign Gold Bond) को लॉन्च किया गया था.

क्या डिस्काउंट भी मिलेगा?

जी हां! गोल्ड बॉन्ड की खरीद पर डिस्काउंट भी मिलेगा. वित्त मंत्रालय ने कहा है कि गोल्ड बॉन्ड (Sovereign Gold Bond) को ऑनलाइन खरीदने पर प्रति ग्राम सोने पर 50 रुपये की छूट मिलेगी. ऑनलाइन खरीदारी और डिजिटल मोड के जरिए पेमेंट करने पर ये डिस्काउंट मिलेगा.

कम से कम 1 ग्राम सोने का निवेश ​जरूरी

SGB Scheme 2021-22 में कम से कम 1 ग्राम सोने का निवेश करना जरूरी है. एक बॉन्ड एक ग्राम गोल्ड को दर्शाता है. एक व्यक्ति अधिकतम 4 किलोग्राम गोल्ड का सब्सक्रिप्शन ले सकता है. वहीं किसी ट्रस्ट के लिए ये अधिकतम सीमा 20 किलोग्राम की है. बॉन्ड में 999 शुद्धता वाले सोने की कीमत ली जाएगी. सब्सक्रिप्शन खुलने के पहले तीन कारोबारी दिनों के औसत भाव पर ये बॉन्ड जारी किए जाएंगे.

कैसे खरीदें सोवरेन गोल्ड बॉन्ड?

आप किसी भी बैंक के जरिए सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड खरीद सकते हैं. इसके अलावा आप पोस्ट ऑफिस, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज औक स्टॉक होल्डिंग कॉरपोरेशन क्यों सरकार विदेशी बॉन्ड जारी करती है? ऑफ क्यों सरकार विदेशी बॉन्ड जारी करती है? इंडिया के जरिए भी SGB में निवेश कर सकते हैं. हालांकि, स्मॉल फाइनेंस बैंक और पेमेंट बैंक में इसकी सुविधा नहीं है. KYC की प्रक्रिया इसके लिए भी वही होगी जो फिजिकल गोल्ड और ज्वेलरी खरीदने के लिए होती है.

गोल्ड बॉन्ड पर टैक्स का प्रावधान

सोने में निवेश का बेहतरीन तरीका माना जाने वाला ये विकल्प RBI की ओर से जारी किया जाता है. सोवरेन गोल्ड बॉन्ड (Sovereign Gold Bond) में 8 साल का लॉक-इन रहता है. 5वें साल से एक्जिट का विकल्प भी रहता है. अगर आप इस बॉन्ड को 5 साल की अवधि से पहले सेकेंड्री मार्केट में बेचते हैं तो इसपर फिजिकल गोल्ड जैसे ही टैक्स लगता है. मैच्योरिटी पर इसपर कोई टैक्स नहीं लगता. हालांकि इस बॉन्ड से सालाना मिलने वाले 2.5 फीसदी के ब्याज को आपकी आय में जोड़ा जाएगा और इनकम स्लैब के मुताबिक आपको टैक्स लगेगा.

बॉन्ड यील्ड चढ़ा और गिरने लगे बाजार, निवेशकों क्यों सरकार विदेशी बॉन्ड जारी करती है? पर क्या होगा असर?

गवर्नमेंट या सरकारी बांड्स को सबसे सुरक्षित निवेश माना जाता है.

बॉन्ड यील्ड चढ़ा और गिरने लगे बाजार, निवेशकों पर क्या होगा असर?

दुनिया भर के शेयर बाजारों में 26 फरवरी को बड़ी गिरावट देखी गई. भारत में भी सेंसेक्स और निफ्टी बेंचमार्क इंडेक्स करीब 3.75% टूटे. US, जापान जैसे विकसित देशों के लांग टर्म बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी के कारण मार्केट में काफी प्रॉफिट बुकिंग हुई. जब-जब बॉन्ड यील्ड बढ़ती है तो शेयर बाजार लड़खड़ाने लगता है. आइए समझते हैं क्या है बॉन्ड यील्ड? शेयर बाजार से इसका क्या है संबंध और आगे क्या है उम्मीद?

क्या होते हैं बॉन्ड?

बॉन्ड बाजार से पैसे जुटाने के लिए प्रयुक्त फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट होते हैं. आमतौर पर सरकारें विभिन्न जरूरतों के लिए पैसे जुटाने के लिए बॉन्ड जारी करती हैं. साथ ही अनेक कंपनियां भी कॉर्पोरेट बांड्स की मदद से पैसे जुटाती हैं. लोन की तरह ही सरकार या कंपनियां बॉन्ड पर तय ब्याज देती है. बॉन्ड की अवधि 3 महीने से लेकर 10 वर्ष या उससे ज्यादा भी हो सकती है.

बॉन्ड यील्ड का क्या है मतलब?

बॉन्ड से मिलने वाले ब्याज को बॉन्ड यील्ड कहा जाता है. कूपन बांड्स यानी सालाना ब्याज वाले बॉन्ड के अलावा कुछ बॉन्ड फेस वैल्यू की तुलना में डिस्काउंट यानी छूट पर भी जारी किए जाते हैं. उदाहरण के लिए 1000 रूपये के बॉन्ड को 800 की दर पर जारी किया जा सकता है. मेच्योरिटी पर निवेशक को फेस वैल्यू यानी 1000 रुपये लौटाए जाते हैं. इस तरह निवेशकों को एक खास दर पर पैसे में वृद्धि मिलती है.

एक बार सरकार या बॉन्ड जारी करने वाली संस्था से खरीद के बाद ऐसे क्यों सरकार विदेशी बॉन्ड जारी करती है? बांड्स का व्यापार सेकेंडरी बॉन्ड मार्केट में भी किया जा सकता है. विभिन्न फैक्टरों के आधार पर इनके भाव खरीद बिक्री की प्रक्रिया में बढ़ते घटते रहते हैं. इसका स्वाभाविक तौर पर प्रभाव बॉन्ड से मिलने वाले रिटर्न पर भी होता है.

बॉन्ड के दाम अगर बढ़ते हैं तो निवेशकों को मिलने वाले रिटर्न में कमी आती है. यह स्थिति बॉन्ड यील्ड कम होने की स्थिति होती है. इसके विपरीत अगर बॉन्ड मार्केट में बॉन्ड सस्ते हो जाते हैं तो यह बॉन्ड यील्ड में इजाफा होता है.

शेयर बाजार से क्या है संबंध?

निवेशक सर्वाधिक मुनाफे के लिए सबसे ज्यादा रिटर्न देने वाले फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट में निवेश करना पसंद करते हैं. इक्विटी यानी शेयर मार्केट में रिस्क के साथ ही रिटर्न की भी अच्छी संभावना होती है. वहीं डेट या बॉन्ड मार्केट में रिस्क नहीं या काफी कम होता है और निवेशक एक तय रिटर्न प्राप्त करते हैं. कोरोना से उबरने के माहौल में निवेशकों द्वारा शेयर बाजार में बड़ा भरोसा जताया गया है.

कुछ जानकारों के अनुसार इस ट्रेंड के कारण बाजार अपने सही वैल्यूएशन से काफी आगे निकल गया है. बॉन्ड मार्केट में यील्ड के बढ़ने से भी इस तर्क को ज्यादा जोर मिला है. इससे क्यों सरकार विदेशी बॉन्ड जारी करती है? पता चलता है कि निवेशक बॉन्ड और अन्य मार्केट में भरोसा ना जताते हुए इक्विटी की तरफ बेहताशा आए हैं. साथ ही अब बांड्स में अच्छे रिटर्न के कारण निवेशक शेयर बाजार से डेब्ट मार्केट की तरफ जा सकते हैं. इस तरह बॉन्ड यील्ड और इक्विटी मार्केट में विपरीत संबंध होता है.

आने वालों दिनों में इसका क्या होगा बाजार पर असर?

विकसित देशों जैसे US, जापान में बॉन्ड यील्ड बढ़ने से विदेशी निवेशकों (FII) द्वारा भारत जैसे बाजारों से पैसे निकाले जा सकते हैं. बाजार की हालिया तेजी में FII निवेश का बड़ा योगदान रहा है. हाल में भारत का 10 वर्षों का बॉन्ड यील्ड भी 5.76% से 6.20% पे आ गया है. विदेशी निवेशक अगर भारतीय बाजार में रहते हुए भी अगर अपने पैसे को डेट मार्केट में डालते हैं तब भी शेयर बाजार पर नकारात्मक असर दिखेगा.

2013 में US में ‘टेपर टैंटरम’ की घटना का उदाहरण देकर भी लोग इस स्थिति को बताने की कोशिश कर रहे हैं. इस दौरान US में ट्रेजरी यील्ड में बढ़ोतरी का मार्केट पर बड़ा नकारात्मक प्रभाव हुआ था.

RBI से क्या करें उम्मीद?

रिजर्व बैंक लांग टर्म बॉन्ड यील्ड को 6% के पास रखने की कोशिश करेगा. बॉन्ड यील्ड के बढ़ने से सरकार के बाजार से पैसे जुटाने की योजना पर बड़ा असर पड़ेगा. बजट क्यों सरकार विदेशी बॉन्ड जारी करती है? में क्यों सरकार विदेशी बॉन्ड जारी करती है? इस वर्ष और आने वाले वर्षों में सरकार द्वारा बॉन्ड मार्केट से बड़ी रकम उठाने का ऐलान किया गया है. हालांकि इस समस्या से निपटने के लिए रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों संबंधी बदलाव की संभावना कम है. RBI ओपन मार्केट ऑपरेशन और ऑपरेशन ट्विस्ट की सहायता से बॉन्ड यील्ड में कटौती की कोशिश कर सकता है. ऑपरेशन ट्विस्ट के अंतर्गत केंद्रीय बैंक बिना क्यों सरकार विदेशी बॉन्ड जारी करती है? लिक्विडिटी को प्रभावित किए लांग टर्म बॉन्ड यील्ड में कमी लाने की कोशिश करता है.

निवेशकों के लिए सरकारी बॉन्ड मार्केट खुलने का मतलब, आपके लिए क्या?

निवेशकों के लिए सरकारी बॉन्ड मार्केट खुलने का मतलब, आपके लिए क्या?

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सरकार की सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड से 16,000 करोड़ रुपये जुटाने की तैयारी

नई दिल्ली.
केंद्र सरकार जल्द ही सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड जारी कर सकती है. वित्त मंत्रालय ने ग्लोबल स्टैंडर्ड के हिसाब से सॉवरेन ग्रीन बांड जारी करने की रूपरेखा को अंतिम रूप दे दिया है. सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी है. सरकार चालू वित्त वर्ष 2022-23 की दूसरी छमाही यानी अक्टूबर से मार्च के बीच ग्रीन बांड जारी करके 16,000 करोड़ रुपये जुटाना चाहती है. यह दूसरी छमाही के लिए उधार कार्यक्रम का एक हिस्सा है.

सूत्रों ने कहा कि रूपरेखा तैयार है और इसे जल्द ही मंजूरी दी जाएगी. बजट में ऐसे बांड जारी करने की घोषणा की गई थी. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल अपने बजट भाषण में घोषणा की थी कि सरकार ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए संसाधन जुटाने की खातिर सॉवरेन ग्रीन बांड जारी करने का प्रस्ताव रखती है. उन्होंने बजट 2022-23 में कहा था, ”इस राशि को सार्वजनिक क्षेत्र की उन परियोजनाओं में लगाया जाएगा, जो अर्थव्यवस्था की कार्बन तीव्रता को कम करने में मदद करती हैं.”

बजट में किया था ऐलान

सरकार की चालू वित्त वर्ष की अक्टूबर-मार्च अवधि के दौरान कुल 5.92 लाख करोड़ रुपये का उधार लेने की योजना है. 2022-23 के बजट में सरकार ने 14.31 लाख करोड़ रुपये के सकल बाजार लोन का अनुमान लगाया था. इसमें से क्यों सरकार विदेशी बॉन्ड जारी करती है? उन्होंने इस वित्त वर्ष के दौरान 14.21 लाख करोड़ रुपये उधार लेने का फैसला किया है, जो बजट अनुमान से 10,000 करोड़ रुपये कम है.

विदेशी निवेशकों को लुभाना चाहती है सरकार

इस ग्रीन बॉन्ड के जरिए सरकार का मकसद विदेशी निवेशकों को लुभाने की है. अभी कई घरेलू निवेशक और विदेशी ऐसे हैं, जो बॉन्‍ड में पैसा लगाना चाहते हैं. ऐसे निवेशक खासतौर पर ग्रीन सिक्‍योरिटीज में पैसा लगाना चाहते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने ग्रीन बॉन्ड जारी करने के लिए विश्व बैंक और दानिश फर्म CICERO Shades of Green के साथ मिलकर काम पूरा कर लिया है. इस बॉन्‍ड को लेकर निवेशक भी खासा उत्‍साहित नजर आ रहे हैं.

क्यों सरकार विदेशी बॉन्ड जारी करती है?

पाकिस्तान ने एक अरब डॉलर का बॉन्ड चुकाया, डिफॉल्ट की धारणा खारिज की

कराची, 3 दिसंबर (आईएएनएस)। पाकिस्तान ने शुक्रवार को निर्धारित समय से तीन दिन पहले एक परिपक्व अंतर्राष्ट्रीय सुकुक (क्यों सरकार विदेशी बॉन्ड जारी करती है? शरिया-अनुपालन बांड) के खिलाफ सफलतापूर्वक 1 अरब डॉलर का पुनर्भुगतान कर भुगतान में चूक की धारणा को खारिज कर दिया। स्थानीय मीडिया ने यह जानकारी दी।

पाकिस्तान ने एक अरब डॉलर का बॉन्ड चुकाया, डिफॉल्ट की धारणा खारिज की

कराची, 3 दिसंबर (आईएएनएस)। पाकिस्तान ने शुक्रवार को निर्धारित समय से तीन दिन पहले एक परिपक्व अंतर्राष्ट्रीय सुकुक (शरिया-अनुपालन बांड) के खिलाफ सफलतापूर्वक 1 अरब डॉलर का पुनर्भुगतान कर भुगतान में चूक की धारणा को खारिज कर दिया। स्थानीय मीडिया ने यह जानकारी दी।

द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, वास्तविक कार्यक्रम के अनुसार, देश को सोमवार को अमेरिकी डॉलर-मूल्य वाले वैश्विक बॉन्ड में परिपक्व निवेश वापस करना था।

स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) के प्रवक्ता आबिद कमर ने द एक्सप्रेस ट्रिब्यून से पुष्टि की, हां, हमने 1 अरब डॉलर का भुगतान किया है।

बैंक ने सिटीग्रुप को भुगतान कर दिया है, जो आगे निवेशकों को धन हस्तांतरित करेगा।

रिपोर्ट में कहा गया है, इससे पहले डिफॉल्ट का जोखिम - पांच साल के क्रेडिट डिफॉल्ट स्वैप (सीडीएस) के माध्यम से मापा जाता है - पिछले महीने 123 प्रतिशत की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया। इस धारणा पर मजबूती से निर्माण किया गया कि देश कम विदेशी मुद्रा भंडार के बीच भुगतान की व्यवस्था करने में विफल रहेगा।

सीडीएस एक बीमा व्युत्पन्न है जो चुकौती पर डिफॉल्ट के जोखिम को कवर करता है। हालांकि, विशेषज्ञों ने कहा कि यह एक कम तरल और कम मात्रा में कारोबार करने वाला डेरिवेटिव था। सीडीएस में थोड़े से व्यापार ने पुनर्भुगतान पर डिफॉल्ट की गलत धारणा बना दी थी।

वित्तमंत्री इशाक डार, पूर्व वित्तमंत्री मिफ्ताह इस्माइल और एसबीपी के गवर्नर जमील अहमद ने अक्सर दोहराया कि पाकिस्तान अपने किसी भी अंतर्राष्ट्रीय भुगतान पर चूक नहीं करेगा और यह सभी भुगतान अनुसूची के अनुसार करेगा।

अहमद ने पिछले महीने कहा था, इसके पास जरूरत से ज्यादा विदेशी मुद्रा भंडार है।

पाकिस्तान के संभावित डिफॉल्ट के बारे में धारणा तब बनी, जब श्रीलंका ने इस साल की शुरुआत में अपने भंडार कम होने के बाद अपने वैश्विक बांड पुनर्भुगतान में चूक की। देश को दवाओं, पेट्रोलियम उत्पादों और खाद्य पदार्थो के साथ-साथ राजनीतिक संकट की भारी कमी का सामना करना पड़ा।

द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक, एक विशेषज्ञ ने पुनर्भुगतान क्षमता पर इस्लामाबाद के साथ कोलंबो की तुलना करते हुए कहा कि पाकिस्तान के पास यूरोबॉन्ड और सुकुक जैसे फ्लोटिंग अंतर्राष्ट्रीय बॉन्ड के माध्यम से अपने कुल विदेशी ऋण का 7-8 फीसदी हिस्सा था। शेष विदेशी ऋण वाणिज्यिक, बहुपक्षीय और द्विपक्षीय था, जिसे समय-समय पर रोल ओवर किया जा सकता है।

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