शेयर ट्रेडिंग

Updated on: November 08, 2022 16:55 IST
इंट्राडे ट्रेडिंग के बारे में कितना जानते हैं आप? Stocks शेयर ट्रेडिंग चुनने से लेकर इससे होने वाले फायदे यहां जानिए
Intraday Trading: आज के समय में बढ़ते डिजिटलाइजेशन के साथ शेयर बाजार में पैसा लगाने वाले ग्राहकों की संख्या में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है। नए युवा इसे लेकर काफी उत्साहित नजर आते हैं। कई तो इंट्राडे ट्रेडिंग को लेकर काफी पॉजिटव नजर आते हैं।
Written By: Vikash Tiwary @ivikashtiwary
Updated on: November 08, 2022 16:55 IST
Photo:INDIA TV इंट्राडे ट्रेडिंग के बारे में कितना जानते हैं आप?
Intraday Trading: यह शेयर बाजार खुलने से लेकर बंद होने की बीच की गई शेयर की खरीदी बिक्री की प्रक्रिया होती है। यहां पैसा लगाने वाले निवेशकों का मुख्य उद्देश्य लंबे समय तक शेयर को होल्ड करना नहीं बल्कि उसी दिन बाजार बंद होने के पहले बेचकर मुनाफा कमाना होता है।
इन बातों का रखे ध्यान
इंट्राडे ट्रेडिंग करते समय ध्यान रखने वाली सबसे महत्वपूर्ण बात इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए संबंधित ऑर्डर सही तरीके से तैयार करना होता है। यदि कोई ऐसा करने में विफल रहता है, तो उनका ब्रोकर आपकी स्थिति को चौपट कर सकता है अगर आप खुद से ट्रेडिंग कर रहे हैं तो नुकसान उठा सकते हैं।
चाहे कोई व्यक्ति अनुभवी हो या नया निवेशक, उसे इंट्राडे ट्रेडिंग में एक साथ होने वाली कई घटनाओं पर नजर रखना पड़ता है। इसलिए भारत में इंट्राडे ट्रेडिंग करते समय रुझानों और संकेतकों पर नज़र रखने से बहुत मदद मिल सकती है। यहां कुछ संकेतक दिए गए हैं, जिन पर दिन के कारोबार के दौरान विचार किया जा सकता है, जो अच्छी कमाई में मदद कर सकते हैं।
इंट्राडे ट्रेडिंग के लाभ
- नियमित आय अर्जित करने का मौका
- कम कमीशन शुल्क
- अधिक लाभ
- लिक्विडिटी
- बाजार में उतार-चढ़ाव के माध्यम से पूंजीगत लाभ
इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए स्टॉक कैसे चुनें?
इंट्राडे ट्रेडिंग कैसे करें यह समझने के लिए निवेश करते समय सर्वोत्तम इंट्राडे ट्रेडिंग स्टॉक की पहचान करना आवश्यक होता है, क्योंकि इसमें अपेक्षाकृत अधिक जोखिम होता है। ऐसे शेयर चुनें, जिन्हें बेचना भी आसान हो। जिन शेयरों की लिक्विडिटी अधिक होती है, उन्हें व्यक्ति आसानी से जब चाहे बाजार खुले रहने तक सेल कर सकता है। अगर आपके शेयर का कोई बॉयर नहीं होगा तो आप उसे किसको बेचेंगे, ऐसे में आपको नुकसान उठाना शेयर ट्रेडिंग पड़ जाएगा।
क्या आप शेयर ट्रेडिंग के बारे में ये बातें जानते हैं?
आम तौर पर जब शेयर का भाव कम होता है या बाजार में कमजोरी होती है, तब शेयर खरीदने का सबसे अच्छा समय माना जाता है.
आपको यह ध्यान में रखना होगा कि शेयरों में निवेश से काफी जोखिम जुड़ा होता है. अगर आप खुद कंपनियों के नतीजे समझने, उसके शेयरों का मूल्यांकन करने और बाजार की चाल समझ सकते सकते हैं तभी आपको शेयरों में सीधे निवेश करना चाहिए.
किसी कंपनी के शेयर में निवेश करने से पहले उसके कारोबार, शेयरों की सही कीमत (मूल्यांकन) और उसके कारोबार की संभावनाओं को जानना जरूरी है. शेयर बाजार में शेयरों के शेयर ट्रेडिंग भाव स्थिर नहीं रहते. आम तौर पर जब शेयर का भाव कम होता है या बाजार में कमजोरी पर शेयर खरीदने के लिए सबसे अच्छा समय माना जाता है.
आपने जो शेयर खरीदा है, जब उसका दाम बढ़ जाए तो उसे आप बेच सकते हैं. शेयर मार्केट में ट्रेडिंग की शुरुआत बहुत कम रकम से की जा सकती है.
शेयर ट्रेडिंग कितने तरह के होते हैं?
1. इंट्रा-डे ट्रेडिंग (Intra Day Trading)
इंट्रा-डे ट्रेडिंग में एक ही दिन में शेयर खरीद कर उसे बेच दिया जाता है. मार्केट खुलने के शेयर ट्रेडिंग बाद आप शेयर खरीदते हैं और मार्केट बंद होने से पहले उसे बेच देते हैं.
इसे डे-ट्रेडिंग, MIS (Margin Intra day Square off) आदि भी कहते हैं.
Intra Day ट्रेडिंग के लिए ब्रोकर आपके ट्रेडिंग अकाउंट में मौजूद रकम का 20 गुना आप को मुहैया शेयर ट्रेडिंग कराता है. इसका मतलब यह है कि आप उधार रकम लेकर शेयर खरीद सकते हैं और उसी दिन बेच कर उसे वापस कर सकते हैं. यह वास्तव में वैसे निवेशकों के लिए जिन्हें बाजार की बहुत ज्यादा समझ होती है.
2. स्कैल्पर ट्रेडिंग ( Scalper Trading)
यह शेयर ट्रेडिंग का ऐसा तरीका है, जिसमें शेयर को खरीदने के 5-10 मिनट के अंदर ही बेच दिया जाता है. स्कैल्पर ट्रेडिंग किसी कानून के आने या आर्थिक जगत की किसी बड़ी खबर आने पर की जाती है.
शेयर मार्केट के पुराने दिग्गज स्कैल्पर ट्रेडिंग करते हैं. इसमें जोखिम सबसे ज्यादा होता है. स्कैल्पर ट्रेडिंग के लिए ब्रोकर कंपनियां मार्जिन मुहैया कराती हैं.
3. स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) या शार्ट टर्म ट्रेडिंग
स्विंग ट्रेडिंग थोड़े लंबे समय के लिए किया जाता है. इसमें आम तौर पर शेयर खरीदने के बाद उसकी डीमैट अकाउंट में डिलीवरी ले ली जाती है. स्विंग ट्रेडिंग के लिए ब्रोकर कोई मार्जिन मुहैया नहीं कराता है.
अगर आप अपने निवेश के लक्ष्य के हिसाब से 5-10 % लाभ की उम्मीद पर शेयर बाजार में ट्रेडिंग कर रहे है, तो स्विंग ट्रेडिंग से आप पैसे कमा सकते हैं.
4. LONG TERM ट्रेडिंग
जब आप किसी शेयर को खरीद कर लंबी अवधि के लिए रख लेते हैं तो उसे Long term ट्रेडिंग कहते हैं. स्टॉक मार्केट में ट्रेड करने के बाद अगर आप एक निवेशक के रूप में किसी शेयर में 6 महीने से लेकर कुछ साल तक बने रहें तो यह लॉन्ग टर्म ट्रेडिंग है.
अगर आप किसी कंपनी के शेयर को एक, तीन या पांच साल या इससे ज्यादा अवधि के लिए खरीदते सकते हैं. कंपनी के कारोबार में अगर तेजी से वृद्धि हो तो लॉन्ग टर्म ट्रेडिंग में आप बहुत अच्छा लाभ कमा सकते हैं.
आप जिन बड़े निवेशकों के बारे में सुनते हैं वे सभी लॉन्ग टर्म ट्रेडिंग से ही मुनाफा कमाते हैं. इनमें राकेश झुनझुनवाला, पोरिन्जू वेलियथ, डॉली खन्ना जैसे नाम शामिल हैं.
हिंदी में पर्सनल फाइनेंस और शेयर बाजार के नियमित अपडेट्स के लिए लाइक करें हमारा फेसबुक पेज. इस पेज को लाइक करने के लिए यहां क्लिक करें.
शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं, तो जरूरी है Demat Account होना, जानें कैसे खुलता है, क्या होता है चार्ज
How to open a Demat Account : डीमैट खाता खोलने की प्रक्रिया बहुत आसान होती है. इसके लिए सबसे पहले आपको एर फॉर्म ऑनलाइन भरना होता है. जिसके बाद ई वेरिफिकेशन होता है. ये प्रोसेस पूरी होते ही आपका डीमैट खाता खुल जाता है.
Demat Account : शेयर बाजार में ट्रेडिंग करने के लिए जरूरी है डीमैट अकाउंट. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
शेयर बाजार में ट्रेडिंग (Share Market Trading) कर पैसा बहुत से लोग बनाना चाहते हैं लेकिन शेयर्स खरीदने और बेचने के लिए जिस डीमैट अकाउंट की जरूरत होती है, उसके बारे में कम ही जानकारी होती है. डीमैट अकाउंट कैसे काम करता है, इस खाते को खोलने के लिए जरूरी कागजात कौन से होते हैं और कितनी फीस डीमैट खाते को खोलने के लिए खर्च करनी पड़ती है. ऐसे बहुत सारे सवालों के जवाब हम आपको इस खबर की मदद से दे रहे हैं क्योंकि शेयर ट्रेडिंग के लिए डीमैट अकाउंट होना जरूरी है, इसके बिना ट्रेडिंग नहीं की जा सकती है.
तो आइए जानते हैं डीमैट खाते से जुड़ी हर जरूरी जानकारी.
क्या होता है डीमैट खाता
यह भी पढ़ें
जिस तरह से बैंक अकाउंट होता है. इसी तरह से डीमैट अकाउंट भी बैंक खाते की तरह काम करता है. शेयर बाजार को रेगुलेट करने वाली संस्था SEBI के साफ निर्देश हैं कि बिना डीमैट खाते के शेयरों को किसी भी अन्य तरीके से खरीदा और बेचा नहीं जा सकता है.
डीमैट खाते की सबसे अच्छी बात होती है ये जीरो अकाउंट बैलेंस के साथ भी खोला जा सकता है. इसमें मिनिमम बैलेंस रखने की जरूरत नहीं होती है. शेयर बाजार में निवेश के लिए निवेशक के पास बैंक अकाउंट, ट्रेडिंग अकाउंट और डीमैट खाता होने चाहिए क्योंकि डीमैट खाते में आप शेयरों को डिजिटल रूप से अपने पास रख सकते है. तो वहीं ट्रेडिंग अकाउंट से मदद से शेयर, म्युचुअल फंड और गोल्ड में निवेश किया जा सकता है.
कैसे खोलें डीमैट खाता
- शेयरों में ऑनलाइन निवेश करने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी डीमैट खाता होता है. आप इसे HDFC सिक्योरिटीज, ICICI डायरेक्ट, Axis डायरेक्ट जैसे किसी भी ब्रोकरेज के पास खुलवा सकते हैं.
- ब्रोकरेज फर्म का फैसला लेने के बाद आप उसकी वेबसाइट पर जाकर डीमैट अकाउंट ओपन करने का फॉर्म सावधानी से भरने के बाद उसकी KYC प्रोसेस को पूरा करें.
- KYC के लिए फोटो आईडी प्रूफ, एड्रेस प्रूफ के लिए डॉक्यूमेंट की जरूरत पड़ेगी. जब ये प्रोसेस पूरी हो जाएगा तो उसके बाद इन-पर्सन वेरिफिकेशन होगा. संभव है जिस फर्म से आप डीमैट अकाउंट खुलवा रहे हों, वो अपने सर्विस प्रोवाइडर के दफ्तर आपको बुलवाएं.
- इस प्रोसेस को पूरा होने के बाद आप ब्रोकरेज फर्म के साथ टर्म ऑफ एग्रीमेंट साइन करते है. ऐसा करने के बाद आपका डीमैट अकाउंट खुल जाता है.
- फिर आपको डीमैट नंबर और एक क्लाइंट आईडी दी जाएगी.
कौन खोलेगा डीमैट खाता
इंडिया में डीमैट खाता खोलने का काम दो संस्थाएं करती है. जिसमें पहली है NSDL (National Securities Depository Limited) और दूसरी है CDSL (central securities depository limited). 500 से अधिक एजेंट्स इन depositories के लिए काम करते है, जिनको आम भाषा में डीपी भी कहा जाता है. इनका काम डीमैट अकाउंट खोलना होता है.
जरूरी शर्तें
डीमैट अकाउंट खोलने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी शर्त होती है कि जो व्यक्ति शेयर ट्रेडिंग के लिए डीमैट अकाउंट खुलवा रहा हो उसकी उम्र 18 साल से ज्यादा होनी चाहिए. साथ ही इसके लिए उस व्यक्ति के पास पैन कार्ड, बैंक अकाउंट आइडेंटिटी और एड्रेस प्रूफ होना जरूरी है.
शेयर ट्रेडिंग
फ्रैक्शनल शेयर ट्रेडिंग क्या है और इसके लाभ व फायदें
- Post author: धन महोत्सव
- Post category: स्टॉक मार्केट
- Reading time: 2 mins read
क्या आप एक छोटे निवेशक हैं और महंगे और अच्छे शेयरों में निवेश करना चाहते हैं, तो आपको जल्द ही फ्रैक्शनल शेयर ट्रेडिंग (Fractional Share Trading) के जरिए महंगे शेयरों का एक छोटा सा हिस्सा खरीदने का मौका मिलेगा।
हाल ही में कंपनी लॉ कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में देश में फ्रैक्शनल शेयरों को अनुमति देने की सिफारिश की है ताकि देश के छोटे निवेशकों को महंगे शेयरों के एक छोटे से हिस्से में जल्द ही निवेश करने का मौका मिल सके।
फ्रैक्शनल शेयर ट्रेडिंग क्या है (Fractional Share Trading kya hai)
जो निवेशक किसी अच्छे महंगे शेयर को नहीं खरीद पाते हैं उनके लिए स्टॉक मार्केट में निवेशकों की इन्वेस्टमेंट कैपेसिटी के अनुसार किसी महंगे शेयर के एक हिस्से को खरीदने का अवसर देना फ्रैक्शनल शेयर ट्रेडिंग कहलाता है।
अन्य शब्दों में, देश के छोटे निवेशकों द्वारा अपनी निवेश क्षमता के अनुसार बड़े स्टॉक का एक छोटा सा हिस्सा खरीदना फ्रैक्शनल शेयर ट्रेडिंग (आंशिक शेयर ट्रेडिंग) कहलाता है।
फ्रैक्शनल ट्रेडिंग में किसी कंपनी के 1 शेयर को कई भागों में बांटा जाता है और यह शेयर बाजार में निवेशकों के लिए खरीदने और बेचने के लिए उपलब्ध होते है, इसलिए आप अपनी सुविधा के अनुसार ₹100 का निवेश करके किसी अच्छे स्टॉक का एक हिस्सा भी खरीद सकते हैं।
भारत में शेयरों में निवेश करने की न्यूनतम इकाई एक शेयर होती है, यानी आपको किसी कंपनी का कम से कम 1 शेयर (Stock) खरीदना होता है, इसलिए कई निवेशक बहुत महंगे शेयर नहीं खरीद पाते हैं। आप जीरो कूपन जीरो प्रिंसिपल बॉन्ड के बारे में भी जानकारी प्राप्त कर सकते है।
अमेरिका, ब्रिटेन की तर्ज पर छोटे निवेशकों का निवेश के प्रति आकर्षण बढ़ाने के लिए भारत में फ्रैक्शनल शेयर ट्रेडिंग यानी आंशिक शेयर ट्रेडिंग को लागू करने की पेशकश की जा रही है।
फ्रैक्शनल ट्रेडिंग के जरिए आप Amazon, Google, MRF, Tata, Reliance जैसी स्टॉक मार्केट में लिस्टेड टॉप 100 कंपनियों के महंगे शेयरों को अपने पोर्टफोलियो में शामिल कर सकते हैं।
यह सब Fractional Trading के माध्यम से संभव होगा क्योंकि यहां, आप अपनी निवेश क्षमता के अनुसार किसी भी बड़े स्टॉक का एक छोटा सा हिस्सा खरीदने की क्षमता रखेंगे।
एक Fractional Share स्टॉक की एक इकाई को संदर्भित करता है जो पूर्ण शेयर नहीं है। ये शेयर स्टॉक स्प्लिट्स, बोनस शेयरों और इसी तरह की कॉरपोरेट क्रियाओं से आते हैं, इसलिए इन्हें बाजार में खरीदा और बेचा नहीं जा सकता है, लेकिन आप भारत में फ्रैक्शनल ट्रेडिंग के लागू होने के बाद किसी विशेष शेयर का एक हिस्सा खरीद सकते हैं।
फ्रैक्शनल शेयर ट्रेडिंग से निवेशकों को लाभ व फायदे
- छोटे निवेशकों का स्टॉक मार्केट के प्रति आकर्षण बढ़ेगा।
- छोटे निवेशक अपनी निवेश क्षमता के अनुसार बड़े और महंगे स्टॉक्स को खरीदने में सक्षम होगे।
- अगर आपके पास फ्रैक्शनल शेयर्स हैं तो आपकी लाभ-हानी उसी अनुपात में होगा।
- अगर कोई कंपनी डिविडेंड की घोषणा करती है तो फ्रैक्शनल शेयरहोल्डर्स को भी इसका फायदा मिलेगा।
- एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETF) को भी फ्रैक्शनल शेयर्स के रूप में खरीदा-बेचा जा सकता है।
- स्टॉक मार्केट में इन्वेस्टमेंट बढ़ने के कारण अर्थव्यवस्था मजबूत बनेगी।
- आपको अपने निवेश पर ज्यादा रिटर्न मिलने की संभावना बढ़ जाती है। शेयर ट्रेडिंग
- अच्छे स्टॉक में निवेश होने के कारण आपका पैसा सुरक्षित होता है।
- निवेश की संभावना के कारण कई सारे रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे।
पिछले कुछ समय से शेयर बाजार के प्रति लोगों के बढ़ते रुझान को देखते हुए फ्रैक्शनल स्टॉक ट्रेडिंग की अनुमति देना एक बेहतरीन पहल है जिससे निवेशकों का शेयर बाजार में अगले कुछ वर्षों में बचत करने के बजाय शेयरों में निवेश करने का रुझान बढ़ेगा।
अमेरिका, जापान, ब्रिटेन समेत कई विकसित देशों में फ्रैक्शनल शेयरों की ट्रेडिंग पहले से होती आ रही है।
यदि इसकी अनुमति भारत में मिल जाती है तो रिटेल इनवेस्टर्स को हाई-वैल्यू शेयरों में पैसा लगाने का मौका मिलेगा, जिससे शेयर बाजार में भारी धन आएगा और हमारी अर्थव्यवस्था को ओर ज्यादा मजबूती मिलेगी।
आप इनके बारे में भी जान सकते है –
कुल मिलाकर, छोटे और नए निवेशकों के लिए फ्रैक्शनल स्टॉक ट्रेडिंग एक बढ़िया विकल्प हो सकता है। उन्हें अपने पोर्टफोलियो में टॉप रेटेड स्टॉक कंपनियों के शेयर देखने को मिल सकते हैं।