अतिरिक्त आय

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अतिरिक्त आय प्राप्त करने एनएमडीसी ने किसानों को उपलब्ध करवाए दस हजार फलदार पौधे
पिछले कुछ वर्षों से एनएमडीसी, बचेली अपने सीएसआर विभाग की ओर से स्थानीय किसानों की आय में वृद्धि के लिए अनेक योजनाएं चलाती आ रही है। इसी कड़ी में हाल ही में एनएमडीसी बचेली ने 14 गावों में 242 कि सानों को फलदायक पौधे उपलब्ध करवाए है जिसमें नारियल, आम, लीची इत्यादि शामिल हैं।
बचेली। पिछले कुछ वर्षों से एनएमडीसी, बचेली अपने सीएसआर विभाग की ओर से स्थानीय किसानों की आय में वृद्धि के लिए अनेक योजनाएं चलाती आ रही है। इसी कड़ी में हाल ही में एनएमडीसी अतिरिक्त आय बचेली ने 14 गावों में 242 कि सानों को फलदायक पौधे उपलब्ध करवाए है जिसमें नारियल, आम, लीची अतिरिक्त आय इत्यादि शामिल हैं।
यहां के स्थानीय किसान धान की खेती पर निर्भर होते हैं, जिससे साल भर आय अर्जित करने व अपने मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करने में विफल हो जातें हैं। इसके पीछे यह कारण है कि इस क्षेत्र में धान की खेती पूरी तरह से वर्षा पर निर्भर है, जिससे कई बार वर्षा ना होने पर या कम होने के कारण फसल ख़राब हो जाती है। इसी समस्या का निवारण करने के लिए एनएमडीसी, बचेली ने इस योजना की शुरुआत की है। इस योजना के तहत इस साल 10000 के आस-पास फलदार पौधे उपलब्ध करवाए गए थे। जिसमें आम के 3586, नारियल के 3588, लीची के 3326 पौधे थे। इन पौधों को 14 गावों में उपलब्ध करवाए गए थे, जिनमें फरसपाल, बड़े कमली, गंजेनार, दुगेली, गमावाड़ा, पाड़ापुर, धुरली, बड़े बचेली, पीना बचेली, भांसी, मासोड़ी, मसेनार, नेरली तथा मोलसनार शामिल अतिरिक्त आय हैं।
पिछले साल इस योजना के तहत लगभग तीस हजार पौधे किसानों की मांग अनुसार उपलब्ध करवाए गए अतिरिक्त आय थे। जिसमें आम, अमरुद, कटहल, नींबू, लीची, मोरेंगा, पपीता, नारियल, काजू आदि शामिल हैं। इस योजना के लिए अतिरिक्त आय ऐसे किसानों का चयन किया जाता है जिनके पास तार बाड़ी व जिनके खेतों में व्यवस्था होती है। जिसके बाद प्रशिक्षण के दौरान मृदा तथा जलवायु परिस्थति, पौधों के बीच रखे जाने वाले फासले, गड्ढे बनाने, इनमें डाले जाने वाले ऑर्गेनिक खाद की गुणवत्ता, पौधों के देख-भाल में बरती जाने वाली सावधानियां अतिरिक्त आय आदि के बारे में जानकारी दी जाती है। प्रशिक्षण के उपरांत एनएमडीसी, बचेली सीएसआर टीम यह सुनिश्चित करती है कि जिन किसानों को प्रशिक्षण दिया गया है उन्होंने प्रशिक्षण के दौरान दी गयी जानकारी के अनुसार ही अपने खेतों में गड्ढे तैयार कर लिए हैं तथा जो किसान किसी कारणवश गड्ढे खोदने में पीछे रह जाते हैं उन्हें फिर से प्रेरित किया जाता है।
भारत में पैसिव इन्कम कमाने के तरीके
अतिरिक्त पैसा बनाने के लिए आसान इन्वेस्टमेंट आइडियाज़
आज की तेज़ी से चलती दुनिया में जहां आपको लगातार खर्च और अपनी आय के बीच सामंजस्य बिठाना पड़ता है, वहां आपकी सेविंग में वृद्धि करने की बहुत कम संभावनाएं है. वहीं दूसरी ओर, जब दैनिक जीवन आपके व्यक्तिगत जीवन पर भारी पड़ रहा हो तो अतिरिक्त कमाई करने की संभावना बहुत ही कम रह जाती है.
अतिरिक्त आय के लिए काम करने की बजाय, अपने पैसे को अपने लिए काम क्यों न करने दें? आप स्ट्रेटेजिक इन्वेस्टमेंट करके आपकी सेविंग बढ़ा सकते हैं, जो आपको अतिरिक्त आय और आपके पैसे की अधिक वृद्धि में मदद करता है.
यहां अतिरिक्त आय के लिए कुछ स्मार्ट इन्वेस्टमेंट विकल्पों के बारे में विस्तार से बताया गया है:
म्यूचुअल फंड
इन इन्वेस्टमेंट में धन उगाहने और सिक्योरिटीज़ में इन्वेस्टमेंट करना शामिल है, जो मार्केट में सूचीबद्ध सिक्योरिटीज़ से प्रभावित होते हैं. आप स्टॉक, मध्यम आकार की कंपनियों और बॉन्ड में अपने म्यूचुअल फंड इन्वेस्टमेंट को विविधता दे सकते हैं.
इंश्योरेंस कंपनियों द्वारा एन्युटी
अगर आप अपनी सेवानिवृत्ति को सुरक्षित करने के लिए अतिरिक्त आय चाहते हैं, तो यह बढ़िया विकल्प हो सकता है, जहां आप इंश्योरेंस कंपनी से एन्युटी प्लान ले सकते हैं. हालांकि, इन प्लान पर रिटर्न आपकी पेंशन की अवधि और आपको दिए गए विकल्प पर निर्भर करता है.
रियल एस्टेट
अगर आप रेंटल इनकम से अतिरिक्त राशि कमाना चाहते हैं, तो यह बढ़िया विकल्प हो सकता है क्योंकि आप इस विकल्प के साथ महंगाई को भी मात दे सकते हैं.
हालांकि, अगर आप अपने इन्वेस्टमेंट पर बेहतर नियंत्रण चाहते हैं, तो आपके लिए बजाज फाइनेंस का फिक्स्ड डिपॉजिट सर्वोत्तम विकल्प है. ये फिक्स्ड डिपॉजिट आपको अपनी अवधि चुनने, निश्चित रिटर्न प्राप्त करने और सुविधानुसार पेआउट का लाभ लेने में मदद करते हैं.
आप सिर्फ रु.25,000 के साथ इन्वेस्टमेंट शुरू कर सकते हैं, और जब भी आप उन्हें रिन्यू करते हैं, तो अधिक रिटर्न कमा सकते हैं. ये इन्वेस्टमेंट चुनें और अपने पैसे को कई गुना बढ़ते देखकर ज्यादा सेविंग्स का मजा लें.
अतिरिक्त आय प्राप्त करने एनएमडीसी ने किसानों को उपलब्ध करवाए दस हजार फलदार पौधे
पिछले कुछ वर्षों से एनएमडीसी, बचेली अपने सीएसआर विभाग अतिरिक्त आय की ओर से स्थानीय किसानों की आय में वृद्धि के लिए अनेक योजनाएं चलाती आ रही है। इसी कड़ी में हाल ही में एनएमडीसी बचेली ने 14 गावों में 242 कि सानों को फलदायक पौधे अतिरिक्त आय उपलब्ध करवाए है जिसमें नारियल, आम, लीची इत्यादि शामिल हैं।
बचेली। पिछले कुछ वर्षों से एनएमडीसी, बचेली अपने सीएसआर विभाग की ओर से स्थानीय किसानों की आय में वृद्धि के लिए अनेक योजनाएं चलाती आ रही है। इसी कड़ी में हाल ही में एनएमडीसी बचेली ने 14 गावों में 242 कि सानों को फलदायक पौधे उपलब्ध करवाए है जिसमें नारियल, आम, लीची इत्यादि शामिल हैं।
यहां के स्थानीय किसान धान की खेती पर निर्भर होते हैं, जिससे साल भर आय अर्जित करने व अपने मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करने में विफल हो जातें हैं। इसके पीछे यह कारण है कि इस क्षेत्र में धान की खेती पूरी तरह से वर्षा पर निर्भर है, जिससे कई बार वर्षा ना होने पर या कम होने के कारण फसल ख़राब हो जाती है। इसी समस्या का निवारण करने के लिए एनएमडीसी, बचेली ने इस योजना अतिरिक्त आय की शुरुआत की है। इस योजना के तहत इस साल 10000 के आस-पास फलदार पौधे उपलब्ध करवाए गए थे। जिसमें आम के 3586, नारियल के 3588, लीची के 3326 पौधे थे। इन पौधों को 14 गावों में उपलब्ध करवाए गए थे, जिनमें फरसपाल, बड़े कमली, गंजेनार, दुगेली, गमावाड़ा, पाड़ापुर, धुरली, बड़े बचेली, पीना बचेली, भांसी, मासोड़ी, मसेनार, नेरली तथा मोलसनार शामिल हैं।
पिछले साल इस योजना के तहत लगभग तीस हजार पौधे किसानों की मांग अनुसार उपलब्ध करवाए गए थे। जिसमें आम, अमरुद, कटहल, नींबू, लीची, मोरेंगा, पपीता, नारियल, काजू आदि शामिल हैं। इस योजना के लिए ऐसे किसानों का चयन किया जाता है जिनके पास तार बाड़ी व जिनके खेतों में व्यवस्था होती है। जिसके बाद प्रशिक्षण के दौरान मृदा तथा जलवायु परिस्थति, पौधों के बीच रखे जाने वाले फासले, गड्ढे बनाने, इनमें डाले जाने वाले ऑर्गेनिक खाद की गुणवत्ता, पौधों के देख-भाल में बरती जाने वाली सावधानियां आदि के बारे में जानकारी दी जाती है। प्रशिक्षण के उपरांत एनएमडीसी, बचेली सीएसआर टीम यह सुनिश्चित करती है कि जिन किसानों को प्रशिक्षण दिया गया है उन्होंने प्रशिक्षण के दौरान दी गयी जानकारी के अनुसार ही अपने खेतों में गड्ढे तैयार कर लिए हैं अतिरिक्त आय तथा जो किसान किसी कारणवश गड्ढे खोदने में पीछे रह जाते हैं उन्हें फिर से प्रेरित किया जाता है।
अब खाली बंजर भूमि बनेगी अतिरिक्त आय का जरिया
रामेश्वर लाल भादू
छतरगढ़़. किसानों की बंजर-अनुपयोगी भूमि पर सौर ऊर्जा संयत्रों लगाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसके लिए सौर कृषि आजीविका योजना के अन्तर्गत पोर्टल लॉन्च किया गया है। इस पोर्टल के माध्यम से रजिस्ट्रेशन करवाने के बाद सौर ऊर्जा प्लांट लगाने वाली कंपनियां सीधा किसानों से जुड़ सकेंगी और जमीन को लीज पर लेने के लिए किसानों से संपर्क कर पाएगी।
इस योजना के अंतर्गत सोलर पार्क के लिए ग्रिड सब स्टेशन के पांच किलोमीटर के दायरे में खाली जमीन पर 500 किलोवॉट से 2 मेगावॉट तक के सोलर प्लांट लगेंगे। इसके लिए न्यूनतम एक हेक्टेयर जमीन की आवश्यकता होगी। डिस्कॉम के ग्रिड सब स्टेशन के आसपास में किसानों के खाली खेतों पर सोलर प्लांट लगाकर किसानों को किराए के तौर पर सोलर प्लांट से बिजली का 10 से 30 पैसे प्रति यूनिट तक भुगतान किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट में किसान को एक हेक्टेयर जमीन के करीब एक से डेढ़ लाख रुपए मिल सकेंगे। इस प्रोजेक्ट के बाद बिजली कंपनियों को प्रसारण व वितरण सिस्टम पर करोड़ों रुपए खर्च करने की जरूरत नहीं होगी। वहीं डिस्कॉम को प्रसारण शुल्क व छीजत से भी राहत मिलेगी। इस प्लांट से बनने वाली बिजली को 25 साल तक डिस्कॉम खरीदेंगे। इसके लिए विद्युत निगम ने पोर्टल शुरू किया है।
तीन विकल्प रखे
इस पॉलिसी में सोलर प्लांट लगाने के तीन विकल्प रखे गए हैं। पहले विकल्प में किसान खुद या किसानों का समूह अपनी जमीन पर सोलर प्लांट विकसित कर सकता है। दूसरे विकल्प में किसान अपनी जमीन पर किसी डवलपर के जरिए सोलर प्लांट लगाने के लिए जमीन किराया पर दे सकता है। वहीं तीसरे विकल्प के तौर पर किसान डिस्कॉम की ओर से तय डवलपर को सोलर प्लांट लगाने के लिए जमीन दे सकता है।
संबधित किसान को भूमि पट्टा अनुबंध के निष्पादन और सोलर पीवी पावर प्लांट के चालू होने के बाद, संबंधित डिस्कॉम सीधे भूमि मालिक भूमि किराए का भुगतान देय होगा। संबधित किसान आवश्यक दस्तावेज अपलोड कर केवल पोर्टल पर पंजीकृत भूमि पार्सल ही डेवलपर के साथ भूमि पट्टा समझौते को निष्पादित करना होगा। गौरतलब है कि छतरगढ़़ क्षेत्र में बगराला गांव के पास सौर ऊर्जा प्लांट लगाने का कार्य पिछले एक साल से चल रहा है। वहीं मोतीगढ़ में सौर ऊर्जा प्लांट लगाने के लिए विभिन्न कम्पनियां ने स्तर पर सर्वे कर रही है। जल्द ही एक सौर ऊर्जा प्लांट स्थापित होने जा रहा है।
यह है पात्रता
किसान को संबधित पोर्टल में रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। रजिस्ट्रेशन के बाद कंपनियां किसानों से संपर्क करेगी। इसके लिए किसान के पास न्यूनतम एक हेक्टेयर भूमि होनी चाहिए तथा संबधित भूमि डिस्कॉम के 33 केवी सब स्टेशन के पांच किमी के दायरे में होनी चाहिए।
आवश्यक दस्तावेज
पंजीकरण के दौरान आवेदन के साथ संबधित भूमि की जमाबंदी, भूमि स्वामित्व प्रमाण, आधार कार्ड, बैंक खाता, एक से अधिक किसानों के स्वामित्व वाली भूमि होतो अधिकृत पत्र आवेदक व्यक्ति की फोटो व हस्ताक्षर, पंजीकरण शुल्क आदि दस्तावेज पोर्टल पर अपलोड करने अनिवार्य हैं।
शर्त यह भी है
एग्रीमेंट में एक पक्ष नहीं होगा व लीज राशि के भुगतान के लिए एक सुविधाकर्ता के रूप में कार्य करेगा। भूमि पट्टा अनुबंध के निष्पादन के बाद व जब तक विकासकर्ता द्वारा सौर पीवी बिजली संयंत्र चालू नहीं किया जाता है, तब तक किसान को पट्टे की राशि के भुगतान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा।