Invesment क्या होता है और इन्वेस्टमेंट कैसे करे

500 रुपये के साथ निवेश करना – जानें इसे करने के शीर्ष 5 तरीके
भले ही आपकी बचत या निवेश की मात्रा कितनी भी कम क्यों न हो, लेकिन आपको निवेश की प्रक्रिया जल्द से जल्द शुरुआत करने की जरूरत है। यह प्रक्रिया आपको अपने जीवन के लक्ष्यों तक पहुँचने के लिए आर्थिक योजना की तैयारी में मदद करेगी।
Table of Contents |
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एक क्रमबद्ध निवेश अथार्त सिस्टेमिक इन्वेस्टमेंट (systematic investment) शुरू करें |
500 रुपये से किसी कंपनी का शेयर खरीदें |
एक Recurring Deposit (RD) Account शुरू करें |
500 रुपये से एक पुस्तक में निवेश करें |
खुद को शिक्षित करे |
मुख्य तथ्य है |
एक हजार मील की यात्रा एक कदम के साथ शुरू होती है।
जब मैं कॉलेज में था, मैं पैसे जमा करने और विभिन्न तरीकों से निवेश करने की कोशिश करता था। हालांकि मैं हर महीने 500 रुपये बचा सकता था, लेकिन मैं इसे नियमित रूप से निवेश करना सुनिश्चित करूंगा।
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यह जानने के लिए कि आप अपने वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए किन निवेश साधनों में निवेश कर सकते हैं, आप Kredent Money App की मदद से कर सकते हैं।
इस ब्लॉग में, मैंने 500 रुपये प्रति माह की बचत के साथ ,मुख्य 5 निवेश विकल्पों का उल्लेख किया है,जिसने मेरे भविष्य के लक्ष्यों को बढ़ा दिया।
1. एक क्रमबद्ध निवेश अथार्त सिस्टेमिक इन्वेस्टमेंट (systematic investment) शुरू करें
इस श्रेणी के पीछे विचार बचत और निवेश की आदत विकसित करना है। सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) मूल रूप से म्यूचुअल फंड स्कीम में किया गया निवेश है।
हालांकि, कुछ ऐसे तथ्य हैं जो आपको म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले जानना चाहिए।
अधिक संभावना है कि आपका पैसा बढ़ जाएगा क्योंकि ये फंड व्यवसायी फंड प्रबंधकों द्वारा प्रबंधित किए जाते हैं।
म्यूचुअल फंड को 500 / – रुपये से कम के साथ शुरू किया जा सकता है।
यदि आप म्यूचुअल फंड में निवेश तुरंत शुरू करना चाहते हैं, तो आप सिस्टेमेटिक इनवेस्टमेंट अथार्त निवेश योजना (SIP) पर हमारे लिखे हुए इस ब्लॉग को पढ़ सकते है । जानिए SIP में निवेश करना ,केवल 2 स्टेप में ।
SIP जल्दी शुरू करने का सबसे महत्वपूर्ण लाभ है कंपाउंडिंग (compounding),पावर ऑफ कंपाउंडिंग (power of compounding) के बारे में अधिक जानने के लिए ,यहाँ click करें -पावर ऑफ कंपाउंडिंग कैसे काम करता है ।
हमने कुछ म्यूचुअल फंड योजनाओं को नीचे सूचीबद्ध किया है, जिन पर आप स्वयं रिसर्च करके निवेश कर सकते हैं।
- एचडीएफसी (HDFC)स्मॉल कैप फंड
- डीएसपी (DSP) मिड कैप फंड
- एचडीएफसी (HDFC)मिड कैप अवसर फंड
- आदित्य बिड़ला सन लाइफ इक्विटी फंड
- आईसीआईसीआई (ICICI)प्रूडेंशियल इक्विटी और डेट फंड
नोट: उपर्युक्त कोष में से कोई भी हमारे द्वारा निवेश किए जाने का सुझाव नहीं दिया गया है। ये आपके निवेश के लिए उपलब्ध विभिन्न योजनाओं के बारे में जानकारी देने के लिए केवल उदाहरण हैं।
2. 500 रुपये से किसी कंपनी का शेयर खरीदें
मुझे पता है कि आप क्या सोच रहे होंगे, अगर मैं किसी कंपनी का सिर्फ एक हिस्सा खरीदूं तो क्या होगा?
किसी भी चीज़ से अधिक, यह आपको शेयर बाजारों का Invesment क्या होता है और इन्वेस्टमेंट कैसे करे अनुसरण करने और सीखने के लिए प्रेरित करेगा। एक बार जब आप किसी चीज़ में अपने पैसे जमा कर लेते हैं, तो यह आपको वित्तीय बाज़ार के बारे में और जानने के लिए प्रेरित करेगा।
बाजारों और कंपनियों के बारे में Invesment क्या होता है और इन्वेस्टमेंट कैसे करे समाचार ट्रैक करना, यह समझना कि वे कैसे काम करते हैं, एक बहुत अनिवार्य कला हैं , यदि आप शेयर बाजार से पैसा बनाना चाहते हैं। यह अपने आप में 500 रुपये का बड़ा उपयोग हो सकता है।
3. एक Recurring Deposit (RD) Account शुरू करें
अगर आप हर महीने 500 रुपये बचाने में सक्षम हैं लेकिन आपको शेयर बाजारों में कोई दिलचस्पी नहीं है। यदि आपको यह बहुत जोखिम भरा लगता है, तो आप बैंक या डाकघर में Recurring Deposit (RD) शुरू कर सकते हैं। इस तरह आपका पैसा बढ़ेगा और उसी समय सुरक्षित रहेगा।
भारत में लगभग सभी बैंक Recurring Deposit (RD) Account सेवाएँ प्रदान करते हैं।
प्रत्येक बैंक की वेबसाइटों पर Recurring Deposit Account खोलने के निर्देश दिए गए हैं। यह आसान और परेशानी मुक्त निवेश खाता है।
6-8% के बीच ब्याज दर भिन्न होती है जो घर पर पड़े एक आदर्श फंड से बेहतर है।
4. 500 रुपये से एक पुस्तक में निवेश करें
वैसे किताबें पढ़ना एक बहुत अच्छी आदत है। पढ़ने की आदत विकसित करना आगे जाकर काफी फ़ायदेमंद हो सकता है। किताबें पढ़ने से आप बहुत ज्ञान प्राप्त करते हैं, बहुत सारी चीजों के बारे में अलग-अलग दृष्टिकोण विकसित करते हैं, आप आत्मविश्वास से भरे होते हैं। अधिकांश सफल Invesment क्या होता है और इन्वेस्टमेंट कैसे करे लोग पढ़ने की आदत के इस सामान्य लक्षण को शेयर करते हैं।
अपने आप में निवेश करने से बेहतर निवेश कुछ नहीं हो सकता। इसलिए यदि आप उपरोक्त विकल्पों के लिए तैयार नहीं हैं, तो आप हमेशा नई किताबें पढ़ने में निवेश कर सकते हैं।
स्पेसएक्स और टेस्ला के संस्थापक एलोन मस्क जब बच्चे थे, तब वे बहुत पढ़ते थे। बाद में उन्होंने साक्षात्कार में कहा कि कुछ पुस्तकों ने उन्हें वास्तव में प्रेरित किया कि वे आज क्या कर रहे हैं।
5. खुद को शिक्षित करे
निवेश का एक अन्य तरीका छोटे प्रमाणित पाठ्यक्रम को ऑनलाइन ले कर अपने आप को शिक्षित करना है।
इंटरनेट के कारण, आजकल ऑनलाइन सीखने के बहुत सारे विकल्प हैं। आप इस पैसे का उपयोग एक कोर्स खरीदने और एक नए युक्ति सीखने में कर सकते हैं, जिसमें आप रुचि रखते हैं। यह आपकी पसंद का कुछ भी हो सकता है।
मुख्य तथ्य है
- पैसे की रकम ज्यादा महत्व नहीं रखती है, लेकिन शुरुआती चीजें बहुत महत्व रखती हैं। Invesment क्या होता है और इन्वेस्टमेंट कैसे करे
- आरडी (RD)में निवेश की तुलना में एसआईपी (SIP) शुरू करने से आपको अधिक ब्याज मिलेगा।
- यदि आप किसी भी निवेश के लिए तैयार नहीं हैं, तो आप हमेशा छोटे ऑनलाइन पाठ्यक्रमों को पढ़कर और ग्रहण कर स्वयं के ज्ञान को समृद्ध कर सकते हैं।
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Cryptocurrency में निवेश से पहले न करें जल्दबाजी, जरूर याद रखें ये 10 बातें
Cryptocurrency Investment : क्रिप्टोकरेंसी निवेशकों के बीच निवेश का एक पॉपुलर टूल बन गई हैं, लेकिन यह अब भी जबरदस्त उतार-चढ़ाव का शिकार होने वाला डिजिटल असेट है. ऐसे में इस बाजार में निवेश करने से पहले कुछ चीजें हैं जो जानना जरूरी है.
Cryptocurrency निवेश का पॉपुलर माध्यम बन चुकी हैं.
Cryptocurrency की दुनिया आज पिछले कुछ सालों के मुकाबले कहीं ज्यादा आम हो गई है. शंका, डर और अनिश्चितता के फेज़ से गुजरकर आज के वक्त में क्रिप्टोकरेंसी निवेशकों के बीच निवेश का एक पॉपुलर टूल बन गई हैं. यहां तक कि इन्हें लेकर बड़ी कंपनियों में स्वीकार्यता भी बढ़ी है और पेमेंट के अल्टरनेट मोड में क्रिप्टोकरेंसी (payment in cryptocurrency) को स्वीकारा जाने लगा है. हालांकि, इस सबके बावजूद क्रिप्टोकरेंसी अब भी जबरदस्त उतार-चढ़ाव (highly volatile) का शिकार होने वाला डिजिटल असेट है. ऐसे में इस बाजार में निवेश करने से पहले कुछ चीजें हैं जो जान लीजिए और जिनके लिए खुद को तैयार कर लेना चाहिए.
1. गहरी रिसर्च जरूरी
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सबसे पहली बात है कि निवेश से पहले अपनी रिसर्च पक्की रखिए. पैसे-रुपयों के मामले में यह सबसे कॉमन बात है. कहीं भी पैसा लगाने से पहले आपको उस माध्यम की पूरी जानकारी होनी ही चाहिए. लेकिन क्रिप्टोकरेंसी के लिए यह और भी जरूरी है क्योंकि यह मार्केट अभी नया है और ट्रेडिशनल निवेश के माध्यमों या तरीकों से काफी अलग है. इसलिए अलग-अलग क्रिप्टोकरेंसी के बारे में जान लीजिए. ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी को समझ लीजिए, जान लीजिए कि क्रिप्टोकरेंसी मार्केट में कैसे काम होता है.
2. हर इन्फॉर्मेशन को वेरिफाई करें
क्रिप्टोकरेंसी का मार्केट डिसेंट्रलाइज्ड मार्केट है और इसको कोई रेगुलेट भी नहीं करता. यानी कि इसको कोई एक संस्था या व्यक्ति कंट्रोल नहीं करता है, वहीं ट्रेडिशनल करेंसी की तरह कोई सरकार या सरकारी संस्था इसका नियमन भी नहीं देखती. यह पूरी तरह स्वतंत्र है. ऐसे में जवाबदेही आप पर ही आकर रुकती है. इसमें धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े का डर होता है. ऐसे में किसी की बात में न आएं, किसी स्कीम के चक्कर में तो बिल्कुल न पड़े. हर जानकारी किसी विश्वसनीय स्रोत से ही लें और वेरिफाई करें.
3. अपनी रिसर्च पर भरोसा करें
क्रिप्टोकरेंसी मार्केट को लेकर अकसर कहते हैं कि 'इस बारे में कोई कुछ नहीं जानता है.' हालांकि, फिर भी मार्केट में ढेरों मार्केट एनालिटिक्स, ट्रेंड एक्सपर्ट्स और सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर हैं, जो आपको क्रिप्टो मार्केट पर स्ट्रेटजी और टिप्स देते हुए मिलेंगे. लेकिन आपके लिए जरूरी है कि आप हर किसी की बात पर भरोसा न करें, अपनी रिसर्च को देखें और अपने पर्सनल फाइनेंस को देखते हुए स्ट्रेटजी बनाएं.
4. छोटे निवेश से शुरू करें
क्रिप्टो निवेश में शुरुआत करते वक्त ध्यान रखें कि शुरुआती चरण में एक ही क्रिप्टो के साथ स्टिक करें. इधर-उधर पैर फैलाने की कोशिश न करें. क्रिप्टोकरेंसी मार्केट में जबरदस्त उतार-चढ़ाव देखा जाता है, ऐसे में यही स्मार्ट होगा कि आप छोटे निवेश से शुरू करें. एक ही क्रिप्टो में निवेश करें और मार्केट की चाल को सीखें. जब थोड़ा कॉन्फिडेंट हो जाएं तब अपना निवेश बढ़ाएं.
5. थोड़ा धैर्य रखें
क्रिप्टोकरेंसी मार्केट की वॉलेटिलिटी यानी अस्थिरता के बारे में जितना चेताया जाए, उतना कम है. ऐसे में यह जरूरी है कि आप थोड़ा धैर्य रखें. मार्केट की चाल अच्छी है या बुरी, बदल जाएगी. हमेशा ठंडे दिमाग से रणनीति के तहत फैसले लें.
6. एक नई ईमेल ID रखना बेहतर
क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग, क्रिप्टो एक्सचेंज पर या peer-to-peer नेटवर्क पर होती है. प्लेटफॉर्म्स पर ट्रेडिंग के लिए आपको ईमेल आईडी के जरिए अकाउंट खोलना पड़ता है. डेटा सुरक्षित रखने के लिए जरूरी है कि आप क्रिप्टो का अपना पूरा निवेश और ट्रेडिंग वगैरह एक दूसरे आईडी पर रखें. इसके Invesment क्या होता है और इन्वेस्टमेंट कैसे करे लिए एक अलग ईमेल आईडी बना लें.
7. क्रिप्टोकरेंसी वॉलेट्स के बारे में पता होना चाहिए
क्रिप्टोकरेंसी को ऑनलाइन और ऑफलाइन वॉलेट में स्टोर किया जा सकता है. नए निवेशकों के लिए ऑनलाइन वॉलेट बेस्ट होता है, हालांकि, इसमें हैकिंग का डर ज्यादा होता है. ऐसे में दोनों वॉलेट को अच्छी तरह समझ लें और जो फिट लगे, वो चूज़ करें.
8. मोबाइल वॉलेट में अपनी पूरी करेंसी स्टोर न करें
इसमें कोई दोराय नहीं है कि मोबाइल वॉलेट्स बहुत ही सुविधाजनक होते हैं, लेकिन इनका हैक होना भी बहुत आसान होता है. ऐसे में कभी भी अपनी पूरी क्रिप्टोकरेंसी मोबाइल वॉलेट में स्टोर न करें.
9. क्रिप्टोकरेंसी पर टैक्स को मत भूलें
चूंकि क्रिप्टोकरेंसी पर किसी संस्था का नियमन नहीं होता है, ऐसे में इससे होने वाले प्रॉफिट पर आपको भारी टैक्स देना पड़ सकता है. ऐसे में क्रिप्टोकरेंसी निवेश और टैक्स को लेकर देश में क्या नियम हैं, वो सब जानने के बाद ही निवेश शुरू करें.
10. जल्दबाजी न करें
क्रिप्टोकरेंसी मार्केट लुभावना माध्यम है और बहुत से लोग हर दिन इसमें निवेश और ट्रेडिंग के लिए जुड़ रहे हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि आप भी इसमें कूद जाएं. अपने फाइनेंस का आकलन कर लें, नियमों को अच्छे से जान लें. इसके बाद निवेश शुरू करें. और क्रिप्टो को लेकर खबरों पर भी नजर रखें कि कहीं कुछ बदलाव तो नहीं हो रहे.
Lump Sum & SIP: आपके लिए क्या सही है, और कब?
निवेशक अपने फंड को दो तरह से बाजार में लगा सकते हैं। यह एकमुश्त (Lump Sum) या सिप (SIP) दोनों में से कुछ भी हो सकता है। अलग-अलग परिस्थितियों में दोनों ही कारगर साबित हो सकती हैं। इस आर्टिकल में हम आपको यह समझाने की कोशिश करेंगे कि आखिर इन दोनों का नफा-नुकसान क्या है व आपके लिए दोनों में से कौन सी ज्यादा कारगर है।
नए निवेशकों के लिए निवेश एक मुश्किल काम हो सकता है। रिस्क मैनेजमेंट इसका महत्वपूर्ण हिस्सा है। आपके Invesment क्या होता है और इन्वेस्टमेंट कैसे करे निवेश की ग्रोथ की संभावनाएं काफी हद तक इस बात पर निर्भर करती हैं कि आप अपना पैसा किस तरह से लगा रहे हैं।
निवेश दो तरह से किया जा सकता है:
एक ही बार में एक बड़ा अमाउंट निवेश करना, जिसे आमतौर पर एकमुश्त (Lump Sum) कहा जाता है। या,
थोड़ी-थोड़ी अमाउंट को समय-समय पर निवेश करना जैसे हर हफ्ते, महीने या तिमाही पर। यह सिप (SIP) की शैली होती है।
आइए अब दोनों की ही विशेषताओं और खामियों को जानने Invesment क्या होता है और इन्वेस्टमेंट कैसे करे की कोशिश करते हैं:
1) एकमुश्त निवेश (Lump Sum Investment) क्या है?
एकमुश्त (Lump Sum) निवेश का अर्थ है कि निवेशक अपनी पूंजी एक ही बार में निवेश करता है और आवश्यकता पड़ने पर ही दोबारा पूंजी लगाता है यानी Invesment क्या होता है और इन्वेस्टमेंट कैसे करे टॉप अप करता है।
एकमुश्त निवेश के क्या लाभ हैं?
यह विधि आम तौर पर अनुभवी या मोटी रकम रखने वाले निवेशकों के लिए सही होती है। इस विधि में अपनी जोखिम की क्षमता को बढ़ाना भी जरूरी है।
एकमुश्त निवेश करने वाले निवेशक बाजार के उतार-चढ़ाव के रुख को अपने अनुसार मोड़ सकते हैं। यह शैली आम तौर पर उन व्यक्तियों के लिए सुविधाजनक है, जिनके पास निवेश के लिए एक बड़ी राशि है।
एकमुश्त निवेश पर लाभ कमाने की संभावना तब अधिक होती है जब बाजार अस्थिर दौर से गुजरा हो और एक बार फिर ऊपर चढ़ने की तैयारी कर रहा हो।
यह वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने के लिए भी उपयुक्त है। इसके साथ ही यह लॉन्ग टर्म में बेहतरीन वेल्थ क्रिएशन का भी एक अच्छा तरीका है।
एकमुश्त निवेश के क्या नुकसान हैं?
जब आप एकमुश्त तरीके से निवेश करते हैं, तो बाजार की टाइमिंग इसके लिए बहुत जरूरी हो जाती है। यदि निवेश तब किया जाता है, जब बाजार पहले से ही ऊपर पहुंचा हुआ है, तो रिस्क-रिवार्ड अनुपात (risk-reward ratio) कम हो जाता है। वहीं बाजार में गिरावट से शॉर्ट टर्म में ‘पोर्टफोलियो डिवैल्यूएशन’ भी हो सकता है। इसका मतलब यह है कि उच्च स्तर पर खरीदे जाने पर निवेशक के पास बहुत कम स्टॉक यूनिट रह जाती हैं।
अगर फंड केवल छोटी अवधि के लिए निवेश किया जा रहा है, तब भी यह तरीका कारगर नहीं है। इससे आपमें निवेश को लेकर कोई अनुशासन भी कायम नहीं होता। चूंकि निवेशक में इससे बचत की आदत पैदा नहीं होती और वह पैसा जमा करने के लिए अपने खर्चों में कहीं भी कोई कटौती नहीं करता है।
2) सिप निवेश (SIP Investing) क्या है?
सिप या SIP कम बजट वाले उन निवेशकों के लिए एक बेहतरीन जरिया है, जो नियमित अंतराल पर कम मात्रा में निवेश करना चाहते हैं। निवेश साप्ताहिक, मासिक या वार्षिक आधार पर किया जा सकता है और धीरे-धीरे एक अच्छा अमाउंट बन जाता है।
सिप (SIP) के क्या लाभ हैं?
SIP नए निवेशकों के लिए अच्छी शुरुआत हो सकती है क्योंकि वे इससे छोटी अमाउंट के साथ निवेश की दुनिया से जुड़ सकते हैं। यह नौकरी-पेशा लोगों के लिए भी उपयोगी हो सकती है क्योंकि इससे उनमें लंबे समय तक नियमित बचत की आदत भी विकसित होती है।
कुल मिलाकर SIP रुपया-लागत औसत (rupee-cost average) के माध्यम से लंबी अवधि में बाजार के उतार-चढ़ाव को सामान्य कर देती है। मतलब जब बाजार में तेजी होती है, तो कम यूनिट खरीदी जाती है। इसी तरह मंदी के दौरान कम कीमत पर अधिक यूनिट खरीदे जा सकते हैं। इससे एक वक्त के बाद प्रति यूनिट की कीमत औसतन सामान्य हो जाती है।
सिप (SIP) में एकमुश्त के बजाए ज्यादा लचीलापन होता है क्योंकि निवेशक अपनी गति और सुविधा के अनुसार इसमें निवेश कर सकता है। निवेशक अपने मौजूदा वित्तीय संसाधनों और अन्य दायित्वों पर विचार करने के बाद निवेश की योजना बना सकता है।
सिप (SIP) के नुकसान क्या हैें?
SIP के कारण निवेशक कई बाजार में उपलब्ध अच्छे अवसरों से चूक जाते हैं, जिसके लिए एग्रेसिव इंवेस्टमेंट एप्रोच की जरूरत पड़ती है।
निवेश अक्सर एक पूर्व निर्धारित तारीख पर किया जाता है। इसलिए बाजार के उतार-चढ़ाव के दौरान निवेश कर पाना मुश्किल होता है। ऐसे में इन अस्थिर परिस्थितियों का फायदा निवेशक नहीं उठा पाता है।
SIP उन निवेशकों के लिए भी सही जरिया नहीं हो सकता जिनकी नियमित आय नहीं है। कई बार समय के साथ निवेशक का मन बदल जाता है और वह SIP में निवेश करना छोड़ देता है। दूसरी दिक्कत यह है कि कई बार निवेशक इसमें ज्यादा पैसे नहीं डालते यानी आपकी SIP बहुत ही छोटी SIP होती है। ऐसे में जाहिर है मनचाहे रिटर्न का आना संभव नहीं हो पाता।
आपके लिए इन दोनों में से कौन सा सबसे अच्छा है?
शेयर बाजार बहुत तेजी से बदलता रहता है। यहां स्मार्ट निवेशक वह ही है जो बाजार के अनुसार अपनी चाल बदल सके और हर परिस्थिति का लाभ उठा सके।
आइए कुछ उदाहरणों से यह जानने की कोशिश करते हैं कि निवेशक एकमुश्त या सिप (SIP) की कौन सी तकनीक का उपयोग करके लाभ कमा सकता है।
उदाहरण 1:
मिस्टर X 10 रुपए की यूनिट लागत पर एक फंड में 2,00,000 रुपए की एकमुश्त निवेश करते हैं। अब अगर बाजार में तेजी है और फंड का मूल्य बढ़ना शुरू हो जाता है, तो मिस्टर X को अपने एकमुश्त निवेश से फायदा होगा।
SIP से यहां कोई खास फायदा नहीं पहुंचने वाला है। चूंकि मिस्टर X ज्यादा यूनिट खरीद कर यूनिट को समाप्त कर लेंगे क्योंकि उनका मूल्य एक अपट्रेंडिंग मार्केट में बढ़ रहा है। वहीं SIP में स्थिति में रिटर्न की दर कम हो जाएगी।
उदाहरण 2:
उदाहरण 1 में हमने Invesment क्या होता है और इन्वेस्टमेंट कैसे करे देखा कि कैसे एकमुश्त निवेश अनुकूल परिस्थितियों में निवेशकों के लिए बेहतर रिटर्न देता है। हालांकि बाजार एक ऐसी जगह है बदलता रहता है। SIP इन उतार-चढ़ाव को जोखिमों को कम करके फायदा पहुंचाता है।
मान लें कि एकमुश्त के बजाय मिस्टर X ने SIP के माध्यम से अपने 2,00,000 रुपए का निवेश करने की सोची। उसने 10,000 रुपए की SIP की और पहले महीने में 10 रुपए में 1,000 यूनिट खरीद ली। अगर बाजार नीचे जाता Invesment क्या होता है और इन्वेस्टमेंट कैसे करे है, तो अगले महीने वही यूनिट 10 रुपए का दाम कम हो जाएगा। मान लीजिए कि यूनिट का मूल्य 8 रुपए हो गया है। यहां मिस्टर X अगले महीने 10,000 रुपए में 1,250 यूनिट खरीद सकेंगे। यानी बाजार के उतार-चढ़ाव का फायदा आप यहां भरपूर उठा सकते हैं।
सौ बात की एक बात
दोनों तरीकों के नफे-नुकसान को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि बढ़ते बाजार में एकमुश्त सबसे अच्छा काम करता है। वहीं गिरते बाजार में निवेशकों के लिए SIP बेहतरीन साबित हो सकती है। रिस्क मैनेजमेंट की दृष्टि से देखें तो इसमें बाजार के उतार-चढ़ाव को झेलने की ज्यादा क्षमता होती है। बाजार में गिरावट से निवेशकों को लागत में औसत गिरावट से लाभ होता है।
इन दोनों में एक बात सामान्य है वह है कि आपको लंबे समय तक इनसे जुड़े रहना पड़ेगा। सबसे जरूरी बात यह है कि निवेशक को बचत और निवेशक की आदत को लंबे समय तक बनाए रखना चाहिए ताकि वह वेल्थ क्रिएशन की यात्रा का आनंद उठा सके।
काम की खबर: नजारा का IPO तो खुला, लेकिन जानिए कैसे करें IPO में निवेश, डीमैट अकाउंट है जरूरी
हमारे देश में बचत के पैसे लगाने यानी निवेश करने के कई तरीके हैं। इन्ही में से एक है 'इनीशियल पब्लिक ऑफर' यानि IPO। निवेश का ये तरीका आज कल ट्रेंड में है। अगर आप भी IPO में निवेश करने का प्लान बना रहे हैं या करना चाहते हैं तो सबसे पहले ये समझ लीजिए कि IPO क्या होता है? दरअसल, जब कोई कंपनी अपने स्टॉक या शेयर्स छोटे-बड़े निवेशकों के लिए जारी करती है तो उसका जरिया IPO होता है। इसके बाद कंपनी शेयर बाजार में लिस्ट होती है।
IPO होता क्या है?
जब कोई कंपनी Invesment क्या होता है और इन्वेस्टमेंट कैसे करे पहली बार अपनी कंपनी के शेयर्स को लोगों को ऑफर करती है तो इसे IPO कहते हैं। कंपनियों द्वारा ये IPO इसलिए जारी किया जाता है जिससे वह शेयर बाजार में आ सके। शेयर बाजार में उतरने के बाद कंपनी के शेयरों की खरीदारी और बिकवाली शेयर बाजार में हो सकेगी। यदि एक बार कंपनी के शेयरों की ट्रेडिंग की इजाजत मिल जाए तो फिर इन्हें खरीदा और बेचा जा सकता है। इसके बाद शेयर को खरीदने और बेचने से होने वाले फायदे और नुकसान में भागीदारी निवेशकों की होती है।
कंपनी IPO क्यों जारी करती है?
जब किसी कंपनी को अपना काम बढ़ाने के लिए पैसों की जरूरत होती है तो वह IPO जारी करती है। ये IPO कंपनी उस वक्त भी जारी कर सकती है जब उसके पास धन की कमी हो वह बाजार से कर्ज लेने के बजाय IPO से पैसा जुटाना चाहती हैं। शेयर बाजार में लिस्टेड होने के बाद कंपनी अपने शेयरों को बेचकर पैसा जुटाती है। बदले में IPO खरीदने वाले लोगों को कंपनी में हिस्सेदारी मिल जाती है। मतलब जब आप किसी कंपनी के शेयर खरीदते हैं तो आप उस कंपनी के खरीदे गए हिस्से के मालिक होते हैं।
क्या इसमें निवेश करने में रिस्क हो सकता है?
इसमें कंपनी के शेयरों की परफॉर्मेंस के बारे में कोई आंकड़े या जानकारी लोगों के पास नहीं होती है, इसलिए इसे थोड़ा रिस्की तो माना ही जाता है। लेकिन जो व्यक्ति पहली बार शेयर बाजार में निवेश करता है उसके लिए IPO बेहतर विकल्प है।
IPO में निवेश कैसे करें?
अगर आप IPO में इन्वेस्ट करना चाहते है तो उसके लिए आपको डीमैट या ट्रेडिंग अकाउंट खोलना होता है। ये अकाउंट एचडीएफसी सिक्योरिटीज, आईसीआईसीआई डायरेक्ट और एक्सिस डायरेक्ट जैसे किसी भी ब्रोकरेज के पास जाकर खोला जा सकता है। इसके बाद आपको जिस कंपनी में निवेश करना है उसमें आवेदन करें। निवेश के लिए जरूरी रकम आपके डीमैड एकाउंट से लिंक्ड एकाउंट में होनी चाहिए। निवेश की रकम तब तक आपके एकाउंट से नहीं कटती जब तक आपको शेयर अलॉट नहीं हो जाता।
जब भी कोई कंपनी IPO निकालती है उससे पहले इसका एक समय किया जाता है जो 3-5 दिन का होता है। उसी समय में उस कंपनी का IPO ओपन रहता है। जैसे शेयर मार्केट से हम एक, दो या अपने चुनाव से शेयर खरीदते है यहां ऐसा नहीं होता। यहां आपको कंपनी द्वारा तय किए गए लॉट में शेयर खरीदना होता है। ये शेयर की कीमत के हिसाब से 10, 20, 50, 100, 150, 200 या अधिक भी हो सकता है। वहां आपको 1 शेयर की कीमत भी दिखाई देती है।
IPO की कीमत कैसे तय होती है?
IPO की कीमत दो तरह से तय होती है। इसमें पहला होता है प्राइस बैंड और दूसरा फिक्स्ड प्राइस इश्यू ।
प्राइस बैंड कैसे?
शेयर की कीमत को फेस वैल्यू कहा जाता है। जिन कंपनियों को आईपीओ लाने की इजाजत होती है वे अपने शेयर्स की कीमत तय कर सकती हैं। लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर और अन्य क्षेत्रों की कंपनियों को सेबी और बैंकों को रिजर्व बैंक से अनुमति लेनी होती है। कंपनी का बोर्ड ऑफ डायरेक्टर बुक-रनर के साथ मिलकर प्राइस बैंड तय करता है। भारत में 20% प्राइस बैंड की इजाजत है। इसका मतलब है कि बैंड की अधिकतम सीमा फ्लोर प्राइस से 20% से ज्यादा नहीं हो सकती है। फ्लोर प्राइस वह न्यूनतम कीमत है, जिस पर बोली लगाई जा सकती है। प्राइस बैंड उस दायरे को कहते हैं जिसके अंदर शेयर जारी किए जाते हैं। मान लीजिए प्राइस बैंड 100 से 105 का है और इश्यू बंद होने पर शेयर की कीमत 105 तय होती है तो 105 रुपए को कट ऑफ प्राइस कहा जाता है। अमूमन प्राइस बैंड की ऊपरी कीमत ही कट ऑफ होती है।
आखिरी कीमत
स्टॉक मार्केट एक्सपर्ट अविनाश गोरक्षकर के अनुसार बैंड प्राइस तय होने के बाद निवेशक किसी भी कीमत के लिए बोली लगा सकता है। बोली लगाने वाला कटऑफ बोली भी लगा सकता है। इसका मतलब है कि अंतिम रूप से कोई भी कीमत तय हो, वह उस पर इतने शेयर खरीदेगा। बोली के बाद कंपनी ऐसी कीमत तय करती है, जहां उसे लगता है कि उसके सारे शेयर बिक जाएंगे।
अगर IPO में कंपनी के शेयर नहीं बिकते हैं तो क्या होगा?
अगर कोई कंपनी अपना IPO लाती है और निवेशक शेयर नहीं खरीदता है तो कंपनी अपना IPO वापस ले सकती है। हालांकि कितने प्रतिशत शेयर बिकने चाहिए इसको लेकर कोई अलग नियम नहीं है।
ज्यादा मांग आने पर क्या होगा?
मान लीजिए कोई कंपनी IPO में अपने 100 शेयर लेकर आई है लेकिन 200 शेयरों की मांग आ जाती है तो कंपनी सेबी द्वारा तय फॉर्मूले के हिसाब से शेयर अलॉट होते हैं। कंप्यूटराइज्ड लॉटरी के जरिए आई हुई अर्जियों का चयन होता है। इसके अनुसार जैसे किसी निवेशक ने 10 शेयर मांगे हैं तो उस 5 शेयर भी मिल सकते हैं या किसी निवेशक को शेयर नहीं मिलना भी संभव होता है।